Q. बदलती वैश्विक शक्ति गतिशीलता के संदर्भ में, विश्लेषण कीजिए कि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता की रक्षा करते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बीच जटिल त्रिकोणीय संबंधों को कैसे नेविगेट कर सकता है। पाकिस्तान-केंद्रित फोकस से परे भारत की विदेश नीति के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण का सुझाव दीजिये। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • अपनी सामरिक स्वायत्तता की सुरक्षा करते हुए अमेरिका, रूस और चीन के बीच त्रिकोणीय संबंध बनाए रखने में भारत के समक्ष आने वाली बाधाओं पर प्रकाश डालिए।
  • विश्लेषण कीजिए कि भारत अपनी सामरिक स्वायत्तता की सुरक्षा करते हुए अमेरिका, रूस और चीन के बीच जटिल त्रिकोणीय संबंधों को किस प्रकार संचालित कर सकता है।
  • भारत की विदेश नीति के लिए पाकिस्तान-केंद्रित फोकस से परे एक बहुआयामी दृष्टिकोण का सुझाव दीजिए।

उत्तर

भारतीय विदेश नीति के अंतर्गत अमेरिका, रूस और चीन के साथ जटिल त्रिकोणीय संबंधों को संतुलित करने का प्रयास चल रहा है, जिसका उद्देश्य बदलती वैश्विक शक्ति गतिशीलता के बीच अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखना है। इन संबंधों को संतुलित करना, भारत के राष्ट्रीय हितों और वैश्विक प्रतिष्ठा के लिए महत्त्वपूर्ण है।

रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने में बाधाएँ

  • रक्षा निर्भरता: रूसी सैन्य उपकरणों पर भारत की निर्भरता, पश्चिमी रक्षा ढाँचे के साथ तालमेल बिठाने में चुनौतियां उत्पन्न करती है।
    • उदाहरण: भारत के रक्षा आयात का लगभग 36% हिस्सा रूस से है (2020-24), जो अमेरिका के साथ गहन रक्षा संबंधों को जटिल बनाता है।
  • चीन के साथ आर्थिक संबंध: सीमा पर तनाव के बावजूद, भारत चीन के साथ महत्त्वपूर्ण व्यापारिक संबंध बनाए रखता है, जिससे चीनी नीतियों के विरुद्ध उसका रुख संतुलित बना हुआ है। 
    • उदाहरण: भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2023 में 136 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जिससे चीन भारत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक बन गया।
  • विविध भू-राजनीतिक हित: भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति, अमेरिका के साथ अधिक संरेखित है, जबकि रूस और चीन अलग-अलग क्षेत्रीय एजेंडे अपनाते हैं। 
    • उदाहरण: QUAD में भारत की भागीदारी रूस और चीन की नीतियों के विपरीत है।
  • प्रतिबंध और वैश्विक दबाव: रूस के साथ संबंधों को अधिक मजबूत करने में पश्चिमी प्रतिबंधों का जोखिम है, जिससे भारत की वैश्विक आर्थिक वार्ता प्रभावित हो सकती है। 
    • उदाहरण: भारत को रूस से S-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद पर दबाव का सामना करना पड़ा, साथ ही अमेरिका से CAATSA प्रतिबंध भी लगाए जाने की संभावनाएँ उत्पन्न हुईं।
  • चीन के साथ सीमा विवाद: चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद कूटनीतिक संबंधों को प्रभावित करते हैं और त्रिपक्षीय संबंधों को जटिल बनाते हैं। 
    • उदाहरण: वर्ष 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के कारण भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव बढ़ गया।

त्रिकोणीय संबंध को संतुलित करने की रणनीतियाँ

  • रक्षा साझेदारी में विविधता लाना: कई देशों के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाकर, किसी एक देश पर निर्भरता को कम करना। 
    • उदाहरण: भारत ने फ्राँस और इजरायल जैसे देशों से रक्षा खरीद बढ़ा दी है, जिससे रणनीतिक स्वायत्तता बढ़ गई है।
  • क्षेत्रीय गठबंधनों को मजबूत करना: बाह्य प्रभावों को संतुलित करने के लिए क्षेत्रीय समूहों के साथ अधिक मजबूती से जुड़ना चाहिए। 
    • उदाहरण: ASEAN मंचों में भारत की सक्रिय भागीदारी इसकी क्षेत्रीय उपस्थिति को मजबूत करती है और चीन को संतुलित करती है।
  • आर्थिक आत्मनिर्भरता पहल: आयात पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना चाहिए, विशेष रूप से प्रतिकूल देशों से। 
    • उदाहरण: आत्मनिर्भर भारत पहल का उद्देश्य सभी क्षेत्रों में स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना है।
  • मुद्दा-आधारित संरेखण: स्थायी गठबंधन के बिना विशिष्ट मुद्दों पर सहयोग करके गुटनिरपेक्ष दृष्टिकोण अपनाना। 
    • उदाहरण: भारत रूस के साथ रक्षा संबंध बनाए रखते हुए जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका के साथ जुड़ता है।
  • कूटनीतिक जुड़ाव: संघर्षों को प्रबंधित करने और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सभी प्रमुख शक्तियों के साथ खुले कूटनीतिक चैनल बनाए रखना चाहिए। 
    • उदाहरण: अमेरिका, रूस और चीन के साथ नियमित उच्च स्तरीय वार्ता, संतुलित विदेशी संबंधों को सुगम बनाती है।

पाकिस्तान-केंद्रित फोकस से परे बहुआयामी विदेश नीति

  • ग्लोबल साउथ के साथ जुड़ाव: एकजुटता और आपसी विकास के लिए विकासशील देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना चाहिए। 
    • उदाहरण: अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में भारत का नेतृत्व, संधारणीय ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • अफ्रीका और लैटिन अमेरिका पर ध्यान केंद्रित करना: अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के
    उभरते बाजारों में कूटनीतिक और आर्थिक पहुँच का विस्तार करना। 

    • उदाहरण: भारत की पैन-अफ्रीकी ई-नेटवर्क परियोजना अफ्रीकी देशों में डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाती है।
  • समुद्री सुरक्षा पहल: समुद्री हितों को सुरक्षित करने के लिए नौसेना की क्षमताओं और साझेदारी को बढ़ाना।
    •  उदाहरण: भारत की SAGAR ( सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन ) नीति समुद्री सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
  • तकनीकी सहयोग: नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी साझेदारी में निवेश करना।
    • उदाहरण: जापान जैसे देशों के साथ AI और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है।
  • सांस्कृतिक कूटनीति: सांस्कृतिक आदान-प्रदान और भारतीय धरोहर के वैश्विक प्रचार के माध्यम से सॉफ्ट पॉवर का लाभ उठाना चाहिए। 
    • उदाहरण: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का वैश्विक उत्सव भारत के सांस्कृतिक प्रभाव को दर्शाता है।

अमेरिका-रूस-चीन त्रिकोण के मध्य रणनीतिक स्वायत्तता की भारत की खोज के लिए एक संतुलित और बहुआयामी विदेश नीति की आवश्यकता है। साझेदारी में विविधता लाकर, पाकिस्तान से परे क्षेत्रीय और वैश्विक जुड़ाव पर ध्यान केंद्रित करके तथा आंतरिक क्षमताओं को मजबूत करके, भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्यों को सुलझा सकता है।

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