प्रश्न की मुख्य माँग
- भारतीय राजनीति के लिए ‘उच्च मार्ग’ के रूप में उग्र मध्येवाद (Radical centrism)।
- उग्र मध्येवाद (Radical centrism) दृष्टिकोण की सीमाएँ और चुनौतियाँ।
- उग्र मध्येवाद (Radical centrism) के माध्यम से राजनीतिक ध्रुवीकरण और सामाजिक विभाजन का समाधान।
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उत्तर
उग्र मध्येवाद (Radical centrism) किसी मध्य मार्ग की खोज नहीं है, बल्कि उसका पुनर्परिभाषण है। यह शशि थरूर की उस दृष्टि को प्रतिबिंबित करता है, जो कठोर विचारधाराओं से आगे बढ़कर समावेशिता, व्यवहारिकता और बहुलवाद पर आधारित राजनीति का निर्माण करना चाहती है। यह भारत को विभाजनकारी अतिवाद के मुकाबले एक संतुलित, उद्देश्यपूर्ण और दूरदर्शी विकल्प प्रदान करता है।
भारतीय राजनीति के लिए ‘उच्च मार्ग’ के रूप में उग्र मध्येवाद (Radical centrism)
- ध्रुवीकरण के बजाय समन्वय: थरूर ऐसी राजनीति की कल्पना करते हैं, जो वामपंथ (Left) की समानता की चिंता और दक्षिणपंथ (Right) के सांस्कृतिक आत्मविश्वास को जोड़ती है, जो नेहरू की समावेशिता और सरदार पटेल की व्यवहारिकता का संतुलित रूप है।
- उदाहरण: कल्याणकारी सुधारों को उद्यमशील स्वतंत्रता के साथ बढ़ावा देना जैसे मनमोहन सिंह के उदारीकरण और मनरेगा (MGNREGA) जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का संतुलन।
- नागरिक राष्ट्रवाद बनाम सांस्कृतिक दुराग्रह: यह राष्ट्रवाद को जातीय या धार्मिक नहीं बल्कि समावेशी, नागरिक और संवैधानिक (Constitutional) रूप में पुनर्परिभाषित करता है।
- उदाहरण: सरदार पटेल की एकीकरण की दृष्टि और अटल बिहारी वाजपेयी की सम्मति की राजनीति — एकता में विविधता का प्रतीक।
- संतुलित आर्थिक दृष्टिकोण (Balanced Economic Approach): यह बाज़ार-आधारित विकास को नैतिक जिम्मेदारी और सार्वजनिक निवेश जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और अवसंरचना के साथ जोड़ने की वकालत करता है।
- उदाहरण: वर्ष 1991 के बाद का उदारीकरण और 2000 के दशक में सामाजिक क्षेत्र पर ध्यान समावेशी विकास का उदाहरण।
- संस्थागत सशक्तीकरण और संवाद: यह सम्मति-आधारित शासन और मजबूत संस्थानों पर बल देता है, जो वाजपेयी की समावेशी नेतृत्व शैली की झलक है।
- बहुलवाद को मुख्य भावना के रूप में रखना: यह विविधता को केवल सहने के बजाय सक्रिय रूप से मनाने की बात करता है, जाति, लिंग, और क्षेत्रीय विविधता सहित।
उग्र मध्येवाद (Radical centrism) दृष्टिकोण की सीमाएँ और चुनौतियाँ
- अस्पष्टता की धारणा: उग्र मध्येवाद (Radical centrism) कभी-कभी विचारधारात्मक रूप से अस्पष्ट लग सकता है, जिससे वाम और दक्षिण दोनों ओर से दूरी बन सकती है।
- उदाहरण: फ्राँस में इमैनुएल मैक्रों जैसे नेताओं पर स्पष्ट वैचारिक प्रतिबद्धता की कमी का आरोप लगाया गया है।
- ध्रुवीकृत वातावरण में राजनीतिक व्यवहार्यता: बहुसंख्यकवाद और पहचान-आधारित राजनीति के बढ़ने से मध्यपंथी आवाजें कमजोर पड़ जाती हैं।
- उदाहरण: वर्ष 2014 के बाद भारत में सहमति-आधारित राजनीति का क्षरण।
- कार्यान्वयन की दुविधाएँ: विकास और समानता में संतुलन लाने के लिए सूक्ष्म नीतिगत क्रियान्वयन की आवश्यकता होती है, जिसे नौकरशाही जड़ता बाधित करती है।
- संस्थागत प्रतिरोध: रेडिकल सुधार के लिए स्वतंत्र और पारदर्शी संस्थान आवश्यक हैं, जो अक्सर राजनीतीकरण से कमजोर हो जाते हैं।
- मतदाताओं से संवाद की कमी: मध्यपंथी विमर्श (Centrist Narrative) अपनी बौद्धिकता और सूक्ष्मता के कारण जनभावनाओं को प्रेरित करने में असफल हो सकता है।
राजनीतिक ध्रुवीकरण और सामाजिक विभाजन का समाधान — उग्र मध्येवाद (Radical centrism) के माध्यम से
- संवाद और सहमति निर्माण: उग्र मध्येवाद (Radical centrism) संवाद को मतवाद से ऊपर रखता है, और सहभागी निर्णय-निर्माण को बढ़ावा देता है।
- उदाहरण: अटल बिहारी वाजपेयी का गठबंधन नेतृत्व (वर्ष 1998–2004) — विभिन्न विचारधाराओं के बीच शासन का उत्कृष्ट उदाहरण।
- नागरिक एवं संवैधानिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा: यह बहिष्करणीय पहचान राजनीति को संवैधानिक मूल्यों पर आधारित नागरिक पहचान से प्रतिस्थापित करती है।
- उदाहरण: ‘संवैधानिक देशभक्ति की अवधारणा — डॉ. भीमराव अंबेडकर के समानता और न्याय पर आधारित एकता के दृष्टिकोण से संरेखित है।
- विकास और सामाजिक समानता में संतुलन: उदार आर्थिक सुधारों को लक्षित कल्याण योजनाओं के साथ जोड़कर वर्ग और क्षेत्रीय असमानताओं को कम किया जा सकता है।
- उदाहरण: उदारीकरण नीतियों के साथ RTE और NRHM जैसी योजनाएँ — समानता के पुल के रूप में।
- स्थानीय शासन और नागरिक भागीदारी को सशक्त बनाना: विकेंद्रीकरण और सहभागी शासन सामाजिक विश्वास और एकता को मजबूत करते हैं।
- उदाहरण: केरल का पीपुल्स प्लान अभियान (वर्ष 1996) — लोकतांत्रिक विश्वास और सामाजिक एकजुटता का मॉडल है।
- संस्थागत विश्वसनीयता और विधि के शासन की बहाली: स्वतंत्र संस्थानों को मजबूत करना और पारदर्शिता सुनिश्चित करना दलीय अविश्वास को कम करता है।
- उदाहरण: स्वतंत्र प्रेस और न्यायपालिका की स्वतंत्रता ।
निष्कर्ष
उग्र मध्येवाद (Radical centrism) एक समावेशी और व्यवहारिक राजनीतिक मार्ग प्रस्तुत करता है, जो संवाद, बहुलवाद और संतुलित सुधार के माध्यम से विचारधारात्मक विभाजन को पाटता है। समानता के साथ विकास और एकता के साथ विविधता को जोड़ते हुए यह भारत को एक दूरदर्शी ढाँचा प्रदान करता है, जो लोकतंत्र, सामाजिक सद्भाव और सुशासन को अधिक ध्रुवीकृत युग में सशक्त बनाता है।
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