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Lokesh Pal
July 04, 2025 05:30
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विश्वविद्यालय, जो कभी स्वतंत्र विचार और आलोचनात्मक अन्वेषण के गढ़ माने जाते थे, अब भारत और विश्व में अस्तित्व के संकट का सामना कर रहे हैं।
विश्वविद्यालय रोजगार-प्रशिक्षण केंद्र या सूचना के भंडार से कहीं अधिक हैं। उनका मूल उद्देश्य ज्ञान को आगे बढ़ाना, आलोचनात्मक विचारकों का पोषण और समाज की सेवा करना है। एक वास्तविक विश्वविद्यालय एक ऐसा स्थान है, जहाँ:
यदि भारत को एक न्यायपूर्ण, सूचित और लोकतांत्रिक समाज को बढ़ावा देना है, तो उसे विश्वविद्यालय के वास्तविक उद्देश्य को पुनः प्राप्त करना होगा। केवल अकादमिक स्वतंत्रता की रक्षा, आलोचनात्मक विचारकों को पोषित तथा वस्तुकरण का विरोध करके ही विश्वविद्यालय सामाजिक प्रगति के इंजन और सत्य के संरक्षक के रूप में कार्य करना जारी रख सकते हैं।
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