Q. 1990 के दशक के मध्य से केंद्र सरकारों द्वारा अनुच्छेद 356 के उपयोग की कम आवृत्ति के लिए जिम्मेदार कानूनी और राजनीतिक कारकों का वर्णन कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • 1990 के दशक के मध्य से केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद-356 के उपयोग की कम आवृत्ति के लिए जिम्मेदार कानूनी कारकों के बारे में बताइए।
  • 1990 के दशक के मध्य से केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद-356 के उपयोग की कम आवृत्ति के लिए जिम्मेदार राजनीतिक कारकों को बताइए। 

उत्तर

अनुच्छेद-356 राष्ट्रपति को संवैधानिक तंत्र के विफल होने स्थिति में राज्य सरकार को निलंबित करने एवं राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने का अधिकार देता है। हालाँकि, विभिन्न कानूनी तथा राजनीतिक कारकों के कारण 1990 के दशक के मध्य से इसके उपयोग में काफी गिरावट आई है।

अनुच्छेद-356 के उपयोग की कम आवृत्ति के लिए जिम्मेदार कानूनी कारक

  • न्यायिक निर्णय: एस. आर. बोम्मई वाद (1994) ने स्थापित किया कि राज्य विधानसभा को भंग करने की राष्ट्रपति की शक्ति न्यायिक समीक्षा के अधीन है। इसने अनुच्छेद-356 को लागू करने के लिए स्पष्ट शर्तें भी निर्धारित कीं, ताकि इसका विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित हो सके। 
  • संवैधानिक जनादेश का सिद्धांत: न्यायालयों ने संघवाद को मजबूत किया है, राज्य की स्वायत्तता एवं अनुच्छेद-356 के संयमित अनुप्रयोग का समर्थन किया है। 
  • सरकारिया एवं पुंछी आयोग: दोनों ने अनुच्छेद-356 के प्रतिबंधात्मक उपयोग पर जोर दिया – पहले ने सहकारी संघवाद को बनाए रखने के लिए एवं दूसरे ने लोकतांत्रिक शासन तथा संघीय संतुलन को मजबूत करने के लिए। 
  • सख्त जाँच: नबाम रेबिया केस (2016) ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को रद्द करके राष्ट्रपति के विवेकाधीन शक्तियों  पर न्यायिक जाँच को वरीयता दी है। 

अनुच्छेद-356 के उपयोग की कम आवृत्ति के लिए जिम्मेदार राजनीतिक कारक

  • गठबंधन की राजनीति: गठबंधन की राजनीति के उद्भव ने सहयोगी शासन को बढ़ावा दिया है, अनुच्छेद-356 के आवेगपूर्ण अनुप्रयोग को कम किया है एवं राजनीतिक सद्भाव को बढ़ावा दिया है।
  • सार्वजनिक धारणा एवं मीडिया: मीडिया की जाँच एवं एक सूचित सार्वजनिक राय अनुच्छेद-356 के मनमाने उपयोग के विरुद्ध पर्याप्त निवारक के रूप में उभरी है, जो सरकार को जवाबदेह बनाती है तथा लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बढ़ावा देती है।
  • क्षेत्रीय पार्टी की शक्ति: क्षेत्रीय दलों के प्रभाव में वृद्धि ने एक संतुलित शक्ति गतिशीलता विकसित की है, जिससे अनुच्छेद-356 को अनावश्यक रूप से लागू करने की प्रवृत्ति कम हो गई है।
  • राजनीतिक परिपक्वता: भारत ने एक अधिक परिपक्व राजनीतिक माहौल की ओर विकास देखा है, जहाँ स्थिरता एवं शासन सत्ता संघर्षों पर प्राथमिकता लेते हैं, जो संवैधानिक मानदंडों के पालन को प्रोत्साहित करते हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय छवि: लोकतांत्रिक छवि बनाए रखने की इच्छा ने केंद्र सरकारों को संवैधानिक मानदंडों एवं सिद्धांतों का पालन करने के लिए प्रभावित किया है।

इस प्रकार, पिछले कुछ वर्षों में, विकसित राजनीतिक माहौल के साथ विवेकपूर्ण कानूनी हस्तक्षेप अनुच्छेद-356 को लागू करने की आवृत्ति को कम करने एवं एक सामंजस्यपूर्ण तथा संतुलित शासन संरचना को बढ़ावा देने में सहायक रहे हैं। यह एक परिपक्व एवं विकसित लोकतंत्र को दर्शाता है, जो अपने संविधान के परिकल्पित आदर्शों को पूरा करने की दिशा में उत्तरोत्तर कार्य कर रहा है।

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