उत्तर:
प्रश्न हल करने का दृष्टिकोण:
- भूमिका: म्यांमार की वर्तमान स्थिति का संक्षेप में परिचय दें, जिसमें चल रही राजनीतिक उथल-पुथल और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों और भारत की विदेश नीति और क्षेत्रीय स्थिरता पर इसके निहितार्थों पर प्रकाश डाला जाए।
- मुख्य भाग:
- मानवीय (Humanitarian) और मानवाधिकार प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करते हुए म्यांमार की सेना और प्रतिरोध समूहों के बीच संघर्ष का सारांश प्रस्तुत करें।
- विस्थापन और संसाधनों की कमी सहित आर्थिक चुनौतियों और मानवीय संकटों पर चर्चा करें।
- इस बात पर प्रकाश डालें कि म्यांमार की अस्थिरता, भारत की विदेश नीति को कैसे प्रभावित करती है, विशेषकर सीमा प्रबंधन और क्षेत्रीय संबंधों के संबंध में।
- निष्कर्ष: क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सामरिक हितों के साथ मानवीय चिंताओं को संतुलित करते हुए, म्यांमार के संकट का जवाब देने में भारत की भूमिका पर जोर देते हुए निष्कर्ष निकालें।
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भूमिका:
2024 में म्यांमार का राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य अत्यधिक अशांत बना हुआ है, जिसमें निरंतर सैन्य शासन, व्यापक संघर्ष और मानवीय चुनौतियाँ शामिल हैं। सशस्त्र प्रतिरोध समूहों और नागरिकों दोनों के खिलाफ सेना के आक्रामक रुख ने देश की अस्थिरता को बढ़ा दिया है। म्यांमार में चल रहा यह संकट भारत की विदेश नीति और दक्षिण पूर्व एशिया में व्यापक क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर प्रश्न खड़ा करता है।
मुख्य भाग:
राजनीतिक और सैन्य संघर्ष:
- म्यांमार की स्थिति ,सैन्य प्रशासन और विभिन्न प्रतिरोध बलों के बीच बढ़ते संघर्षों के परिणामस्वरूप बदतर हो गई है। सेना द्वारा थर्मोबेरिक बमों सहित अन्य उपायों के उपयोग से नागरकी मृत्यु हुई हैं और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन हुआ है।
- ऑपरेशन 1027 जैसे अभियानों के माध्यम से प्रतिरोध आंदोलन और गंभीर हो रहा है, जो सेना को चुनौती दे रहा है।
सामाजिक-आर्थिक प्रभाव:
- संघर्ष के कारण बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ है, लगभग 2 मिलियन आंतरिक रूप से विस्थापित लोग और लगभग 94,000 शरणार्थी पड़ोसी देशों में भाग गए हैं।
- सामाजिक-आर्थिक स्थिति गंभीर है, विश्व बैंक ने केवल 1% आर्थिक विकास का संकेत दिया है और देश पर गंभीर मुद्रास्फीति का प्रभाव पड़ रहा है। म्यांमार की मुद्रा के अवमूल्यन के कारण बैंकिंग संकट और आवश्यक आपूर्ति में कमी हो गई है।
मानव अधिकारों के उल्लंघन:
- नागरिकों पर हमले, मानवीय सहायता को अवरुद्ध करना और रोहिंग्या जैसे अल्पसंख्यक समूहों का उत्पीड़न सहित महत्वपूर्ण मानवाधिकारों का हनन एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है।
भारत की विदेश नीति और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए निहितार्थ:
- भारत, म्यांमार के साथ सीमा साझा करते हुए, शरणार्थियों की आमद और सीमा सुरक्षा के प्रबंधन में चुनौतियों का सामना करता है।
- म्यांमार में अस्थिरता, भारत की एक्ट ईस्ट नीति को प्रभावित करती है, जिसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को बढ़ाना है।
- भारत के कूटनीतिक रुख में सामरिक हितों को बनाए रखते हुए और मानवीय चिंताओं को संबोधित करते हुए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना शामिल है।
निष्कर्ष:
म्यांमार की स्थिति मानवीय दायित्वों और सामरिक हितों दोनों को ध्यान में रखते हुए भारत से सूक्ष्म प्रतिक्रिया की मांग करती है। मौजूदा संघर्ष और मानवीय संकट न केवल म्यांमार के लोगों को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और भारत की विदेश नीति पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रहे हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए कूटनीतिक कौशल और क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता की आवश्यकता है। एक संतुलित और सक्रिय विदेश नीति दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल देते हुए, दक्षिण पूर्व एशिया के भविष्य की दिशा को आकार देने में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है।
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