उत्तर:
दृष्टिकोण:
- परिचय: सार्वजनिक सेवा में नवाचार और रचनात्मकता के बारे में लिखें।
मुख्य विषयवस्तु:
- प्रत्येक क्षेत्र में नैतिक दुविधा का उल्लेख करें
- उन नैतिक दुविधाओं को कैसे हल किया जाए, इस पर लिखें।
- निष्कर्ष: नवप्रवर्तन के महत्व को दर्शाते हुए निष्कर्ष निकालिए।
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परिचय:
आज की जटिल दुनिया में, सार्वजनिक अधिकारियों को अक्सर नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ता है, जिसके लिए उन्हें लीक से हटकर सोचने और ऐसे नवीन समाधानों के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता होती है जो नैतिक मानकों को बनाए रखने के साथ-साथ प्रभावी प्रशासन भी सुनिश्चित करते हैं।
मुख्य विषयवस्तु:
नवाचार और रचनात्मकता द्वारा नैतिक दुविधा का समाधान:
- सार्वजनिक अधिकारियों में नवीनता और रचनात्मकता की आवश्यकता का एक ऐसा उदाहरण भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में देखा जा सकता है।
- भारत एक विशाल आबादी और सीमित स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों वाला देश है, जो अक्सर सार्वजनिक अधिकारियों के लिए नैतिक दुविधाओं का कारण बनता है।
- उदाहरण के लिए, COVID-19 महामारी के दौरान सार्वजनिक अधिकारियों को अस्पताल के बिस्तर, ऑक्सीजन आपूर्ति और टीकों जैसे संसाधनों के आवंटन के बारे में कठिन निर्णय लेने पड़े। उस दौरान देखा गया कि ये निर्णय शीघ्रता से और सीमित संसाधनों के साथ जनता के तीव्र दबाव के कारण लेने पड़ते थे।
- इन नैतिक दुविधाओं को हल करने के लिए, सार्वजनिक अधिकारियों को नवीन और रचनात्मक तरीके से सोचना पड़ा।
- उदाहरण के लिए, भारत में कुछ अस्पतालों ने मरीजों की दूर से निगरानी करने के लिए वर्चुअल आईसीयू स्थापित किए, जिससे अधिक गंभीर रोगियों के लिए भौतिक आईसीयू बिस्तर खाली करने में मदद मिली।
- इसके अतिरिक्त, भारत में कुछ राज्यों ने ड्राइव-थ्रू वैक्सीनेशन सेंटर(drive-through vaccination centers) और घर-घर टीकाकरण अभियान जैसे नवीन टीकाकरण अभियान लागू किए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि टीके समान रूप से और कुशलता से वितरित किए जा सकें।
- सार्वजनिक अधिकारियों में नवीनता और रचनात्मकता की आवश्यकता का एक और उदाहरण भारत के शिक्षा क्षेत्र में देखा जा सकता है। भारत एक विशाल जनसंख्या और सीमित शिक्षा संसाधनों वाला देश है, जो अक्सर सार्वजनिक अधिकारियों के लिए नैतिक दुविधाओं का कारण बनता है।
- उदाहरण के लिए, सार्वजनिक अधिकारियों को शिक्षकों, कक्षाओं और पाठ्यपुस्तकों जैसे संसाधनों के आवंटन के बारे में कठिन निर्णय लेने पड़ते हैं। ये निर्णय अक्सर सार्वजनिक दबाव में और सीमित संसाधनों के साथ, लेने पड़ते हैं।
- इन नैतिक दुविधाओं को हल करने के लिए, सार्वजनिक अधिकारियों को नवीन और रचनात्मक तरीके से सोचना होगा।
- उदाहरण के लिए, भारत में कुछ स्कूलों ने ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम लागू किए हैं जो छात्रों को कहीं से भी, कभी भी शैक्षिक संसाधनों तक पहुंचने की अनुमति देते हैं।
- इसके अलावा भारत में कुछ राज्यों ने लड़कियों को स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु उन्हें साइकिल प्रदान करने और वंचित पृष्ठभूमि के बच्चों को पौष्टिक भोजन तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए मध्याह्न भोजन योजनाएं जैसी नवीन नीतियां लागू की हैं।
निष्कर्ष:
सार्वजनिक अधिकारियों में नवीनता और रचनात्मकता आवश्यक है, विशेषकर नैतिक दुविधाओं को हल करते समय। भारत के स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा क्षेत्रों के उदाहरण दर्शाते हैं कि सीमित संसाधनों और तीव्र सार्वजनिक दबाव के बावजूद भी नवीन और रचनात्मक समाधान ढूंढे जा सकते हैं। जिन सार्वजनिक अधिकारियों में ये गुण हैं, वे नैतिक मानकों को बनाए रखते हुए समाज पर महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
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