Q. चीन के आर्थिक प्रक्षेप पथ और भूराजनीतिक आकांक्षाओं का भारत और वैश्विक व्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव है। चर्चा कीजिए कि भारत को इन विकासों से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और अवसरों से निपटने के लिए रणनीतिक रूप से खुद को किस प्रकार स्थापित करना चाहिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य मांग:

  • चर्चा कीजिए कि चीन की आर्थिक प्रगति और भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को किस प्रकार रणनीतिक रूप से तैयार रहना चाहिए।
  • उन अवसरों का पता लगाएं, जिनका लाभ भारत की रणनीतिक स्थिति चीन की आर्थिक प्रगति और भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से उठा सकती है।

 

उत्तर:

चीन की तीव्र आर्थिक वृद्धि एवं मुखर भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं  भारत एवं  वैश्विक व्यवस्था को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती हैं । चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) जैसी परियोजनाओं ने व्यापार मार्गों को नया आयाम  दिया है साथ ही कई देशों की आर्थिक नीतियों को प्रभावित किया है। इसके अतिरिक्त, दक्षिण चीन सागर में चीन के सैन्य आधुनिकीकरण एवं  गतिविधियों ने क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है । चीन के साथ भारत के आर्थिक संबंधों तथा भारत-चीन सीमा पर भू-राजनीतिक तनावों के कारण इन जटिल चुनौतियों का सामना करने के साथ अवसरों का लाभ उठाने  के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

चीन द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत की रणनीतिक स्थिति:

  • रक्षा क्षमताओं को सुदृढ़ बनाना : चीन से संभावित खतरों का सामना करने के लिए भारत को सैन्य आधुनिकीकरण  जारी रखने के साथ  सीमा पर आधारभूत संरचना को बढ़ाना चाहिए।
    उदाहरण के लिए : लद्दाख में उन्नत हथियारों की तैनाती एवं  सेना की संख्या में वृद्धि  चीनी घुसपैठ के खिलाफ भारत की रक्षात्मक क्षमताओं को मजबूत करती है।
  • आर्थिक साझेदारी में विविधता लाना : अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ संबंधों को मजबूत करके चीन पर आर्थिक निर्भरता कम करना। उदाहरण के लिए : यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करने से भारत के व्यापार संबंधों में विविधता आती है तथा  चीनी आयात पर निर्भरता कम होती है।
  • तकनीकी क्षमता बढ़ाना : चीन की प्रगति के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रौद्योगिकी तथा नवाचार में निवेश करना । उदाहरण के लिए : भारत की स्वदेशी 5G प्रौद्योगिकी का विकास तकनीकी स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है एवं  राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है साथ ही संभावित साइबर खतरों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाता है।
  • गठबंधनों को मजबूत करना : अमेरिका , जापान , ऑस्ट्रेलिया (QUAD) और आसियान देशों जैसे देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी को और बेहतर करना। उदाहरण के लिए : मालाबार नौसैनिक अभ्यास क्वाड (QUAD) राष्ट्रों  के मध्य  सैन्य सहयोग और तत्परता को बढ़ाता है ताकि चीन की समुद्री आक्रामकता का सामना  किया जा सके।
  • क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देना : दक्षिण एशिया तथा हिंद महासागर क्षेत्र में शांति एवं  स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कूटनीति में संलग्न होना ।
    उदाहरण के लिए : बिम्सटेक एवं  सार्क पहलों में भारत की भागीदारी क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देती है तथा  चीन के प्रभाव से उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करती है।
  • वैश्विक मंचों का लाभ उठाना : संयुक्त राष्ट्र , जी-20 और ब्रिक्स जैसे वैश्विक मंचों में सक्रिय रूप से भाग लेना ताकि नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था समर्थन किया जा सके
    उदाहरण के लिए : जलवायु परिवर्तन वार्ता में भारत की भूमिका वैश्विक शासन एवं पर्यावरणीय संपोषणीयता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है ।
  • आर्थिक सुधार : प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने तथा विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए घरेलू आर्थिक सुधारों को लागू करना ।
    उदाहरण के लिए : मेक इन इंडिया पहल विनिर्माण विकास को प्रोत्साहित करती है तथा  स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित कर  चीनी वस्तुओं पर निर्भरता कम करती है ।
  • सार्वजनिक कूटनीति : सकारात्मक अंतरराष्ट्रीय छवि बनाने के लिए अन्य देशों के साथ सांस्कृतिक एवं लोगों के मध्य  संबंधों को मजबूत करना
    उदाहरण के लिए : अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह भारत की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देता है तथा  वैश्विक स्तर पर इसकी सॉफ्ट पावर को बढ़ाता है।

चीन की आर्थिक प्रगति और भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से उत्पन्न अवसर:

  • आर्थिक पुनर्गठन : भारत चीन से अलग अपनी आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने की इच्छुक कंपनियों को आकर्षित कर सकता है, जिससे इसके विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा
    उदाहरण के लिए : भारत में एप्पल के बढ़ते निवेश से भारत के वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की संभावना प्रबल होती है ।
  • तकनीकी सहयोग : प्रौद्योगिकी विकसित करने तथा साझा करने के लिए अन्य देशों के साथ साझेदारी करना , जिससे चीनी तकनीक पर निर्भरता कम हो सके।।
    उदाहरण के लिए : रक्षा प्रौद्योगिकी में इजरायल के साथ भारत का सहयोग नवाचार को बढ़ाता है तथा  राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करता है
  • रणनीतिक अवसंरचना परियोजनाएँ : चीन के BRI का सामना करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) जैसी परियोजनाओं के माध्यम से संपर्क बढ़ाना । उदाहरण के लिए :ईरान में चाबहार बंदरगाह के विकास से क्षेत्रीय व्यापार मार्गों एवं  रणनीतिक पहुंच में सुधार होगा।
  • वैश्विक शासन में नेतृत्व : वैश्विक शासन संरचनाओं में सुधार के लिए भारत को एक प्रमुख शक्ति  के रूप में स्थापित करना। उदाहरण के लिए : अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में इसकी सक्रिय भूमिका अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देती है तथा भारत को सतत विकास में अग्रणी बनाती है।
  • निर्यात बाज़ारों का विस्तार करना : चीन की आर्थिक चुनौतियों का लाभ उठाकर उन क्षेत्रों में बाज़ार हिस्सेदारी प्राप्त करना जहाँ चीन मंदी का सामना कर रहा है। उदाहरण के लिए : फार्मास्यूटिकल्स एवं  टेक्सटाइल्स के निर्यात में वृद्धि  से वैश्विक मांग का लाभ प्राप्त होता  है साथ ही चीनी उत्पादों पर निर्भरता कम होती है।
  • सांस्कृतिक कूटनीति : चीन के सांस्कृतिक विस्तारवाद के विकल्प के रूप में भारत की सांस्कृतिक विरासत तथा सॉफ्ट पावर को प्रोत्साहित करना
    उदाहरण के लिए : वैश्विक स्तर पर भारतीय फिल्मों एवं  व्यंजनों की लोकप्रियता में वृद्धि भारत के सांस्कृतिक प्रभाव तथा सॉफ्ट पावर को बढ़ाती है।
  • पर्यावरण संरक्षण : सतत विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाने के लिए वैश्विक पर्यावरण पहलों में अग्रणी भूमिका निभाना।
    उदाहरण के लिए : पेरिस समझौते के प्रति इसकी प्रतिबद्धता जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण संरक्षण का समाधान करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।।
  • शिक्षा एवं अनुसंधान : चीन की प्रगति के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम  मानव पूंजी का निर्माण करने के लिए शिक्षा एवं अनुसंधान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करना । उदाहरण के लिए : अमेरिका एवं  यूरोप के विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी नवाचार तथा  शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देती है।

चीन की आर्थिक प्रगति और भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपनानी चाहिए। अपनी रक्षा क्षमताओं को सुदृढ़  करके , आर्थिक साझेदारी में विविधता द्वारा  तथा  वैश्विक मंचों का लाभ उठाकर भारत चीन के प्रभाव का प्रभावी ढंग से सामना  कर सकता है। साथ ही, आर्थिक पुनर्गठन , तकनीकी सहयोग तथा  रणनीतिक आधारभूत संरचना  परियोजनाओं के अवसर विकास तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा में वृद्धि  के लिए अवसर प्रदान करते हैं । सक्रिय कूटनीति एवं  रणनीतिक निवेश के माध्यम से , भारत वैश्विक परिदृश्य में अपनी सुरक्षा एवं समृद्धि सुनिश्चित कर सकता है।

 

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