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स्वेज नहर तथा विश्व के लिए इसका आर्थिक महत्त्व

Lokesh Pal November 18, 2024 05:15 99 0

संदर्भ :

17 नवंबर, 2024 को स्वेज नहर की 155वीं वर्षगाँठ थी। नहर का निर्माण विश्व इतिहास की सबसे महत्त्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। वर्तमान में स्वेज नहर सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों में से एक है, इस मार्ग के माध्यम से वैश्विक वाणिज्य के तकरीबन 12% का व्यापार किया जाता है।

स्वेज नहर

  • 17 नवम्बर, 1869 को स्वेज नहर का संचालन वैश्विक व्यापार और भू-राजनीति में एक निर्णायक क्षण था, जिसने समुद्री इतिहास की दिशा को हमेशा के लिए बदल दिया। 

  • पहले, माल का परिवहन या पूर्व (जैसे- भारत या चीन) और पश्चिम के बीच यात्रा करने में अधिक समय लगता था और यह कहीं अधिक महंगा भी था। 
  • 193 किलोमीटर तक विस्तृत यह कृत्रिम जलमार्ग लाल सागर को भूमध्य सागर से जोड़ता था, जो यूरोप और एशिया के बीच एक छोटा मार्ग प्रदान करता था। 

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • प्रारंभिक प्रयास : यूरोप और एशिया को जोड़ने वाले स्वेज नहर के माध्यम से एक व्यापारिक मार्ग का पता प्राचीन काल से लगाया जा सकता है । 
    • इस क्षेत्र में फ़राओ सेनौसरेट तृतीय के शासनकाल के दौरान एक नहर के निर्माण के कुछ साक्ष्य मिले हैं, जिन्होंने दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में शासन किया था।
  • नेपोलियन के प्रयास : वर्ष 1799 में नेपोलियन बोनापार्ट ने एक नहर बनाने का प्रयास किया, लेकिन गलत माप के कारण उनके प्रयास बाधित हुए।
  • फर्डिनेंड डी लेसेप्स का लक्ष्य : आधुनिक स्वेज नहर फ्रांसीसी राजनयिक और इंजीनियर फर्डिनेंड डी लेसेप्स के दिमाग की उपज थी।
    • 19वीं सदी के मध्य में डे लेसेप्स नहर के निर्माण के लिए मिस्र के वायसराय सईद पाशा से समर्थन प्राप्त करने में सफल रहे।   
    • यूनिवर्सल स्वेज शिप कैनाल कंपनी : 1858 में इस परियोजना के प्रबंधन के लिए यूनिवर्सल स्वेज शिप कैनाल कंपनी की स्थापना की गई थी, जिसे पूरा होने पर 99 वर्षों के लिए मिस्र सरकार को पट्टे पर दे दिया गया था।  
  • कठोर कार्य स्थितियाँ : मिस्र के पूर्व नेता गमाल अब्देल नासेर के अनुसार, नहर के निर्माण के दौरान 1,20,000 से अधिक श्रमिकों ने अपनी जान गंवाई।
  • नहर का निर्माण 1869 ई. में पूरा हुआ, जिससे अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार का मार्ग खुल गया।
  • यूरोपीय शक्तियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण कड़ी : अपने उद्घाटन के बाद से स्वेज नहर यूरोपीय शक्तियों, विशेष रूप से फ्रांस और ब्रिटेन के लिए एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक और आर्थिक परिसंपत्ति बन गई।
    • स्वेज नहर कंपनी के अधिकांश शेयरों पर फ्रांसीसी और ब्रिटिश निवेशकों का नियंत्रण था और नहर का उपयोग एशिया तथा अफ्रीका में औपनिवेशिक हितों को बनाए रखने के लिए किया जाता था।
  • ब्रिटिश सैनिकों की तैनाती हेतु संधि : विशेष रूप से ब्रिटिशों ने स्वेज नहर क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण सैन्य उपस्थिति बनाए रखी। 
    • वर्ष 1936 में हस्ताक्षरित एक संधि ने यह सुनिश्चित किया, कि नहर की सुरक्षा के लिए ब्रिटिश सैनिक मिस्र में तैनात रहेंगे, जो भारत और उसके आगे के समुद्री मार्गों पर ब्रिटिश साम्राज्य के नियंत्रण के लिए इसके महत्त्व को दर्शाता है।

1956 का स्वेज संकट

  • नहर पर औपनिवेशिक संघर्ष : जैसे-जैसे यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियाँ क्षीण होने लगीं, स्वेज नहर क्षेत्रीय तनाव का केंद्र बन गई। 
    • 1954 में मिस्र के राष्ट्रवादियों के बढ़ते दबाव का सामना करते हुए, ब्रिटेन अगले सात वर्षों में स्वेज नहर क्षेत्र से अपनी सेना वापस बुलाने पर सहमत हो गया। 
  • नहर का राष्ट्रीयकरण : मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर द्वारा 1956 में (महज दो वर्ष बाद) नहर का राष्ट्रीयकरण करने के निर्णय से सैन्य टकराव शुरू हो गया।
  • राष्ट्रीयकरण के पीछे कारण : नासेर का उद्देश्य नहर के राजस्व का उपयोग असवान हाई डैम के निर्माण के लिए करना था, जो कि मिस्र के लिए बाढ़ को नियंत्रित करने और जलविद्युत शक्ति उत्पन्न करने के लिए बनाई गई एक प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजना थी।
  • संकट : इस निर्णय के कारण स्वेज संकट उत्पन्न हुआ, जब ब्रिटेन, फ्रांस और इज़राइल ने मिस्र के खिलाफ सैन्य अभियान शुरू कर दिया।
  • परिणाम : सैन्य सफलता के बावजूद, संघर्ष राजनीतिक रूप से नासिर के पक्ष में समाप्त हुआ, जो मिस्र के राष्ट्रवादियों के लिए एक नायक के रूप में उभरे।
    • कई छोटे और नव स्वतंत्र देश नसीर के पक्ष में थे। 
    • संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ सहित अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण युद्ध विराम हुआ और संयुक्त राष्ट्र ने स्थिति में मध्यस्थता के लिए शांति सेनाएँ तैनात कीं।

संघर्ष और रुकावटें

  • स्वेज नहर वर्षों से भू-राजनीतिक तनाव का कारण बनी हुई है। 
  • मिस्र बनाम इज़राइल : 1967 में मिस्र ने संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों को सिनाई प्रायद्वीप छोड़ने का आदेश दिया, जिसके परिणामस्वरूप इज़राइल ने सिनाई प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया। 
    • जवाबी कार्रवाई में मिस्र ने नहर को आठ वर्षों के लिए बंद कर दिया, जिससे इसकी सामरिक महत्ता और अधिक उजागर हो गयी।
    • इससे विश्व अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई और तेल एवं खाद्यान्न की कीमतों में वृद्धि हुई।
  • 2021 की बाधा : मार्च 2021 में एक विशाल कंटेनर जहाज एमवी एवर गिवेन नहर के एक संकरे हिस्से में फंस गया। छह दिनों की रुकावट ने वैश्विक व्यापार में महत्त्वपूर्ण व्यवधान पैदा किया।
    • प्रभाव : 2021 में छह दिन की रुकावट ने वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति को बढ़ावा दिया। वास्तव में इस देरी से वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रति घंटे अनुमानित 400 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।

नोट : इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष के दौरान हौथी विद्रोहियों ने स्वेज नहर पर भी हमले किए, जिससे वैश्विक व्यापार बाधित हुआ तथा विश्व अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा।

वर्तमान आर्थिक भूमिका

  • वर्तमान में वैश्विक वाणिज्य का लगभग 12%, विश्व का 7% तेल तथा दैनिक कंटेनर यातायात का 30% इस महत्त्वपूर्ण जलमार्ग से होकर गुजरता है। 
  • प्रतिवर्ष 20,000 से अधिक जहाज इस नहर से गुजरते हैं, जिससे यह अंतर्राष्ट्रीय नौवहन के लिए एक आवश्यक मार्ग बन गया है।

उभरते विकल्प

  • बेन गुरियन नहर : अमेरिका ने इज़राइल नियंत्रित नेगेव रेगिस्तान के माध्यम से एक नई नहर के निर्माण का प्रस्ताव दिया है, जिसे बेन गुरियन नहर के रूप में जाना जाता है। 
    • अमेरिकियों ने नेगेव मरुस्थल में जलमार्ग बनाने के लिए परमाणु हथियारों का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा।
  • IMEC : भारत-मध्य पूर्व-यूरोप मेगा आर्थिक गलियारा, वैश्विक शक्ति के एक नए केंद्र के रूप में एशिया, अरब की खाड़ी और यूरोप के विकास तथा एकीकरण को गति देने के लिए परिवहन संपर्क प्रदान करेगा। 
    • इसमें समुद्री और सड़क मार्गों के पूरक के रूप में एक विश्वसनीय, लागत प्रभावी रेलवे और जहाज से रेल पारगमन नेटवर्क की परिकल्पना की गई है, जिससे भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन, इज़राइल और यूरोपीय संघ के बीच वस्तुओं और सेवाओं का आवागमन संभव हो सकेगा।

बेन गुरियन नहर

  • इसका उद्देश्य अकाबा की खाड़ी को, जो इज़राइल के दक्षिणी छोर पर लाल सागर का हिस्सा है, भूमध्यसागरीय तट से जोड़ना है, जिससे स्वेज नहर के लिए एक वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हो जाएगा। 

  • मिस्र द्वारा नियंत्रित स्वेज नहर लाल सागर के पश्चिमी भाग से सिनाई प्रायद्वीप से होकर दक्षिण-पूर्वी भूमध्य सागर तक जाती है।
  • 1960 के दशक में पहली बार परिकल्पित बेन गुरियन नहर परियोजना, यदि पूरी हो गई तो, यूरोप और एशिया के बीच एक नया मार्ग उपलब्ध कराकर वैश्विक समुद्री व्यापार में बदलाव ला सकती है तथा संभवतः इन महाद्वीपों के बीच सबसे छोटे मार्ग पर मिस्र का एकाधिकार समाप्त कर सकती है।

निष्कर्ष

स्वेज नहर मानव इतिहास में सबसे महत्त्वपूर्ण अवसंरचनात्मक उपलब्धियों में से एक है, जिसने 1869 ई. में अपने उद्घाटन के बाद से वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को आकार दिया है। जैसे-जैसे वैश्विक व्यापार विकसित होता जा रहा है, स्वेज नहर निस्संदेह परस्पर सम्बंधित वैश्विक वाणिज्य की क्षमता और संवेदनशीलता दोनों का प्रतीक बनी रहेगी।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

वर्ष 1956 में स्वेज संकट के कारण कौन-सी अंतर्राष्ट्रीय समस्याएँ उत्पन्न हुईं? इसने विश्व शक्ति के रूप में ब्रिटेन की आत्म-छवि को किस प्रकार प्रभावित किया?

(10 अंक, 150 शब्द)

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