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भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव : सिंधु जल संधि

Lokesh Pal April 24, 2025 05:00 7 0

संदर्भ:

हाल ही में, भारत ने पाकिस्तान के साथ अचानक उत्पन्न हुए, तनाव के बाद, विशेषकर पहलगाम आतंकवादी हमले के बादसिंधु जल संधि (IWT) के कुछ प्रावधानों को निलंबित कर दिया है।

कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी हमले के कारण:

  • अमेरिका की वापसी:2021 में वाशिंगटन के काबुल से बाहर निकलने के साथ ही, पाकिस्तान को अमेरिका के साथ जो रणनीतिक लाभ था, वह काफी हद तक खत्म हो गया है। गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान को अमेरिका से वित्तीय सहायता नहीं मिल रही हैजैसा कि उसे अतीत में अक्सर मिलती रही है।
  • खाड़ी देशों से असहयोग: खाड़ी देश पाकिस्तान कोबार-बार मदद करने से उबाऊ महसूस करने लगे हैं। ऐसी धारणा है कि इस्लामाबाद ने इसके बदले में,खाड़ी क्षेत्र को कभी भी कुछ खास नहीं दिया है।
  • सहायता प्रदान करने से इनकार:वर्तमान में, खाड़ी देशों ने पाकिस्तान की चल रही आर्थिक परेशानियों के बावजूद, वित्तीय सहायता प्रदान करने से इनकार कर दिया है।
  • चीन-पाक संबंधों में तनाव: चीन नेअपनी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के माध्यम से पाकिस्तान के बुनियादी ढांचे में भारी निवेश किया है। हालांकि, भ्रष्टाचार और अकुशलता के कारण दोनों देशों के मध्य कई परियोजनाएं रुकी हुई हैं।
  • सुरक्षा विफलताएँ:बलूच आतंकवादियों द्वारा चीनी इंजीनियरों की हत्या कर देने के कारण द्विपक्षीय संबंधों में तनाव व दूरी बढ़ा दी है। हालांकि पाकिस्तान का सबसे बड़ा संरक्षक होने के बावजूद, बीजिंग लगातार अधीर होता जा रहा है
  • रणनीतिक सुरक्षा चुनौतियाँ:काबुल में तालिबान शासन पाकिस्तान की कल्पना के मुताबिक ग्राहक राज्य नहीं बन पाया है। इसके बजाय, यह शत्रुतापूर्ण हो गया है, जिससे नई सुरक्षा चुनौतियाँ पैदा हो रही हैं
  • सीमा पार हमले:अफ़गानिस्तान के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकों और सैन्य कर्मियों पर लगातार हमले होते रहे हैं। हालिया घटनाओं से ज्ञात होता है कि तालिबान शासित अफ़गानिस्तान एक सुरक्षा दायित्व बन गया है, न कि एक परिसंपत्ति।
  • ईरान के साथ तनाव:ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में एक बलूच संगठन द्वारा आठ पाकिस्तानी प्रवासियों की हत्या कर दी गई। पिछले एक साल में, ईरान और पाकिस्तान दोनों ने अपनी साझा सीमा के पार कथित आतंकवादी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए हैं।
  • अपेक्षाकृत शांत सीमा:कुछ विश्लेषकों का मानना हैं कि भारत के साथ पाकिस्तान की सीमा वर्तमान में सबसे शांतिपूर्ण है। यह अफगानिस्तान और ईरान के साथ अस्थिर पश्चिमी सीमाओं के विपरीत है।
  • प्रासंगिकता पुनः प्राप्त करना:हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में, निहत्थे पर्यटकों पर हुए, आतंकवादी हमले को पाकिस्तान द्वारा अपने क्षेत्रीय महत्व को पुनः स्थापित करने के एक हताश प्रयास के रूप में देखा जा सकता है।
    • यह भारत में बढ़ती इस भावना को चुनौती देना चाहता है किपाकिस्तान कोई मायने नहीं रखता। हालांकि इस तरह की कार्रवाइयों के ज़रिए, इस्लामाबाद इस धारणा को तोड़ने की कोशिश कर रहा है कि उसे प्रभावी रूप से हाशिए पर धकेल दिया गया है
  • वैचारिक औचित्य:पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की हालिया टिप्पणियों से इस तरह की कार्रवाइयों के पीछे के रणनीतिक दृष्टिकोण का संदर्भ मिलता है। जनरल मुनीर ने बार-बार “दो-राष्ट्र सिद्धांत” का हवाला दियाजो भारत के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाइयों के लिए वैचारिक औचित्य की वापसी का संकेत देता है।

पाकिस्तान के प्रति भारत का नवीन दृष्टिकोण:

  • अप्रासंगिकता की धारणा: इस्लामाबादभारत को पाकिस्तान की मौजूदा कमज़ोरियों का फ़ायदा उठाते हुए देखता है। नई दिल्ली के हिसाब से, पाकिस्तान को एक मामूली विकर्षण के रूप में देखा जाता है, न कि एक रणनीतिक ख़तरे के रूप में।
    • वर्तमान समय में, भारतवैश्विक महाशक्ति बनने की अपनी आकांक्षाओं पर अधिकाधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है
  • अनुच्छेद 370 का उन्मूलन:5 अगस्त, 2019 को भारत ने जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करते हुए अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था। भारत के इस कदम ने पाकिस्तान की आपत्तियों को नज़रअंदाज़ करते हुए क्षेत्र को पूरी तरह से एकीकृत करने के भारत के इरादे का संकेत दिया
  • घाटी में प्रगति: राजनीतिक बहसों के बावजूदकश्मीर मेंअर्थव्यवस्था और दैनिक जीवन में लगातार सुधार हुआ है। घरेलू पर्यटन में वृद्धि को क्षेत्र में सामान्य स्थिति का एक प्रमुख संकेतक माना गया है।
  • कूटनीतिक पुनर्संरेखण:भारत ने सफलतापूर्वक अमेरिका पर दबाव बनाया है कि वह भारत और पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को अलग-अलग बनाकर व्यवहार करे अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की हाल ही में भारत की आधिकारिक यात्रा, जिसमें वे पाकिस्तान में नहीं रुके, इस बदलाव को रेखांकित करता है।
  • पाकिस्तान की घटती भूमिका:जैसे-जैसे भारत खाड़ी देशों के साथ अपने संबंधों को  मजबूत कर रहा है पाकिस्तान हाशिये पर बना हुआ है
    • उल्लेखनीय है किपहलगाम आतंकवादी हमला प्रधानमंत्री मोदी की सऊदी अरब की आधिकारिक यात्रा के दौरान हुआ, जो एक समय पाकिस्तान का कट्टर सहयोगी देश था, खासकर 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान

सिंधु जल संधि (1960) :

  • कानूनी ढांचा:सिंधु जल संधि पर 19 सितंबर, 1960 को कराची में हस्ताक्षर किए गए थे। यह भारत और पाकिस्तान के बीच नौ वर्षों की बातचीत का परिणाम था।  इस संधि में 12 अनुच्छेद और 8 अनुलग्नक हैं जिन्हें A से H तक लेबल किया गया है।
  • नदी आबंटन:भारत को पूर्वी नदियों: सतलुज, ब्यास और रावी पर पूर्ण और अप्रतिबंधित अधिकार प्राप्त हैं। पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों: सिंधु, झेलम और चिनाब का विशेष उपयोग प्राप्त है।
    • हालांकि भारत पश्चिमी नदियों का उपयोग बिजली उत्पादन और नौवहन जैसे गैर-उपभोग्य उद्देश्यों के लिए कर सकता है।
  • संधि का निलंबन:संधि को निलंबित करने का भारत का निर्णय उसके रणनीतिक विकल्पों को बढ़ाता है। यह नदी प्रवाह डेटा साझा करना बंद कर सकता है और कोई परिचालन डिजाइन सीमा नहीं लगा सकता है।   भारत पाकिस्तान को सूचित किए बिना पश्चिमी नदियों पर भंडारण बना सकता है।
  • जलविद्युत परियोजनाओं पर प्रभाव:इसके साथ ही भारत अब किशनगंगा और रातले जैसी परियोजनाओं में पाकिस्तानी अधिकारियों के दौरे पर रोक लगा सकता है।
    • अपने जल स्त्रोतों का उचित उपयोग सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से भारत किशनगंगा में जलाशय की सफाई शुरू करने पर बल दे सकता है, जिससे बांध की आयु बढ़ जाएगी। ये परियोजनाएंजम्मू और कश्मीर में हैं और पाकिस्तान को आवंटित नदियों पर हैं।
  • अल्पकालिक प्रभाव:सिंधु जल संधि के निलंबन के बावजूद, पाकिस्तान को पानी का प्रवाह तुरंत नहीं बदलेगा। भारत के पास अल्पावधि में पानी को रोकने या मोड़ने के लिए बुनियादी ढाँचे का अभाव है। संरचनात्मक विकास के आधार पर ये बदलाव कुछ वर्षों में ही प्रभावी हो सकते हैं।
  • निकास खंड का अभाव:हालांकि वर्तमान समय में, सिंधु जल संधि में एकतरफा निकास का कोई प्रावधान नहीं है । इसकी कोई निश्चित अवधि भी नहीं है और इसे केवल आपसी सहमति से ही संशोधित किया जा सकता है।   इस प्रकार, भारत या पाकिस्तान कानूनी रूप से इसे अपने आप रद्द या समाप्त नहीं कर सकते।
  • मध्यस्थता की सीमाएँ:यदि भारत संधि को पूरी तरह से त्याग देता है, तो मध्यस्थता अप्रभावी हो सकती है। यह तंत्र संधि के दायरे में ही काम करता है, न कि निष्पादन को लागू करने की दिशा में।  
    • भारत की आपत्तियों के कारणपाकिस्तान आईसीजे में नहीं जा सकता, जो कि उसकी सबसे प्रमुख समस्या है
  • पाकिस्तान की आपत्तियाँ:पाकिस्तान किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनाओं के डिज़ाइन पर अक्सर विवादित रुख अपनाता है। उसका दावा है कि ये रन-ऑफ-द-रिवर परियोजनाएँ सिंधु जल संधि के प्रावधानों का उल्लंघन करती हैं। भारत का तर्क है कि यह संधि-अनुरूप डिज़ाइन विनिर्देशों की सीमा के अंतर्गत हैं।

निष्कर्ष:

भारत का बढ़ता वैश्विक प्रभाव, सिंधु जल संधि के निलंबन के साथ मिलकर, इस क्षेत्र में रणनीतिक बदलाव का संकेत देता है। यह स्थिति आगे की अस्थिरता से बचने के लिए सावधानीपूर्वक कूटनीतिक जुड़ाव की आवश्यकता पर जोर देती है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: पहलगाम आतंकी हमला सुरक्षा चुनौतियों और रणनीतिक अवसरों दोनों को दर्शाता है। कूटनीतिक, सैन्य, खुफिया और सामाजिक-आर्थिक आयामों में प्रतिक्रिया के लिए भारत के विकल्पों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें और एक व्यापक रणनीति का सुझाव दें जो विकास के साथ निवारण उपायों को संतुलित करने में सहायक हो।

(15 अंक, 250 शब्द)

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