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सुव्यवस्थित दृष्टिकोण के अभाव में धूमिल होते युवा सपने

Lokesh Pal May 15, 2024 05:00 81 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) आदि। 

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: छात्रों की बढ़ती आत्महत्याओं के कारण, नई शिक्षा नीति 2020। 

संदर्भ:

  • कोटा, राजस्थान में हाल ही में शैक्षणिक दबाव, विशेषकर प्रतिस्पर्धी प्रवेश परीक्षाओं के कारण हुई आत्महत्याओं ने युवा छात्रों के समग्र कल्याण के बारे में चिंताओं को बढ़ा दिया है।

कोचिंग संस्थाओं का प्रभाव:

  • सामाजिक विकास हेतु अकादमिक शिक्षा को प्राथमिकता: वर्तमान दौर में अकादमिक शिक्षा प्रणाली में सुधार के स्थान पर सतत कोचिंग संस्थानों की ओर रुख किया जा रहा है।  इन संस्थानों पर युवाओं की बढ़ती निर्भरता साथ ही इनमें अपनाए जाने वाले तरीके युवाओं के लिए समस्या बनते जा रहे हैं।
    • हालाँकि, जो छात्र इन अत्यंत प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में सफल हो भी जाते हैं, वे सामान्य किशोर या किशोर जीवन को “खो” देते हैं।
  • गहन अध्ययन का वातावरण: गहन अध्ययन और अस्वास्थ्यकर वातावरण की विशेषता वाले ये संस्थान छात्रों के मानसिक एवं  शारीरिक तनाव में योगदान करते हैं।
  • कोचिंग संस्थानों का अस्वास्थ्यकर बुनियादी ढाँचा : ये कोचिंग संस्थान निम्नकोटी के और खतरनाक संरचनाओं में संचालित होते हैं।

प्रवेश परीक्षाओं की चुनौतियाँ:

  • समग्र विकास की उपेक्षा: कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) और इसी तरह की मानकीकृत परीक्षाओं की शुरूआत छात्रों के समग्र विकास की अनदेखी करती है और टेस्ट स्कोर पर अनावश्यक जोर देती है।
  • परीक्षा प्रदर्शन तथा शैक्षणिक तैयारी का मुद्दा: शत प्रतिशत सफलता की गारंटी देने वाले कोचिंग संस्थानों की प्रचुरता के बावजूद, उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश करने वाले छात्रों की क्षमता चिंताजनक बनी हुई है, जो परीक्षा प्रदर्शन और शैक्षणिक तैयारी के बीच अंतर को कम करने का सुझाव देती है।

आगे की राह:

  • मूल कारणों पर ध्यान देना:
    • सामाजिक दबाव: छात्रों द्वारा अनुभव किया जाने वाला तनाव सामाजिक मानदंडों, पारिवारिक अपेक्षाओं और शैक्षणिक उपलब्धि पर ध्यान केंद्रित करने से उत्पन्न होता है।
    • छात्र तनाव पर ध्यान देना: हालाँकि पारिवारिक दबाव जैसे कुछ कारकों के लिए व्यापक सामाजिक परिवर्तन की आवश्यकता हो सकती है, परीक्षा प्रणालियों और शैक्षिक नीतियों में सुधार के माध्यम से इस प्रकृति के तनावों को कम किया जा सकता है।
  • सरकारी शिक्षण संस्थानों की बुनियादी संरचना में सुधार: छात्रों पर दबाव कम करने के लिए, योग्य शिक्षकों की भर्ती और बुनियादी ढाँचे को उन्नत करने जैसे उपायों के माध्यम से सरकारी स्कूलों में सुधार करने की आवश्यकता है।
  • शिक्षा बोर्डों को समान बनाना: सीयूईटी जैसी परीक्षा के माध्यम से छात्रों द्वारा किए गए 12 वर्षों के प्रयास को नकारने के बजाय राज्य, सीबीएसई और अन्य बोर्डों को एक समान स्तर पर लाया जाना चाहिए।
  • प्रवेश परीक्षाओं का पुनर्मूल्यांकन: यदि आवश्यक हो तो एक सामान्य प्रवेश परीक्षा पर भी विचार किया जा सकता है
  • व्यक्तिगत साक्षात्कार को शामिल करना: प्रवेश परीक्षाओं में छात्रों के गैर-शैक्षणिक कौशल और प्रतिभा का आकलन करने के लिए व्यक्तिगत साक्षात्कार घटकों को शामिल करना चाहिए।
    • व्यक्तिगत साक्षात्कार छात्रों को परीक्षण स्कोर से अधिक अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करते हैं, जिससे समग्र मूल्यांकन प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है।
  • व्यापक मूल्यांकन: शैक्षणिक अंकों के साथ व्यक्तिगत साक्षात्कार को शामिल करने से व समग्र रुप से मूल्यांकन की ग्रेडिंग प्रणाली को लागू करने से, परीक्षा के तनाव के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है और छात्रों को उनके अंकों से इतर मूल्य की भावना प्रदान की जा सकती है।
  • छात्रों के सर्वांगीर्ण विकास को प्राथमिकता देना: शिक्षकों, अभिभावकों व नीति निर्माताओं द्वारा युवा छात्रों के सर्वांगीर्ण विकास को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। ऐसे सुधारों को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है जो कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के साथ-साथ उनकी प्रतिभा, रचनात्मकता व भावात्मक बुद्धिमत्ता जैसे विविध पहलुओं का विकास में सहायक भूमिका का निर्वहन कर सके।

निष्कर्ष:

निष्कर्षतः छात्र तनाव के अंतर्निहित मूल कारणों पर ध्यान दिए बिना, छात्रों में आत्महत्या की यह प्रवृत्ति जारी रहेगी, जिससे युवाओं का भविष्य खतरे में पड़ सकता है ।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                    (UPSC : 2018)                                         

प्रश्न. वुड डिस्पैच ;के संदर्भ में ,निम्नलिखित कथनों में से कौन-से सही हैं?

  1. सहायता अनुदान व्यवस्था (ग्रांट्स-इन-एड) शुरू की गई।
  2. विश्वविद्यालयों की स्थापना की सिफारिश की गई। 
  3. शिक्षा के सभी स्तरों पर शिक्षण माध्यम के रूप में अंग्रेज़ी की सिफारिश की गई।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: (a)

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