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लोकतंत्र का विरोधाभास, राज्य के चुने हुए लोग

Lokesh Pal December 09, 2025 05:15 3 0

सन्दर्भ:

चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) ने भारत में नागरिकता के सत्यापन के तरीके के बारे में चिंताओं को फिर से व्यक्त कर दिया है, क्योंकि कोई भी एक दस्तावेज निर्णायक रूप से नागरिकता साबित नहीं करता है।

ECI बनाम नागरिकता स्थिति

  • विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभ्यास: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) मतदाता सूचियों को अद्यतन करने के लिए राष्ट्रव्यापी विशेष गहन पुनरीक्षण कर रहा है।
  • याचिकाकर्ताओं का तर्क: सर्वोच्च न्यायालय में याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि ECI नागरिकता की प्रभावी जांच करके अपने अधिदेश का अतिक्रमण कर रहा है, जिसके बारे में उनका दावा है कि नागरिकता अधिनियम 1946 और विदेशी अधिनियम 1946 के तहत यह केंद्र सरकार या विदेशी न्यायाधिकरण का विशेष अधिकार क्षेत्र है
  • ECI का बचाव: ECI का तर्क है कि उसे विदेशियों को मतदाता सूची में शामिल होने से रोकने के लिए पात्रता का सत्यापन करना होगा।

साक्ष्य संकट- नागरिकता का प्रमाण

  • कोई निर्णायक नागरिकता दस्तावेज नहीं: पासपोर्ट, मतदाता पहचान पत्र और आधार जैसे दस्तावेजों को कानूनी तौर पर भारतीय नागरिकता का निर्णायक प्रमाण नहीं माना जाता है, क्योंकि इन्हें धोखाधड़ी से प्राप्त किया जा सकता है।
  • व्यक्ति पर सिद्ध करने का भार: नागरिकता और विदेशी अधिनियमों के तहत, नागरिकता साबित करने का भार व्यक्ति पर होता है, जो “दोषी साबित होने तक निर्दोष” के आपराधिक कानून सिद्धांत को उलट देता है

जनगणना, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के बारे में:

  • जनगणना: जनगणना एक दशकीय गणना प्रक्रिया है, जिसमें एकत्रित आंकड़े गोपनीय रहते हैं।
  • राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR): NPR देश के सभी निवासियों की सूची है, जिसमें विदेशी भी शामिल हैं, और यह नागरिकता नियम 2003 के तहत अधिकृत है।
  • राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी): एनआरसीNPR का एक उपसमूह है और इसमें केवल सत्यापित नागरिक ही शामिल होते हैं।

कानूनी विकास – मिट्टी से रक्त की ओर बदलाव (1955–2024)

  • उदार युग (jus Soli): 1955 से 1987 तक, भारत में नागरिकता पूरी तरह से देश में जन्म के आधार पर दी जाती थी, चाहे व्यक्ति के माता-पिता की नागरिकता की स्थिति कुछ भी हो।
  • संक्रमणकालीन प्रतिबंध: 1987 और 2004 के बीच, जन्म से नागरिकता के लिए आवश्यक था कि व्यक्ति भारत में पैदा हुआ हो और जन्म के समय उसके माता-पिता में से कम से कम एक भारतीय नागरिक हो।
  • कठोर युग (jus sanguinis): 2004 के बाद, नियम अधिक प्रतिबंधात्मक हो गए: भारत में जन्मा व्यक्ति तभी नागरिक होगा जब उसके दोनों माता-पिता भारतीय नागरिक हों, या माता-पिता में से एक नागरिक हो और दूसरा अवैध प्रवासी न हो।
  • सीएए 2019: 2019 में, नागरिकता संशोधन अधिनियम ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के कुछ पीड़ित किए गए धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, बौद्ध, जैन) के लिए नागरिकता का मार्ग प्रदान करके एक संकीर्ण छूट पेश की।

असम की केस स्टडी

  • एनआरसी सर्वोच्च न्यायालय की निरीक्षण में: असम एकमात्र ऐसा राज्य है जहां एनआरसी को सर्वोच्च न्यायालय की निरीक्षण में लागू किया गया।
  • सामूहिक बहिष्कार: इस प्रक्रिया में 9 मिलियन लोगों को बाहर रखा गया, जिनमें से कई को “डी-वोटर” (संदिग्ध मतदाता) करार दिया गया।
  • दस्तावेज़ीकरण संबंधी कठिनाइयाँ: बाढ़-प्रवण क्षेत्रों के गरीब निवासियों को 1971 से पहले के दस्तावेज़ उपलब्ध कराने में कठिनाई हो रही थी, जिससे सत्यापन प्रक्रिया अत्यंत कठिन हो गई थी।
  • परिणामों की अस्वीकृति: अंतिम एनआरसी परिणाम को व्यापक रूप से असंतोषजनक माना गया और इसे देख रही राज्य सरकार ने भी अस्वीकार कर दिया।

राज्य बनाम जनता का विरोधाभास

  • नागरिकता का निर्धारण अधीनस्थ नौकरशाही द्वारा किया जाता है: नागरिकता का निर्णय करने या किसी को “देशद्रोही” कहने का अधिकार नौकरशाही के अधीनस्थ अधिकारियों के पास होता है, जैसे कि गांव के क्लर्क, सीमा कांस्टेबल, या मतदाता सूची को अद्यतन करने वाले शिक्षक।
  • छोटी-मोटी गलतियाँ, आजीवन परिणाम: एक छोटी प्रशासनिक गलती, जैसे वर्तनी की त्रुटि, किसी व्यक्ति को लंबे समय तक मुकदमेबाजी में धकेल सकती है।

निष्कर्ष

यह स्थिति एक मौलिक विरोधाभास को प्रस्तुत करती है, जबकि लोकतंत्र का दावा है कि “लोग राज्य का निर्माण करते हैं”, यहां राज्य यह निर्धारित करता है कि “लोग” कौन हैं।

 मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न: भारत में “जस सोली” (jus Soli)से “अधिक दस्तावेज़-आधारित नागरिकता” की ओर बदलाव ने लोकतांत्रिक आदर्शों और प्रशासनिक नियंत्रण के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और नागरिकता शासन की समकालीन चुनौतियों के संदर्भ में इस कथन का विश्लेषण कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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