प्रश्न की मुख्य माँग
- अफ्रीका में चीन की आर्थिक भागीदारी का विश्लेषण कीजिए तथा बुनियादी ढाँचे के विकास पर इसके प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- अफ्रीका में चीन की आर्थिक भागीदारी का विश्लेषण कीजिए तथा ऋण स्थिरता पर इसके प्रभावों का उल्लेख कीजिए
- इस संबंध से भारत को क्या अंतर्दृष्टि और सबक मिल सकते हैं, इस पर चर्चा कीजिए।
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उत्तर:
पिछले दो दशकों में अफ्रीका में चीन की आर्थिक भागीदारी ने महाद्वीप के विकास को महत्वपूर्ण रूप से आकार दिया है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) जैसी पहलों के माध्यम से, चीन ने अफ्रीका के बुनियादी ढाँचे में भारी निवेश किया है, जिसमें सड़कें, बंदरगाह और विधुत परियोजनाएँ शामिल हैं। इन निवेशों ने व्यापार और औद्योगिक विकास को बढ़ावा दिया है, परंतु वे ऋण स्थिरता और अफ्रीका की दीर्घकालिक आर्थिक स्वतंत्रता के संदर्भ में चिंता भी उत्पन्न करते हैं।
बुनियादी ढाँचे के विकास पर प्रभाव
- प्रमुख अवसंरचना परियोजनाएँ: चीन, अफ्रीका में राजमार्गों, रेलवे और बंदरगाहों का निर्माण करते हुए उसके अवसंरचना विकास में योगदान देने वाला एक प्रमुख देश रहा है। ये परियोजनाएँ कनेक्टिविटी को बढ़ाती हैं, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
- उदाहरण के लिए: चीन द्वारा वित्तपोषित मोम्बासा-नैरोबी रेलवे ने यात्रा के समय को काफी कम कर दिया और केन्या में व्यापार सुधार में योगदान दिया।
- उर्जा क्षेत्र का विकास: अफ्रीका में चीन की भागीदारी में विधुत संयंत्रों का वित्तपोषण और निर्माण शामिल है, जिससे महाद्वीप की ऊर्जा की कमी को दूर करने में मदद मिलती है।
- उदाहरण के लिए: चीनी निवेश से निर्मित इथियोपिया-जिबूती विद्युत लाइन जिबूती को अक्षय विद्युत प्रदान करती है , जिससे क्षेत्रीय ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा मिलता है।
- औद्योगीकरण में सहायता: चीनी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं ने अफ्रीका के औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा दिया है, जिससे रोजगार सृजन और स्थानीय विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा मिला है।
- उदाहरण के लिए: नाइजीरिया में चीनी फंडिंग से निर्मित लेक्की फ्री ट्रेड जोन ने वैश्विक निवेशकों को आकर्षित किया है, जिससे औद्योगिक विकास और रोजगार में वृद्धि हुई है।
- बंदरगाह विकास: बंदरगाह के बुनियादी ढाँचे में चीन के निवेश ने अफ्रीका के वैश्विक व्यापार संपर्क को बढ़ाया है, जिससे निर्यात और आयात अधिक कुशल हो गए हैं।
- उदाहरण के लिए: चीन द्वारा वित्तपोषित, तंजानिया में बागामोयो बंदरगाह परियोजना का लक्ष्य पूर्वी अफ्रीका में सबसे बड़ा बंदरगाह बनना है, जिससे एशिया और उससे आगे के देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
- दूरसंचार उन्नति: हुआवेई और ZTE जैसी चीनी कंपनियों ने अफ्रीका के दूरसंचार बुनियादी ढाँचे में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है।
- उदाहरण के लिए: हुआवेई ने दक्षिण अफ्रीका में 4G नेटवर्क का विस्तार करने में मदद की , जिससे लाखों लोगों तक इंटरनेट की पहुँच सुनिश्चित हुई।
ऋण स्थिरता पर प्रभाव
- कर्ज स्तर में वृद्धि: चीन के ऋणों ने बुनियादी ढाँचे के विकास को बढ़ावा दिया है, लेकिन इसने कई अफ्रीकी देशों के लिए ऋण स्तर में अत्त्याधिक वृद्धि को भी जन्म दिया है।
- उदाहरण के लिए: बोस्टन यूनिवर्सिटी ग्लोबल डेवलपमेंट पॉलिसी सेंटर के अनुसार, अफ्रीकी सरकारों पर वर्ष 2000 से वर्ष 2022 तक चीन का 170 बिलियन डॉलर बकाया है ।
- ऋण-जाल (Debt Trap) की समस्यायें: कुछ चीनी ऋणों की अपारदर्शी प्रकृति ने ऋण-जाल कूटनीति के संबंध में चिंताएँ उत्पन्न की हैं, जहाँ देश ऋण चुकाने के लिए संघर्ष करते हैं, जिससे संपत्ति जब्त होने का जोखिम होता है।
- उदाहरण के लिए: चीन से सबसे बड़े अफ्रीकी उधारकर्ताओं में से एक जाम्बिया को ऋण चुकाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिससे लुसाका अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे जैसी संपत्तियों को जब्त करने के संबंध में चर्चाएँ हुईं।
- ऋण राहत पहल: आलोचना के संदर्भ में, चीन ने सकारात्मक संबंध बनाए रखने के लिए कभी-कभी छोटे ऋणों का पुनर्गठन या उन्हें रद्द करने जैसे निर्णय लिये है।
- उदाहरण के लिए: वर्ष 2020 में , चीन ने महामारी के बीच देश के ऋण बोझ को कम करने के उद्देश्य से गैबॉन को ब्याज मुक्त ऋण प्रदान किया।
- चीनी वित्तपोषण पर निर्भरता: चीनी ऋणों में सख्त शर्तों के न होने से अफ्रीकी देशों को प्रमुख परियोजनाओं के लिए चीनी वित्तपोषण पर निर्भर बना दिया है, जिससे वित्तीय स्वायत्तता कम हो गई है।
- उदाहरण के लिए: केन्या स्टैंडर्ड गेज रेलवे को 90% तक चीन द्वारा वित्त पोषित किया गया था, जिससे केन्याई सरकार के लिए दीर्घकालिक पुनर्भुगतान दायित्व उत्पन्न हो गया।
- सीमित जवाबदेही: कई चीनी ऋणों में गैर-प्रकटीकरण क्लॉज ,पारदर्शिता और जवाबदेही में बाधा उत्पन्न करते हैं जिससे दीर्घकालिक आर्थिक प्रभावों के संबंध में चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
- उदाहरण के लिए: तंजानिया के बागामोयो बंदरगाह परियोजना को प्रतिकूल ऋण शर्तों के कारण अस्थायी रूप से रोक दिया गया था, जिससे चीनी वित्तपोषण के जोखिम उजागर हुए है।
भारत के लिए सबक और अंतर्दृष्टि
- पारदर्शी भागीदारी पर ध्यान देना: भारत, चीन की अपारदर्शी वित्तपोषण प्रथाओं से सीख सकता है और अफ्रीका में पारदर्शी, जवाबदेह भागीदारी बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
- उदाहरण के लिए: भारत का लाइन ऑफ क्रेडिट कार्यक्रम पारदर्शिता पर जोर देता है और अफ्रीकी देशों को अधिक लचीला और पारदर्शी वित्तपोषण तंत्र प्रदान करता है।
- बुनियादी ढाँचे में सहयोग: भारत को अफ्रीकी बुनियादी ढाँचे की परियोजनाओं में अपनी भागीदारी का विस्तार करना चाहिए, तथा सतत और सहयोगात्मक उपक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: भारत का अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन, ग्रामीण बुनियादी ढाँचे के विकास में सहयोग की सुविधा प्रदान करता है।
- ऋण प्रबंधन रणनीतियाँ: भारत ,ब्याज मुक्त ऋण और अनुदान प्रदान करके ऋण-जाल (Debt Trap) मॉडल से बच सकता है, जिससे अफ्रीका में दीर्घकालिक, ऋण-मुक्त विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- उदाहरण के लिए: अफ्रीका के लिए भारत के 10 बिलियन डॉलर के सॉफ्ट लोन पैकेज का उद्देश्य गंभीर ऋण बोझ डाले बिना परियोजनाओं को वित्तपोषित करना है।
- तकनीकी सहयोग: IT और डिजिटल प्रौद्योगिकियों में भारत की शक्ति का लाभ अफ्रीका के डिजिटल बुनियादी ढाँचे को बेहतर बनाने के लिए उठाया जा सकता है, जो चीन के तकनीकी प्रभुत्व का विकल्प प्रदान करता है।
- उदाहरण के लिए: पैन-अफ्रीकन ई-नेटवर्क परियोजना, अफ्रीका में डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के भारत के प्रयासों का एक उदाहरण है।
- क्षमता निर्माण पर ध्यान केन्द्रित करना: भारत, अफ्रीका में कौशल प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को प्राथमिकता दे सकता है, जिससे वित्तीय निर्भरता उत्पन्न किए बिना स्थानीय विकास को समर्थन मिल सके।
- उदाहरण के लिए: भारत -अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन अफ्रीकी पेशेवरों के लिए शैक्षिक छात्रवृत्ति और तकनीकी प्रशिक्षण पर जोर देता है।
अफ्रीका में चीन की भागीदारी, भारत के लिए मूल्यवान सबक प्रदान करती है। पारदर्शी वित्तपोषण , सतत विकास और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करके, भारत ऋण निर्भरता के नुकसान से बचते हुए अफ्रीका के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत कर सकता है। भविष्य-संचालित, संतुलित दृष्टिकोण भारत-अफ्रीका संबंधों को मजबूत करेगा, जिससे क्षेत्र में आपसी विकास और स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।
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