प्रश्न की मुख्य माँग
- भारत में शासन दक्षता और आर्थिक उत्पादकता में सुधार लाने में दो टाइम जोन का संभावित योगदान।
- भारत में दो समय क्षेत्र लागू करने में चुनौतियाँ।
- आगे की राह लिखिए।
|
उत्तर
भारत वर्तमान में गुजरात से अरुणाचल प्रदेश तक 29° देशांतर पर फैले होने के बावजूद एक ही टाइम जोन (IST – UTC+5:30) का पालन करता है। इससे सूर्योदय में काफी असमानता उत्पन्न होती है, जिससे पूर्व में दिन का प्रकाश बर्बाद होता है। दो टाइम जोन की माँग का उद्देश्य काम के घंटों को प्राकृतिक दिन के प्रकाश के साथ बेहतर ढंग से संरेखित करना, शासन और उत्पादकता में सुधार करना है।
शासन दक्षता और आर्थिक उत्पादकता में दो टाइम जोन का संभावित योगदान
शासन दक्षता
- स्थानीय दिन के प्रकाश के साथ बेहतर संरेखण: दो टाइम जोन पूर्वोत्तर में सरकारी कार्यालयों को सूर्योदय के साथ संरेखित काम शुरू करने में सक्षम बना सकते हैं।
- उदाहरण: असम में सूर्योदय के समय प्रातः 4:30 बजे का समय कम उपयोग में आता है, क्योंकि सरकारी कार्यालय भारतीय मानक समयानुसार प्रातः 10 बजे से ही खुल जाते हैं ।
- बेहतर सार्वजनिक सेवा वितरण: कार्य समय को प्राकृतिक दिन के प्रकाश के साथ संरेखित करने से यह सुनिश्चित होता है कि स्कूल, स्वास्थ्य सेवा केंद्र उस समय संचालित होते हैं, जब लोग सबसे अधिक सक्रिय और सतर्क होते हैं, जिससे सेवाओं की पहुँच और दक्षता बढ़ जाती है।
- कानून प्रवर्तन में सुधार: दिन के प्रकाश के हिसाब से समय तय करने से पुलिस गश्त और आपातकालीन सेवाओं को समय पर पहुँचाने में मदद मिलती है।
- उदाहरण के लिए अरुणाचल प्रदेश में थोड़ा पहले शुरू होने वाला टाइम जोन, LAC सीमा पर गश्त के लिए दिन के प्रकाश को बढ़ाएँगे जिससे निगरानी में सुधार होगा और IST के तहत सूर्यास्त से होने वाले जोखिम को कम किया जा सकेगा।
- अधिक प्रभावी आपदा प्रबंधन: आपदा प्रतिक्रिया समय को प्राकृतिक दिन के प्रकाश के साथ संरेखित करने से समन्वय बढ़ता है और आपात स्थितियों के दौरान बचाव कार्यों में तेजी आती है।
आर्थिक उत्पादकता
- उत्पादकता में कमी: पूर्व दिशा में सूर्योदय का बेहतर उपयोग किया जा सकता है, जिससे श्रम उत्पादन में वृद्धि होगी।
- उदाहरण के लिए, पूर्वोत्तर चाय बागान दिन के प्रकाश का अधिकतम उपयोग करने के लिए ” चाय बागान टाइम ” ( IST से एक घंटा आगे ) का पालन करते हैं।
- पर्याप्त ऊर्जा बचत: दो टाइम जोन कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था पर निर्भरता कम करते हैं, जिससे बिजली की खपत कम होती है।
- उदाहरण के लिए, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज (NIAS) के एक अध्ययन ने गणना की कि IST को आधे घंटे आगे बढ़ाने से सालाना 2.7 बिलियन यूनिट बिजली की बचत होगी।
- महिलाओं की कार्यबल भागीदारी को बढ़ावा: दिन के प्रकाश आधारित कार्य घंटे सुरक्षा और कार्य-जीवन संतुलन में सुधार करते हैं।
- बेहतर नागरिक विमानन दक्षता: टाइम जोन के अंतर हवाई अड्डे के संचालन को दिन के प्रकाश के साथ संरेखित करते हैं, जिससे अधिक फ्लाइट रोटेशन और कम टर्नअराउंड समय संभव होता है।
- उदाहरण: नागरिक उड्डयन मंत्रालय का अनुमान है कि एक घंटे के अंतर वाले दोहरे टाइम जोन में विमान उपयोग में 20% की वृद्धि होगी।
भारत में दो टाइम जोन लागू करने में चुनौतियाँ
- समन्वय जटिलताएँ: रेलवे, बैंकिंग और संचार प्रणालियों को समन्वय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- उदाहरण: भारतीय रेलवे प्रतिदिन एकल टाइम ग्रिड पर 13,500 से अधिक यात्री रेलगाड़ियों का प्रबंधन करता है, जो दो टाइम जोन के कारण व्यवधान का सामना कर सकती है।
- टाइम जोन सीमाओं पर समस्या: कम साक्षरता और जागरूकता वाले क्षेत्रों में टाइम जोन पार करते समय घड़ियों को बदलने से भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल-असम जैसी राज्य सीमाओं के पास घड़ी को रीसेट करने से स्थानीय प्रशासनिक समस्या हो सकती है ।
- कानूनी और संवैधानिक बाधाएँ: IST को कानूनी रूप से परिभाषित किया गया है, इसमें बदलाव के लिए संसदीय संशोधन की आवश्यकता होती है।
- उदाहरण के लिए वजन और माप मानक अधिनियम, 1956 IST को नियंत्रित करता है।
- बुनियादी ढाँचे का बोझ: दो क्षेत्रों को लागू करने के लिए नए टाइम कीपिंग लैब्स सहित प्रमुख वैज्ञानिक बुनियादी ढाँचे के उन्नयन की आवश्यकता है।
- उदाहरण: CSIR-NPL को फ्राँस के अंतरराष्ट्रीय माप-तौल ब्यूरो (BIPM) में UTC से संबद्ध दूसरा प्राथमिक समय समूह-II स्थापित करने की आवश्यकता होगी।
- राष्ट्रीय एकता की चिंताएँ: दोहरा समय क्षेत्र क्षेत्रीय विभाजन को और गहरा कर सकता है, जिससे उत्तर-पूर्व में अलगाव की धारणा को बल मिलेगा। आलोचकों को डर है कि इससे उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (NER) में अलगाववादी भावनाएँ और बढ़ सकती हैं, जो पहले से ही पहचान के मुद्दों के प्रति संवेदनशील है।
आगे की राह
- डेलाइट सेविंग टाइम (DST) को अपनाना: अप्रैल से सितंबर तक DST को लागू करने से गतिविधियों को दिन के प्रकाश के साथ जोड़ा जा सकता है और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है।
- उदाहरण के लिए, चीन, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया जैसे देश ऊर्जा बचाने और शाम के समय पर्यटक गतिविधियों बढ़ाने के लिए DST का उपयोग करते हैं।
- IST का स्थायी समय परिवर्तन: IST को 30 मिनट आगे बढ़ाकर 90°E (UTC+6:00) के साथ संरेखित करने से दो क्षेत्रों के लिए एकीकृत विकल्प उपलब्ध होता है।
- हितधारक परामर्श: सरकार को टाइम जोन सुधारों के लिए आम सहमति बनाने हेतु जनता, व्यवसायों और शिक्षाविदों के साथ मिलकर काम करना चाहिए।
- लचीले कार्य घंटे: राज्य औपचारिक रूप से IST में बदलाव किए बिना सूर्योदय से जुड़े समय को अपना सकते हैं।
- उदाहरण: मिजोरम सरकार ने सुझाव दिया कि कार्यालयों का संचालन सुबह 7 बजे से दोपहर 2 बजे तक होना चाहिए, जिससे कार्यकुशलता में सुधार होगा।
दो टाइम जोन को अपनाने से प्राकृतिक दिन के प्रकाश के साथ गतिविधियों को समन्वयित करके शासन दक्षता और आर्थिक विकास में पर्याप्त लाभ की उम्मीद है। इस दिशा में सफलता एक सावधानीपूर्वक समन्वित, प्रौद्योगिकी-सक्षम और समावेशी दृष्टिकोण पर निर्भर करती है, जो अधिक उत्पादक और एकजुट भारत का मार्ग प्रशस्त करती है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Latest Comments