प्रश्न की मुख्य मांग
- विश्लेषण कीजिए कि यूक्रेन संघर्ष के दौरान भारत का रुख और उसकी कार्यवाइयां अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में उसकी सामरिक स्वायत्तता के सिद्धांतों को किस प्रकार प्रतिबिंबित करती हैं।
- यूक्रेन संघर्ष के दौरान भारत का रुख और कार्य ,अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में उसके गुटनिरपेक्षता के सिद्धांत को किस प्रकार प्रतिबिंबित करते हैं, इस पर प्रकाश डालिए।
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उत्तर:
2022 में शुरू होने वाला रूस -यूक्रेन संघर्ष एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक घटना रही है जिसके व्यापक निहितार्थ हैं। इस संदर्भ में भारत की प्रतिक्रिया, रणनीतिक स्वायत्तता और गुटनिरपेक्षता पर केंद्रित रही है जो वैश्विक शक्ति संघर्षों के बीच इसकी स्वतंत्र विदेश नीति दृष्टिकोण को दर्शाती है । यह रुख भारत के अपने विविध रणनीतिक हितों को संतुलित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में अपनी संप्रभुता बनाए रखने के इरादे को रेखांकित करता है ।
भारत के रुख और कार्यवाइयों में सामरिक स्वायत्तता के सिद्धांत:
- संतुलित कूटनीतिक जुड़ाव: भारत ने रूस और यूक्रेन दोनों के साथ कूटनीतिक संबंध बनाए रखे , संवाद और शांति पर जोर दिया ।
उदाहरण के लिए: रूस की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के मतदान से भारत का दूर रहना , जबकि कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से यूक्रेन के साथ संवाद करना , इसके संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है ।
- ऊर्जा सुरक्षा के बारे में विचार: रूस पर वैश्विक प्रतिबंधों के बावजूद , भारत ने ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रूसी तेल का आयात जारी रखा ।
उदाहरण के लिए: 2024 की पहली तिमाही में 20% की वृद्धि के साथ रूस से भारत का बढ़ा हुआ तेल आयात , ऊर्जा आवश्यकताओं के प्रति उसके व्यावहारिक दृष्टिकोण को दर्शाता है ।
- आर्थिक संबंध: रूस के साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत करना विशेष रूप से ऊर्जा क्षेत्र में , भारत की रणनीतिक आर्थिक योजना को दर्शाता है। उदाहरण के लिए: ऊर्जा
आपूर्ति और वस्तुओं के व्यापार के लिए रूस के सुदूर पूर्व में संयुक्त उद्यम भारत के भू-आर्थिक हितों के साथ संरेखित है ।
- स्वतंत्र विदेश नीति: भारत की निर्णय प्रक्रिया बाह्य दबावों से मुक्त , स्वतंत्र विदेश नीति के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है । उदाहरण के लिए:
पाश्चात्य आलोचना के बावजूद पीएम मोदी की रूस यात्रा , अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को रेखांकित करती है।
- सामरिक विविधीकरण: रूस के साथ मजबूत संबंध बनाए रखते हुए अपनी रक्षा और आर्थिक साझेदारी में विविधता लाने के भारत के प्रयास इसकी सामरिक विविधीकरण को दर्शाते हैं ।
उदाहरण के लिए: पश्चिमी देशों के साथ नए रक्षा संबंधों को स्थापित करने के बावजूद रूसी तेल क्षेत्रों में निरंतर सैन्य सहयोग और निवेश ।
- भू-राजनीतिक संकेत: रूस के साथ संवाद करके भारत ने वैश्विक शक्तियों के बीच कूटनीतिक रूप से पैंतरेबाज़ी करने की अपनी क्षमता का संकेत दिया है । उदाहरण के लिए:
कजाकिस्तान में एससीओ शिखर सम्मेलन को छोड़कर मोदी की मास्को यात्रा भारत की भू-राजनीतिक रणनीति को दर्शाती है ।
भारत के रुख और कार्रवाइयों में गुटनिरपेक्षता के सिद्धांत:
- संघर्ष में तटस्थ रुख: रूस की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के मतदान से भारत का निरंतर दूर रहना उसके गुटनिरपेक्ष रुख को दर्शाता है। उदाहरण के लिए: रूस की आलोचना करने वाले मतदान से दूर रहना जबकि संवाद और शांति की वकालत करना गुटनिरपेक्ष सिद्धांतों के अनुरूप है ।
- मानवीय सहायता: सैन्य भागीदारी के बिना यूक्रेन को मानवीय सहायता प्रदान करना, भारत की गुटनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है ।
उदाहरण के लिए: यूक्रेन को चिकित्सा और मानवीय सहायता देने का भारत द्वारा लिया गया निर्णय, गैर-सैन्य सहायता के लिए उसके समर्थन को दर्शाता है ।
- आर्थिक तटस्थता: रूस और पश्चिमी देशों के साथ निरंतर आर्थिक जुड़ाव ,भारत की गुटनिरपेक्ष आर्थिक नीति को दर्शाता है ।
उदाहरण के लिए: पश्चिमी साझेदारी के साथ-साथ ऊर्जा और रक्षा के लिए रूस के साथ व्यापार संबंध आर्थिक गुटनिरपेक्षता का उदाहरण हैं ।
- सैन्य गठबंधन से बचना: रूस के खिलाफ सैन्य गठबंधन में शामिल होने से भारत का इनकार उसके गुटनिरपेक्ष सैन्य रुख को दर्शाता है ।
उदाहरण के लिए: रूस के खिलाफ नाटो के नेतृत्व वाली पहल में भाग न लेना , सैन्य स्वतंत्रता बनाए रखना ।
- कूटनीतिक संतुलन: किसी भी पक्ष के साथ पूरी तरह से जुड़े बिना, परस्पर विरोधी पक्षों के साथ कूटनीतिक संबंधो को संतुलित करना गुटनिरपेक्षता को दर्शाता है ।
उदाहरण के लिए: रूस और यूक्रेन दोनों के नेताओं के साथ हुई बैठकें, भारत के कूटनीतिक संतुलन को दर्शाती हैं ।
रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान भारत का रुख और उसकी कार्यवाई उसके रणनीतिक स्वायत्तता और गुटनिरपेक्षता के सिद्धांतों का प्रतीक है। संतुलित कूटनीतिक जुड़ाव बनाए रखने , आर्थिक हितों को सुरक्षित रखने और एक स्वतंत्र विदेश नीति को कायम रखने के ज़रिए , भारत जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावी ढंग से सुलझा सकता है। समकालीन घटनाक्रम, जैसे वैश्विक ऊर्जा बाज़ारों में भारत की बढ़ती भूमिका और इसकी रणनीतिक साझेदारी , अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के प्रति इसके सूक्ष्म दृष्टिकोण को आकार देना जारी रखते हैं।
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