प्रश्न की मुख्य माँग
- परीक्षण कीजिए कि क्रीमी लेयर प्रावधान का दुरुपयोग आरक्षण प्रणाली के लक्षित लाभार्थियों पर किस प्रकार प्रभाव डालता है।
- निष्पक्ष प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करते हुए इन प्रावधानों के शोषण को रोकने के उपाय सुझाएँ।
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उत्तर:
इंदिरा साहनी फैसले (1992) में, उच्चतम न्यायालय ने सरकार के कदम को उचित ठहराते हुए घोषणा की, कि OBC वर्ग के बीच क्रीमी लेयर को आरक्षण के लाभार्थियों की सूची से बाहर रखा जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि OBC के केवल पात्र सदस्य ही इसका लाभ उठा सकें। हालाँकि, इसके दुरुपयोग से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जहाँ संपन्न व्यक्ति भी आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं, जिससे वास्तव में ज़रूरतमंद लोग इसके लाभ से वंचित रह जाते हैं।
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क्रीमी लेयर प्रावधान का दुरुपयोग आरक्षण प्रणाली के लक्षित लाभार्थियों पर प्रभाव डालता है
- आर्थिक रूप से कमजोर उम्मीदवारों का बहिष्कार: क्रीमी लेयर प्रावधान के दुरुपयोग के परिणामस्वरूप अक्सर आर्थिक रूप से विशेषाधिकार प्राप्त OBC वर्ग के लोगों को आरक्षण का लाभ मिल जाता है, तथा वास्तविक रूप से पात्र उम्मीदवार इससे वंचित रह जाते हैं।
- सकारात्मक कार्रवाई के उद्देश्य को कमजोर करना: आरक्षण का मूल उद्देश्य हाशिए पर स्थित लोगों का कल्याण करना है। क्रीमी लेयर प्रावधान का दुरुपयोग इस उद्देश्य को कमजोर करता है, क्योंकि इससे अमीर व्यक्तियों को भी आरक्षण का लाभ उठाने का मौका मिल जाता है।
- सामाजिक विषमताओं में वृद्धि: जब OBC वर्ग के संपन्न व्यक्ति अनुपातहीन रूप से लाभान्वित होते हैं, तो समुदाय के भीतर सामाजिक विषमताएँ बढ़ती हैं, जिससे असमानता बनी रहती है।
- उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने ऐसे मामलों को उजागर किया है जहाँ आर्थिक रूप से पिछड़े OBC को अभी भी भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें अवसरों की कमी का सामना करना पड़ता है।
- राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया: क्रीमी लेयर द्वारा आरक्षण के अत्यधिक उपयोग के कारण अन्य समुदायों से राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया हुई है, जिससे आरक्षण प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल उठे हैं।
- उदाहरण के लिए: महाराष्ट्र और हरियाणा सहित कई राज्यों में OBC लाभों को क्रीमी लेयर तक विस्तारित करने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं ।
- योग्यता को कमतर आँकना: क्रीमी लेयर प्रावधान का दुरुपयोग कभी-कभी योग्यता-आधारित प्रणाली से समझौता कर सकता है, क्योंकि जो सीटें अधिक योग्य लोगों को मिल सकती थीं, वे अधिक संपन्न लोगों द्वारा ले ली जाती हैं।
- वास्तविक जरूरतमंदों के लिए संसाधनों की सीमित पहुँच: चूँकि अधिक संपन्न परिवार आरक्षण प्रणाली के माध्यम से अवसर प्राप्त कर लेते हैं, वहीं OBC के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों के पास शिक्षा और रोजगार जैसे आवश्यक संसाधनों तक सीमित पहुँच होती है।
- OBC के भीतर विशेषाधिकार का कायम रहना: क्रीमी लेयर प्रावधान के दुरुपयोग से एक चक्र निर्मित होता है, जिसमें OBC वर्ग श्रेणी के अधिक विशेषाधिकार प्राप्त लोग लाभान्वित होते रहते हैं, तथा उनका लाभ कायम रहता है, जबकि हाशिए पर स्थित वर्ग वंचित रह जाते हैं।
निष्पक्ष प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करते हुए इन प्रावधानों के दुरुपयोग को रोकने के उपाय
- आय और संपत्ति के मानदंडों का सख्त कार्यान्वयन: सरकार को नियमित रूप से आय और संपत्ति के मानदंडों को अपडेट करना चाहिए और उन्हें सख्ती से लागू करना चाहिए, जिससे क्रीमी लेयर की पहचान की जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि लाभ उन लोगों तक पहुँचे जिन्हें वास्तव में आवश्यकता है।
- लाभार्थियों की आवधिक समीक्षा: आरक्षण का लाभ उठाने वालों की आवधिक समीक्षा करने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि लाभ आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों को मिल रहा है।
- उदाहरण के लिए: सरकार,आरक्षण के दुरुपयोग को रोकने के लिए लाभार्थियों की आय और सामाजिक स्थिति की 5 वर्षों की समीक्षा का प्रावधान लागू कर सकती है।
- हाशिए पर स्थित समुदायों में जागरूकता कार्यक्रम: सरकार को हाशिए पर स्थित OBC समुदायों को उनके अधिकारों और आरक्षण का लाभ उठाने के लिए जागरूकता अभियान शुरू करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लाभ सबसे वंचित लोगों तक पहुँचे।
- उदाहरण के लिए: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, ग्रामीण OBC समुदायों को लक्षित करके जमीनी स्तर पर जागरूकता अभियान चला सकता है।
- OBC लाभार्थियों पर उन्नत डेटा संग्रह: OBC आरक्षण लाभार्थियों पर विस्तृत डेटा का संग्रह नीति-निर्माताओं को बेहतर लक्षित नीतियाँ सुनिश्चित करने हेतु, इन प्रावधानों का उपयोग करने वालों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि को ट्रैक करने में मदद कर सकता है।
- योग्यता आधारित सहायता कार्यक्रमों को बढ़ावा देना: आरक्षण के समानांतर, सरकार आर्थिक रूप से वंचित OBC छात्रों के लिए विशेष रूप से लक्षित योग्यता आधारित छात्रवृत्ति और सहायता कार्यक्रमों को बढ़ावा दे सकती है ताकि उन्हें भी समान अवसर उपलब्ध कराए जा सकें।
- उदाहरण के लिए: OBC छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना जैसे कार्यक्रम जरूरतमंदों को लक्षित करके शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।
- OBC प्रमाणीकरण की बेहतर निगरानी: यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आर्थिक रूप से संपन्न परिवारों द्वारा पिछड़ेपन के झूठे दावों को रोकने के लिए OBC प्रमाण पत्र, पूरी तरह से पृष्ठभूमि जांच के बाद ही जारी किए जाएं।
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क्रीमी लेयर प्रावधान , आरक्षण लाभों के उचित वितरण को सुनिश्चित करने के लिए अभिकल्पित किया गया है, परंतु अक्सर OBC वर्ग के धनी व्यक्तियों द्वारा इसका दुरुपयोग किया जाता है । इस शोषण को रोकने के लिए, सरकार को सख्त मानदंड लागू करने चाहिए, नियमित ऑडिट करने चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हाशिए पर स्थित वर्गों को वास्तव में लाभ मिले। ऐसा करके, आरक्षण प्रणाली सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने के अपने इच्छित लक्ष्य को पूरा कर सकती है।
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