प्रश्न की मुख्य माँग
- भारत की तकनीकी उन्नति के लिए अनुसंधान सुरक्षा के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- रणनीतिक अनुसंधान हितों की सुरक्षा के साथ खुले सहयोग को संतुलित करने में चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए।
- अनुसंधान सुरक्षा को मजबूत करने के अवसरों का मूल्यांकन कीजिए।
- अनुसंधान सुरक्षा के लिए उभरते वैश्विक खतरों का समाधान करने के उपाय सुझाइये।
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उत्तर
वर्ष 2047 के लिए भारत के विकास लक्ष्यों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को आर्थिक विकास और सामाजिक चुनौतियों के समाधान के केंद्र में रखा गया है। अंतरिक्ष, रक्षा, अर्धचालक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास (R&D) गतिविधियों में वृद्धि देखी जा रही है। हालाँकि, यह वृद्धि सशक्त अनुसंधान सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करती है। प्रगति के साथ–साथ बौद्धिक संपदा की चोरी, विदेशी हस्तक्षेप और साइबर हमलों जैसे खतरों से बचाव, भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और वैश्विक मंच पर तकनीकी बढ़त बनाए रखने के लिए आवश्यक है ।
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खुले सहयोग और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने में चुनौतियाँ
- बौद्धिक संपदा की चोरी और जासूसी: महत्वपूर्ण अनुसंधान को जासूसी और चोरी से बचाना एक बड़ी चुनौती है क्योंकि इससे नवाचार में देरी हो सकती है और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता हो सकता है।
- उदाहरण के लिए: 2020 के, साइबर हमलों में कोविड-19 वैक्सीन अनुसंधान संयंत्रों को निशाना बनाया गया, जिसका उद्देश्य संवेदनशील अनुसंधान और विकास डेटा चुराना था, जिससे वैश्विक महामारी प्रतिक्रियाओं में देरी हुई।
- विदेशी प्रभाव और दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियाँ: खुले सहयोग से कभी-कभी अनधिकृत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण होता है, विशेषकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता या परमाणु अनुसंधान जैसी दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों में।
- उदाहरण के लिए: हार्वर्ड के एक प्रोफेसर और चीनी शोधकर्ताओं को अमेरिकी रक्षा-वित्तपोषित परियोजनाओं पर काम करते समय चीनी फंडिंग से संबंधों का खुलासा न करने के लिए गिरफ्तार किया गया था।
- शोध संस्थानों में अंदरूनी खतरे: संवेदनशील शोध तक पहुँच रखने वाले कर्मचारियों या सहयोगियों से अंदरूनी खतरे , महत्वपूर्ण जानकारी के उल्लंघन का कारण बन सकते हैं।
- उदाहरण के लिए: यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने प्रमुख अंतरिक्ष अनुसंधान डेटा को लक्षित करके साइबर हमलों की सूचना दी जिसमें अंदरूनी सुभेद्यता उजागर हुई।
- अकादमिक स्वतंत्रता और विनियमन में संतुलन: अकादमिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और संवेदनशील अनुसंधान सहयोग पर प्रतिबंध लगाने के बीच संतुलन बनाना विवादास्पद हो सकता है। अत्यधिक विनियमन नवाचार में बाधा डाल सकता है और सहयोग को हतोत्साहित कर सकता है।
- उदाहरण के लिए: शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक संघर्षों के दौरान लगाए गए व्यापक प्रतिबंधों का विरोध किया, उनका तर्क था कि वे वैज्ञानिक प्रगति को बाधित करते हैं।
- जागरूकता और बुनियादी ढाँचे की कमी: सीमित जागरूकता और अपर्याप्त अनुसंधान बुनियादी ढाँचे के कारण अक्सर संस्थान, साइबर हमलों और अनधिकृत पहुंच के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
- उदाहरण के लिए: रणनीतिक क्षेत्रों की वर्ष 2023 की आंतरिक समीक्षा में अनुसंधान प्रयोगशालाओं में भारत के साइबर सुरक्षा उपायों में कमी पाई गई।
अनुसंधान सुरक्षा को मजबूत करने के अवसर
- सुरक्षा मानकों के लिए वैश्विक सहयोग: अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी शोधकर्ताओं या राष्ट्रों को अलग-थलग किए बिना संवेदनशील शोध को सुरक्षित करने के लिए सामान्य ढाँचे को विकसित करने में मदद कर सकती है।
- उदाहरण के लिए: यूरोपीय संघ का होराइजन यूरोप कार्यक्रम खुले विज्ञान को बढ़ावा देते हुए शोध की सुरक्षा के लिए सुरक्षा दिशा-निर्देशों को एकीकृत करता है।
- सामरिक क्षेत्रों में साइबर सुरक्षा को आगे बढ़ाना: उन्नत साइबर सुरक्षा उपायों के साथ डिजिटल बुनियादी ढाँचे को उन्नत करने से संवेदनशील डेटा और अनुसंधान परिणामों की सुरक्षा हो सकती है।
- उदाहरण के लिए: अमेरिका में CHIPS और विज्ञान अधिनियम ने सेमीकंडक्टर अनुसंधान में साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल को बढ़ाया, जिससे डेटा अखंडता सुनिश्चित हुई।
- शोध संस्थानों में क्षमता निर्माण: शोधकर्ताओं और तकनीकी कर्मचारियों के प्रशिक्षण सहित अन्य संस्थागत क्षमताओं का निर्माण, सुभेद्यताओं का समाधान करने में सहायक सिद्ध हो सकता है।
- उदाहरण के लिए: यूरोपीय रक्षा एजेंसी ने अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए साइबर सुरक्षा उपायों पर टीमों को प्रशिक्षित करने के लिए ESA के साथ सहयोग किया ।
- जोखिमों की निगरानी के लिए AI का लाभ उठाना: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संभावित उल्लंघनों की पहचान कर सकता है, अंदरूनी खतरों की निगरानी कर सकता है और साइबर हमलों के खिलाफ डिजिटल नेटवर्क को सुरक्षित कर सकता है।
- उदाहरण के लिए: UK द्वारा ट्रस्टेड रिसर्च फ्रेमवर्क, संवेदनशील शोध परियोजनाओं में विदेशी मध्यक्षेप की निगरानी के लिए AI को शामिल करता है।
- रणनीतिक मूल्य के आधार पर अनुसंधान को वर्गीकृत करना: अनुसंधान क्षेत्रों को वर्गीकृत करने के लिए एक स्तरीय ढाँचा विकसित करने से यह सुनिश्चित हो सकता है कि संसाधन उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर केंद्रित हों, जिन्हें उच्च सुरक्षा की आवश्यकता है।
- उदाहरण के लिए: अनुसंधान साझेदारी के लिए कनाडा के राष्ट्रीय सुरक्षा दिशानिर्देश जोखिमों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए संवेदनशील अनुसंधान क्षेत्रों को वर्गीकृत करते हैं।
भारत के अनुसंधान सुरक्षा ढाँचे को मजबूत करने के उपाय
- समर्पित अनुसंधान सुरक्षा कार्यालय विकसित करना: अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF) के भीतर एक कार्यालय स्थापित करने से सुरक्षा प्रयासों का समन्वय हो सकता है और संस्थानों को मार्गदर्शन प्रदान किया जा सकता है।
- उदाहरण के लिए: U. S. नेशनल साइंस फाउंडेशन की ट्रस्ट (TRUST) पहल राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं के साथ अनुसंधान के खुलेपन को संतुलित करती है।
- साइबर सुरक्षा अवसंरचना को उन्नत करना: अनधिकृत पहुँच को रोकने और साइबर जोखिमों को कम करने के लिए अनुसंधान संस्थानों में उन्नत साइबर सुरक्षा प्रणालियों को लागू करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: डेटा उल्लंघनों को रोकने के लिए भारत के राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) को डिजिटल अवसंरचना को उन्नत करने का काम सौंपा गया है।
- विश्वसनीय अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ जुड़ना: सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और अनुसंधान सुरक्षा के लिए वैश्विक ढाँचा बनाने हेतु सहयोगियों के साथ सहयोग करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: भारत और यूरोपीय संघ ने महत्वपूर्ण अनुसंधान क्षेत्रों के लिए साइबर सुरक्षा क्षमता निर्माण कार्यक्रमों पर साझेदारी की है ।
- जोखिम-आधारित विनियमन: यूरोपीय परिषद द्वारा अनुशंसित आनुपातिक प्रतिक्रिया दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए, ताकि अत्यधिक विनियमन से बचते हुए जोखिमों का प्रबंधन किया जा सके।
- उदाहरण के लिए: होराइजन यूरोप कार्यक्रम वैज्ञानिक प्रगति में बाधा डाले बिना जोखिम-आधारित सुरक्षा प्रोटोकॉल पर बल देता है।
- सुरक्षा निर्णयों में शोधकर्ताओं को शामिल करना: निर्णय लेने में वैज्ञानिक समुदाय को शामिल करने से यह सुनिश्चित होता है कि नीतियाँ अनुसंधान वास्तविकताओं के अनुरूप हों और अनावश्यक बोझ से बचें।
- उदाहरण के लिए: “जितना संभव हो उतना खुला, जितना आवश्यक हो उतना बंद” का सिद्धांत यूरोपीय संघ के अनुसंधान सुरक्षा ढाँचों में निर्णयों का मार्गदर्शन करता है।
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अनुसंधान सुरक्षा,नवाचार को बढ़ावा देते हुए रणनीतिक प्रौद्योगिकियों में भारत की प्रगति की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। खुलेपन और सुरक्षा को संतुलित करने के लिए मजबूत साइबर सुरक्षा, क्षमता निर्माण और रणनीतिक सहयोग सहित लक्षित उपायों की आवश्यकता होती है। डेटा सुरक्षा, पारदर्शिता और समावेशिता सुनिश्चित करने वाले ढाँचे को अपनाकर, भारत उभरते खतरों को कम करते हुए अपनी तकनीकी आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है।
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