प्रश्न की मुख्य माँग
- सर्वोच्च न्यायालय के हालिया निर्णय के आलोक में नागरिकता अधिनियम की धारा 6A की संवैधानिक वैधता का परीक्षण कीजिए।
- मूल्यांकन कीजिए कि यह असम समझौते के उद्देश्यों के साथ किस प्रकार संरेखित है।
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उत्तर
1985 में शुरू किए गए नागरिकता अधिनियम की धारा 6A, बांग्लादेश से असम में अवैध प्रवासियों की आमद को संबोधित करने के लिए असम समझौते को लागू करती है । यह प्रावधान प्रवासियों को उनकी प्रवेश तिथि के आधार पर अलग करता है। 24 मार्च, 1971 को नागरिकता के लिए कट-ऑफ माना जाता है। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने असम की जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक अखंडता के साथ मानवीय चिंताओं को संतुलित करते हुए इसकी संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा ।
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नागरिकता अधिनियम की धारा 6A की संवैधानिक वैधता
- नागरिकता पर संसदीय प्राधिकार: सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 11 और संघ सूची की प्रविष्टि 17 के अंतर्गत नागरिकता के मामलों पर कानून बनाने के संसद के अधिकार की पुनः पुष्टि की, तथा धारा 6A की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा।
- अनुच्छेद 14 के तहत समानता का अधिकार: याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि धारा 6A अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करती है, क्योंकि यह विशेष रूप से असम पर लागू होती है। न्यायालय ने फैसला सुनाया कि असम की अनूठी प्रवासन चुनौतियाँ, कानून के अंतर्गत इस विशेष उपचार को उचित ठहराती हैं।
- अनुच्छेद 29 के तहत सांस्कृतिक अधिकार: याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि प्रवासियों को नागरिकता देने से असमिया संस्कृति पर नकारात्मक असर पड़ता है। न्यायालय ने माना कि जनसांख्यिकीय परिवर्तन सांस्कृतिक पहचान को नष्ट नहीं करते हैं, तथा पुष्टि की कि भारत की सांस्कृतिक विविधता कई जातीय समूहों से समृद्ध है।
- बाह्य आक्रामकता और राष्ट्रीय सुरक्षा: आलोचकों ने सर्बानंद सोनोवाल (2005) मामले का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि धारा 6A अनियंत्रित प्रवास के माध्यम से बाह्य आक्रमण को सक्षम बनाती है । न्यायालय ने निर्णय दिया कि धारा 6A प्रवास को नियंत्रित और विनियमित करती है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- मानवीय विचार: न्यायालय ने माना कि धारा 6A मानवीय चिंताओं और स्वदेशी असमिया लोगों के अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करती है, जो 1971 से पहले के प्रवासियों को असम में रहने की अनुमति देती है, जबकि आगे के प्रवास को रोकती है।
- शक्तियों का संवैधानिक पृथक्करण: न्यायालय ने उन दावों को खारिज कर दिया कि धारा 6A के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता है और यह भी कहा कि अनुच्छेद 11 के तहत संसद की शक्तियां नागरिकता पर कानून बनाने के लिए पर्याप्त हैं और अनुच्छेद 6 तथा 7, विभाजन के बाद की परिस्थितियों से संबंधित हैं।
- प्रवासन नीतियों की न्यायिक समीक्षा: न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि धारा 6A अनियंत्रित प्रवासन की अनुमति नहीं प्रदान करती है तथा विदेशी न्यायाधिकरण जैसे कानूनी तंत्र यह सुनिश्चित करते हैं कि 1971 के बाद के प्रवासियों के साथ कानूनी तरीके से निपटा जाए।
असम समझौते के उद्देश्यों के साथ धारा 6A का संरेखण
- नागरिकता के लिए कट-ऑफ तिथि: धारा 6A असम समझौते के अनुरूप है, जिसमें 24 मार्च, 1971 को प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने की अंतिम कट-ऑफ तिथि के रूप में निर्धारित किया गया है।इससे असम के जनसांख्यिकीय संतुलन की रक्षा होती है ।
- उदाहरण के लिए: इस तिथि के बाद असम में प्रवेश करने वाले प्रवासियों को अवैध अप्रवासी माना जाता है और उन्हें नागरिकता नहीं प्रदान की जाती।
- लंबे समय से बसे प्रवासियों को मान्यता: यह प्रावधान वर्ष 1966 और वर्ष 1971 के बीच असम में प्रवेश करने वाले प्रवासियों को 10 वर्ष की नागरिकता से वंचित करने की अवधि के बाद नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति देता है।
- निर्वासन के लिए कानूनी ढाँचा: धारा 6A, वर्ष 1971 के बाद के प्रवासियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने के लिए कानूनी ढाँचा प्रदान करती है, जो अवैध अप्रवासियों को बाहर निकालने के लिए समझौते की माँग को सीधे संबोधित करती है।
- उदाहरण के लिए: असम में NRC के कार्यान्वयन से निर्दिष्ट कट-ऑफ तिथि के बाद प्रवेश करने वाले व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें निर्वासित करने में मदद मिलती है।
- असमिया पहचान की सुरक्षा: वर्ष 1971 के बाद के अप्रवास को सीमित करके धारा 6A असम समझौते के, स्वदेशी असमिया संस्कृति को संरक्षित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करती है।इससे मूल असमिया नागरिकों की जनसंख्या कम नहीं होगी।
- उदाहरण के लिए: यह समझौता गैर-असमिया आबादी के प्रवास को विनियमित करके असमिया भाषा, संस्कृति और राजनीतिक अधिकारों की रक्षा करता है।
- वर्ष 1971 से पूर्व और वर्ष 1971 के बाद के प्रवासियों के बीच अंतर: धारा 6A, वर्ष 1971 से पूर्व और वर्ष 1971 के बाद के प्रवासियों के बीच असम समझौते द्वारा किये जाने वाले अंतर को प्रतिबिंबित करती है।यह पहले के प्रवासियों को कानूनी मान्यता प्रदान करती है, जबकि वर्ष 1971 के बाद के प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने से रोकती है।
- राजनीतिक स्थिरता के लिए प्रावधान: असम समझौते और धारा 6A का उद्देश्य ,दीर्घकालिक निवासियों को नए प्रवासियों के साथ मूल आबादी पर बोझ डाले बिना समाज में एकीकृत करने की अनुमति देकर राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करना है।
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नागरिकता अधिनियम की धारा 6A को बरकरार रखने वाला सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इसकी संवैधानिक वैधता और असम समझौते के उद्देश्यों के साथ इसके संरेखण की पुष्टि करता है। धारा 6A, असम की जनसांख्यिकीय अखंडता की रक्षा करने की आवश्यकता को लंबे समय से बसे प्रवासियों को मान्यता देने की मानवीय अनिवार्यता के साथ संतुलित करती है। यह असम के मूल निवासियों के अधिकारों और पहचान को संरक्षित करते हुए असम की प्रवासन चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक मजबूत ढाँचा प्रदान करती है।
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