प्रश्न की मुख्य माँग
- नागरिक चार्टर के कार्यान्वयन में बाधा डालने वाले कारक
- नागरिक चार्टर के कार्यान्वयन को मजबूत करने के उपाय
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उत्तर
नागरिक चार्टर की परिकल्पना शासक-केंद्रित शासन से नागरिक-केंद्रित शासन की ओर बदलाव के रूप में की गई थी। हालाँकि नागरिक चार्टर परिणाम आधारित लोक प्रशासन की ओर बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, फिर भी इसका कार्यान्वयन अभी भी संतोषजनक नहीं है। इस पहल को पुनर्जीवित करने के लिए बाधाओं और संबंधित सुधारों की गहन जाँच आवश्यक है।
नागरिक चार्टर के कार्यान्वयन में बाधा डालने वाले कारक
- कानूनी समर्थन का अभाव: चार्टर गैर-बाध्यकारी है और इसमें वैधानिक स्थिति का अभाव है। इससे प्रवर्तनीयता सीमित होती है और विभागीय जवाबदेही कमजोर होती है।
- उदाहरण के लिए: उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के चार्टर में शिकायत निवारण के लिए समय-सीमा तो बताई गई है, लेकिन देरी के लिए कोई कानूनी दंड नहीं है, जैसा कि वर्ष 2021 की CAG रिपोर्ट में बताया गया है।
- कम जन जागरूकता: नागरिक अपने अधिकारों और सेवा मानकों से अनभिज्ञ हैं। इससे नागरिक समय पर और गुणवत्तापूर्ण सेवाओं की माँग करने से कतराते हैं।
- उदाहरण: उत्तर प्रदेश में DARPG के वर्ष 2020 के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि राजस्व कार्यालयों में आने वाले 25% से भी कम नागरिक ही किसी सेवा गारंटी के बारे में जानते थे।
- कमजोर निगरानी तंत्र: सेवा समय सीमा पर कोई संरचित डेटा ट्रैकिंग नहीं। मेट्रिक्स के अभाव में विभागीय प्रदर्शन का मूल्यांकन करना मुश्किल हो जाता है।
- उदाहरण: झारखंड में, RTI के जवाबों से पता चला कि विभागों ने इस बारे में डेटा नहीं रखा कि चार्टर में सूचीबद्ध सेवाएँ समय सीमा के भीतर पूरी हुईं या नहीं।
- शिकायत निवारण का अभाव या कमजोर: चार्टर अक्सर प्रभावी शिकायत मंचों से जुड़े नहीं होते। इससे अनसुलझे मुद्दे बनते हैं और जनता का विश्वास कम होता है।
- उदाहरण के लिए: भोपाल नगर निगम के चार्टर में जल के कनेक्शन की समय सीमा का उल्लेख है, लेकिन ऑनलाइन शिकायत प्रणाली का अभाव है, जिसके परिणामस्वरूप बार-बार नागरिक द्वारा विरोध प्रदर्शन होते हैं (वर्ष 2022)।
- नौकरशाही प्रतिरोध: अधिकारी चार्टर को प्रक्रियात्मक औपचारिकता मानते हैं। प्रेरणा और स्वामित्व की कमी कार्यान्वयन में और देरी करती है।
- उदाहरण के लिए: ARC II की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कई केंद्रीय मंत्रालयों ने सेवा पैटर्न में बदलाव के बावजूद वर्ष 2014 से अपने चार्टर को अद्यतन या समीक्षा नहीं की है।
- सामान्य और पुरानी सामग्री: एक ही तरह के नियम सभी के लिए उपयुक्त होते हैं, लेकिन स्थानीय प्रासंगिकता का ध्यान नहीं रखते।
- उदाहरण के लिए: दंतेवाड़ा जिले (छत्तीसगढ़) में, स्वास्थ्य विभाग के नियम में मोबाइल मेडिकल वैन का उल्लेख नहीं था, जो आदिवासी क्षेत्रों में पहुँच का प्राथमिक साधन है।
- जवाबदेही का कोई ढाँचा नहीं: नियमों का पालन न करने पर कोई कार्रवाई नहीं। इससे सेवा समय सीमा पूरी करने की गंभीरता कम हो जाती है।
- उदाहरण के लिए: दिल्ली में, RTI के जवाबों से पता चला कि जिन अधिकारियों ने चार्टर समय सीमा से अधिक ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने में देरी की, उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
नागरिक चार्टर के कार्यान्वयन को मजबूत करने के उपाय
- कानूनी प्रवर्तनीयता प्रदान करना: चार्टरों को लोक सेवा अधिकार अधिनियमों से जोड़ना चाहिए। इससे समयबद्ध सेवा वितरण सुनिश्चित होगा और दंड का प्रावधान भी होगा।
- उदाहरण के लिए: मध्य प्रदेश का वर्ष 2010 का अधिनियम अधिसूचित सेवाओं में देरी पर दंड का प्रावधान करता है।
- जन जागरूकता बढ़ाना: स्थानीय भाषा में अभियान चलाना चाहिए और कार्यालयों में अनिवार्य रूप से डिस्प्ले लगाने चाहिए। अधिक जागरूकता नागरिकों को समय पर सेवाएँ माँगने के लिए सशक्त बनाएगी।
- उदाहरण के लिए, कर्नाटक ने सकला के अंतर्गत ग्राम पंचायत भवनों में चार्टर प्रदर्शित किए।
- डिजिटल शिकायत प्लेटफॉर्म के साथ एकीकरण: CPGRAMS या राज्य निवारण पोर्टल से लिंक करना चाहिए। इससे शिकायतों की वास्तविक समय पर ट्रैकिंग और समाधान संभव होगा।
- उदाहरण के लिए, राजस्थान ने अपने जन सूचना पोर्टल के साथ चार्टर समय सीमा को एकीकृत किया है।
- निष्पादन लेखा परीक्षाओं को संस्थागत बनाना चाहिए: थर्ड पार्टी लेखा परीक्षाएँ आयोजित करनी चाहिए और वार्षिक अनुपालन रिपोर्ट प्रकाशित करना चाहिए। इससे पारदर्शिता और विभागीय जवाबदेही को बढ़ावा मिलेगा।
- उदाहरण के लिए, केरल का सूचना आयोग सेवा चार्टर कार्यान्वयन का लेखा परीक्षा करता है।
- सेवा वितरण की डिजिटल निगरानी: ट्रैकिंग के लिए डैशबोर्ड और SMS अलर्ट का उपयोग करना चाहिए। इससे त्वरित अलर्ट मिलते हैं और समय पर सेवा वितरण सुनिश्चित होता है।
- उदाहरण के लिए, दिल्ली का डोरस्टेप डिलीवरी पोर्टल वास्तविक समय में स्थिति अपडेट भेजता है।
निष्कर्ष
नागरिक चार्टर नागरिक-केंद्रित शासन को संस्थागत बनाने और सेवा वितरण में जनता का विश्वास बहाल करने का एक सशक्त माध्यम बना हुआ है। इसकी पूर्ण क्षमता को उजागर करने के लिए, इसे कानूनी प्रवर्तनीयता, डिजिटल एकीकरण, स्थानीय प्रासंगिकता और मजबूत जवाबदेही तंत्रों द्वारा समर्थित होना आवश्यक है। जागरूकता और संस्थागत स्वामित्व को मजबूत करना नागरिक चार्टर को उत्तरदायी प्रशासन का एक जीवंत साधन बनाने की कुंजी होगी।
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