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भारत के लिए इटली का बहुआयामी महत्व

Lokesh Pal October 04, 2024 05:15 5 0

संदर्भ: 

वर्तमान परिदृश्य के मध्य ‘बहुसंकट’ के इस युग में, इटली और भारत के साझा हित हैं, लेकिन भारत के समक्ष भूमध्य सागर में अनेक चुनौतियां बनी हुई हैं, इस संदर्भ में भारत-इटली संबंध महत्वपूर्ण हैं।

भारत के लिए इटली का महत्व :

(ए) भारत-भूमध्यसागरीय क्षेत्र में रणनीतिक साझेदार:

  • भारत – भूमध्यसागरीय क्षेत्र, जिसमें हिंद और प्रशांत महासागर के आसपास के देश शामिल हैं, भारत और इटली के सामरिक हितों से जुड़ा है, जिससे यह वैश्विक व्यापार और डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण बन जाता है।
  • जेनोआ और मुंबई को जोड़ने वाली आगामी ब्लू-रमन पनडुब्बी डेटा केबल डिजिटल बुनियादी ढांचे के लिए क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करती है, क्योंकि दोनों देशों के सहयोग से क्षेत्र में समुद्री डकैती और आतंकवाद जैसे खतरों को कम किया जा सकता है।

भारत – मध्य पूर्व – यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी ) : यह स्वेज नहर परियोजना का एक प्रस्तावित विकल्प है जिसका उद्देश्य भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच व्यापार में सुधार के लिए बुनियादी ढांचे का एक नेटवर्क बनाना है।

(बी) आर्थिक महत्व :

  • इटली विश्व स्तर पर छठा सबसे बड़ा निर्यातक है, जो इसे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार साझेदार बनाता है।
  • यूरोप के दूसरे सबसे बड़े विनिर्माण देश के रूप में, इटली तकनीकी और औद्योगिक सहयोग के लिए पर्याप्त अवसर प्रस्तुत करता है।

(सी) सुरक्षा सहयोगी :

  • हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और रक्षा के प्रति इटली की प्रतिबद्धता, विशेष रूप से समुद्री डकैती और हूती जैसे समूहों से उत्पन्न खतरों के प्रति, भारत के सामरिक हितों के अनुरूप है।
  • यूरोपीय संघ के नौसैनिक अभियानों (यूनावफोर अटलांटा, ईएमएएसओएच, एस्पाइड्स)में इटली की भागीदारी से महत्वपूर्ण भारतीय व्यापारिक मार्गों के लिए समुद्री सुरक्षा बढ़ेगी।

(डी) राजनयिक समर्थन :

  • इटली अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की पहल का सक्रिय रूप से समर्थन करता है, जिसमें जी-20 में अफ्रीकी संघ को शामिल करने का समर्थन भी शामिल है।
  • भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) के लिए इटली का समर्थन भारत के बेहतर संपर्क और व्यापार के लक्ष्यों के अनुरूप है।

(ई) सांस्कृतिक और प्रवासी संबंध :  

  • इटली यूरोपीय संघ में दूसरे सबसे बड़े भारतीय प्रवासी समुदाय की मेजबानी करता है, जो लोगों के बीच मजबूत संबंधों को बढ़ावा देता है।
  • अतीत से ही इतालवी और भारतीय सभ्यताओं के बीच ऐतिहासिक संबंध सांस्कृतिक आदान – प्रदान के लिए एक ठोस आधार प्रदान करते हैं।

भारत और इटली के आपसी सहयोग के आयाम :

(ए) रक्षा सहयोग :

  • अक्टूबर 2023 में, भारत और इटली ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए एक  रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे  इटली-भारत सैन्य सहयोग समूह के माध्यम से नियमित वार्ता की सुविधा मिलने की संभावना है।
  • इटालियन कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (विमान वाहक आईटीएस कैवूरऔर फ्रिगेट आईटीएस अल्पिनो ) इस समय गोवा में हैं।
  • दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता में सुधार के लिए पासेक्स अभ्यास (PASSEX) आयोजित किया गया।

  • भारत और इटली के मध्य पासेक्स या पैसेज एक्सरसाइज एक नौसैनिक अभ्यास है जो दोनों देशों की नौसेनाओं को युद्ध या मानवीय राहत के समय में संवाद और सहयोग करने का अभ्यास करने की अनुमति देता है। 
  • पासेक्स अभ्यास (PASSEX) आमतौर पर पूर्व नियोजित समुद्री अभ्यास के बजाय विशेष अवसरों पर आयोजित किए जाते हैं।

(बी) समुद्री सुरक्षा :

  • इटली मार्च 2023 से गुरुग्राम में  हिंद महासागर क्षेत्र के सूचना संलयन केंद्र का हिस्सा बन गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य सूचना साझाकरण और क्षेत्रीय जागरूकता बढ़ाकर समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना है।
  • दोनों देश यूरोपीय संघ के नौसैनिक अभियानों जैसे यूनावफोर एस्पाइड्स में सहयोग करते हैं, तथाखुफिया जानकारी साझा करके लाल सागर और हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा में योगदान करते हैं।

हिंद महासागर क्षेत्र के फ्यूजन सेंटर का मुख्य लक्ष्य : 

  • समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना, सूचना साझा करके समुद्री डोमेन जागरूकता (एमडीए) को बढ़ाना, विशेषज्ञता विकसित करना और साझेदार देशों और एजेंसियों के साथ गतिविधियों का समन्वय करना है।

(सी) रक्षा उद्योग में तकनीकी सहयोग :

  • फिनकैंटिएरी जैसी इतालवी फर्मों ने  रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए  2020 से कोचीन शिपयार्डके साथ साझेदारी की है।
  • इलेट्रोनिका ने 2019 में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए, जिसमें भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के साथ संयुक्त उद्यम, सह-उत्पादन और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर ध्यान केंद्रित किया गया।

(डी) मानवीय सहयोग :

  • मानवीय सहयोग के पक्ष को ध्यान में रखते हुए, आईटीएस कैवूर की यात्रा (अक्टूबर 2024) के दौरान, ‘ ऑपरेशन स्माइल‘ आयोजित किया गया, जहां भारतीय और इतालवी डॉक्टरों ने चेहरे की विकृति से पीड़ित बच्चों की सर्जरी कर उन्हें राहत प्रदान की।

(ई) सांस्कृतिक आदान-प्रदान :

  • इतालवी नौसेना का ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित प्रशिक्षण जहाज आईटीएस अमेरिगो वेस्पुची 1 जुलाई 2023 से 26 फरवरी 2025 तक, 20 महीने के विश्व दौरे पर है। अपनी इस ऐतिहासिक यात्रा के दौरान वह 28 नवंबर से 2 दिसंबर, 2024 तक  मुंबई की योजनाबद्ध यात्रा भी करेंगे जिसका उद्देश्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मेजबानी करना तथा लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देना है। 
  • इसके अलावा, मुंबई में  ‘इटली विलेज’स्थापित करने का प्रस्ताव है, जिसमें फैशन और पाककला कार्यक्रमों के माध्यम से इतालवी संस्कृति को प्रतिबिंबित किया जाएगा।

(एफ) क्षेत्रीय विकास :

  • अफ्रीका के लिए इटली की माटेई योजना जो इस क्षेत्र में भारत की विकास पहलों  के बीच संभावित संरेखण है, जो सहयोगात्मक विकास को बढ़ावा देगा।

निष्कर्ष :

भारत और इटली के बीच भारत-भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उभरते हुए सहयोग आपसी चुनौतियों का समाधान करने और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। दोनों देश रक्षा, आर्थिक और सांस्कृतिक आयामों में अपनी रणनीतिक साझेदारी का लाभ उठाकर, अपने वैश्विक प्रभाव को मजबूत कर सकते हैं और सतत विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न:

प्रश्न: भारत-इटली रक्षा साझेदारी भारत-भूमध्यसागरीय क्षेत्र में व्यापक भू-राजनीतिक स्थिरता में किस प्रकार योगदान दे सकती है? प्रासंगिक उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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