Q. वर्ष 2025 के अखिल भारतीय समकालिक हाथी अनुमान से जंगली हाथियों की संख्या में 18% की गिरावट की जानकारी प्राप्त होती है। इसके अंतर्निहित कारणों की विवेचना कीजिए और संरक्षण लक्ष्यों को विकास की आवश्यकताओं के साथ सामंजस्य स्थापित करने के उपाय सुझाइए। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • हाथियों की संख्या में गिरावट के अंतर्निहित कारण बताइये।
  • संरक्षण और विकास के बीच सामंजस्य स्थापित करने के उपाय लिखिए।

उत्तर

वर्ष 2025 की ‘ऑल-इंडिया सिन्क्रोनस एलीफैंट एस्टीमेशन’ (SAIEE) रिपोर्ट में जंगली हाथियों की आबादी में लगभग 18% की कमी दर्ज की गई है, जो बढ़ते आवासीय क्षरण, मानव–हाथी संघर्ष तथा अवसंरचनात्मक दबावों की ओर संकेत करती है। यह चिंताजनक प्रवृत्ति इस बात की ओर इशारा करती है कि संरक्षण और विकास के बीच संतुलन के लिए कारणों का गहन विश्लेषण और ठोस कदम आवश्यक हैं।

हाथियों की घटती आबादी के प्रमुख कारण

  • आवासीय विखंडन: शहरीकरण, अवसंरचना परियोजनाएँ तथा कृषि विस्तार के कारण हाथियों के प्राकृतिक आवास बिखर गए हैं, जिससे उनके प्रवास मार्ग सीमित हो गए हैं।
    • उदाहरण: असम में सड़कों के निर्माण से जंगलों के बीच से गुजरने वाले हाथी गलियारे बाधित हुए, जिससे वे मानव बस्तियों में प्रवेश करने को मजबूर हुए।
  • शिकार और अवैध वन्यजीव व्यापार: हाथियों का अवैध शिकार हाथीदांत, त्वचा और अन्य अंगों के लिए आज भी जारी है।
    • उदाहरण: वर्ष 2023 में ओडिशा में कई हाथियों की दाँतों के लिए हत्या की गई, जिससे बड़े स्तर पर वन्यजीव अपराध सामने आया।
  • मानव–हाथी संघर्ष: जैसे-जैसे मानव बस्तियाँ हाथी आवासों में फैलती जा रही हैं, संघर्ष बढ़ता जा रहा है, जिससे दोनों ओर जान-माल का नुकसान होता है।
    • उदाहरण: केरल में हाथियों द्वारा फसलों की तबाही से किसानों द्वारा प्रतिशोधात्मक हमले दर्ज किए गए हैं।
  • जलवायु परिवर्तन: असामान्य वर्षा, तापमान वृद्धि और सूखे की स्थिति ने हाथियों के भोजन और जल स्रोतों को प्रभावित किया है।
    • उदाहरण: तमिलनाडु में लंबे सूखे के कारण जंगलों में जल की कमी हुई, जिससे हाथी मानव बस्तियों की ओर जाने लगे।
  • प्रभावी संरक्षण नीतियों की कमी: वन्यजीव संरक्षण कानूनों का कमजोर क्रियान्वयन और एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी से संरक्षण प्रयास प्रभावित होते हैं।
    • उदाहरण: यद्यपि प्रोजेक्ट एलीफैंट मौजूद है, लेकिन कई राज्यों ने इसकी मार्गदर्शिकाओं का पूर्ण पालन नहीं किया, जिससे परिणाम असंगत रहे।

संरक्षण और विकास के बीच संतुलन के उपाय

  • आवासीय पुनर्स्थापन और संपर्क: विखंडित जंगलों को पुनः जोड़कर हाथियों के सुरक्षित प्रवास को सुनिश्चित करना।
    • उदाहरण: केरल के पश्चिमी घाट गलियारे ने सुरक्षित मार्ग प्रदान कर हाथियों की मौतों में उल्लेखनीय कमी की है।
  • वन्यजीव अनुकूल अवसंरचना: ओवरपास, अंडरपास और हाथी-रोधी बाड़ का निर्माण कर सड़क हादसों को घटाना।
    • उदाहरण: दिल्ली–मुंबई एक्सप्रेसवे पर 12 किमी. लंबा वन्यजीव गलियारा (रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में) NHAI द्वारा बनाया गया।
  • समुदाय की भागीदारी: स्थानीय समुदायों को संरक्षण जागरूकता और वैकल्पिक आजीविका से जोड़ना।
    • उदाहरण: केरल के किसानों ने मधुमक्खी के छत्तों वाली बाड़ लगाकर हाथियों को फसलों से दूर रखा और शहद से अतिरिक्त आय प्राप्त की।
  • नीतिगत और कानूनी प्रवर्तन: हाथियों की रक्षा से जुड़े कानूनों को सशक्त बनाना और आवासीय विनाश पर दंड सुनिश्चित करना।
  • सतत् विकास योजना: अवसंरचना और भूमि उपयोग योजनाओं में पारिस्थितिकीय पहलुओं को सम्मिलित करना।
    • उदाहरण: SAIEE 2025 के दौरान सैटेलाइट मैपिंग से मानव हस्तक्षेप और आवास गुणवत्ता का मूल्यांकन कर विकास को महत्त्वपूर्ण हाथी क्षेत्रों से दूर मोड़ा गया।

निष्कर्ष

भारत विश्व के 60% से अधिक एशियाई हाथियों का आवास है किंतु आवासीय अतिक्रमण, विकास परियोजनाएँ और मानव–हाथी संघर्ष उनके अस्तित्व को संकट में डाल रहे हैं। हाथियों की घटती आबादी एक चेतावनी है, यह दर्शाती है कि सक्रिय निगरानी, वैज्ञानिक प्रबंधन और दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता है, केवल तभी भारत विकास और संरक्षण के बीच ऐसा संतुलन स्थापित कर सकेगा जिससे यह प्राचीन प्रजाति सुरक्षित भविष्य की ओर अग्रसर हो सके।

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