Q. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) और राज्य स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रमों ने वित्तीय सुरक्षा का विस्तार किया है, लेकिन भारत में समग्र स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने के लिए ये कार्यक्रम अपर्याप्त हैं। सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) के मार्ग के रूप में स्वास्थ्य बीमा की भूमिका का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • चर्चा कीजिए कि स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ भारत में समग्र स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने में किस प्रकार सहायक हैं।
  • भारत में समग्र स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने में स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की चुनौतियाँ।
  • आगे की उपयुक्त राह लिखिए।

उत्तर

भोरे समिति (1946) ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल (Universal Health Care – UHC) की परिकल्पना इस रूप में की थी कि प्रत्येक नागरिक को, उसकी आर्थिक क्षमता अथवा भुगतान करने की योग्यता की परवाह किए बिना, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएँ। यद्यपि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) तथा विभिन्न राज्य स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रमों जैसे उपक्रमों ने वित्तीय संरक्षण को एक सीमा तक विस्तृत किया है और बड़ी संख्या में गरीब एवं वंचित वर्गों को राहत प्रदान की है, तथापि इन पहलों की पहुँच और प्रभाव अभी भी सीमित है। इन उपायों से व्यापक एवं समग्र स्वास्थ्य सेवा तंत्र, अर्थात् वास्तविक सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल की प्राप्ति अभी दूर है।

भारत में समग्र स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने में स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ कैसे सहायक हैं?

  • गरीबों के लिए वित्तीय सुरक्षा: प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना तथा राज्य स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम (SHIPs) जैसी योजनाएँ निम्न-आय वर्ग के परिवारों को महँगे अस्पताल व्यय से बचाती हैं।
    • उदाहरण के लिए: PM-JAY के अंतर्गत लगभग 58.8 करोड़ व्यक्तियों को प्रतिवर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक का कवरेज उपलब्ध है। जब सार्वजनिक अस्पतालों में अत्यधिक भीड़ हो जाती है, तब यह योजना गरीब परिवारों का निजी अस्पतालों में इलाज सुनिश्चित कर उनकी जेब से होने वाले खर्च को उल्लेखनीय रूप से घटाती है। 
  • अस्पतालों तक पहुँच में वृद्धि: इन योजनाओं के लाभार्थियों को अधिक विस्तृत अस्पताल नेटवर्क तक पहुँच मिलती है, जिसमें सार्वजनिक अस्पतालों के साथ-साथ निजी अस्पताल भी सम्मिलित हैं।
    • उदाहरण के लिए: PM-JAY के अंतर्गत सूचीबद्ध अस्पतालों में लगभग आधे निजी अस्पताल हैं, जिससे उपचार के विकल्प और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता दोनों में वृद्धि हुई है।
  • आपात स्थिति के दौरान सहायता: स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ संकट के समय में जीवनरक्षक सिद्ध हुई हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान जब सार्वजनिक अस्पतालों पर अत्यधिक दबाव था, तब इन योजनाओं के अंतर्गत निजी क्षेत्र के अस्पतालों ने भी उपचार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता बनी रही।
  • राज्य की भागीदारी को प्रोत्साहित करना: अधिकांश राज्य सरकारों ने अपने-अपने स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम (SHIPs) प्रारंभ किए हैं, जिसके कारण एक विस्तृत सुरक्षा तंत्र तैयार हुआ है। साथ ही, इससे संस्थागत स्वास्थ्य देखभाल के प्रति नागरिकों में जागरूकता भी बढ़ी है।
    • उदाहरण के लिए: गुजरात, केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्य प्रतिवर्ष अपने SHIP बजट में लगभग 8% से 25% तक की वृद्धि करते आ रहे हैं।
  • सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल (UHC) की दिशा में एक कदम: यद्यपि ये योजनाएँ अभी पूर्ण समाधान प्रस्तुत नहीं करतीं, फिर भी इनसे व्यापक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में नीति-नैतिक  प्रतिबद्धता का संकेत मिलता है। इन योजनाओं ने भविष्य के लिए एक ठोस आधारशिला तैयार की है, जिससे दीर्घकाल में सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल का समग्र मॉडल विकसित किया जा सकता है।

भारत में समग्र स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने में स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की चुनौतियाँ

  • लाभ-उन्मुख पक्षपात: स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के अंतर्गत आवंटित अधिकांश धनराशि निजी अस्पतालों को जाती है। इससे लाभ-केंद्रित चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा मिलता है और सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों की उपेक्षा होती है।
    • उदाहरण के लिए: प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लगभग दो-तिहाई बजट का व्यय निजी अस्पतालों पर किया जाता है और इन पर सख्त नियामक नियंत्रण का अभाव है।
  • प्राथमिक एवं निवारक देखभाल की उपेक्षा: इन योजनाओं का मुख्य ध्यान अस्पताल में भर्ती (hospitalisation) पर केंद्रित है। इसके कारण बाह्य रोगी उपचार , प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ तथा निवारक स्वास्थ्य देखभाल के लिए पर्याप्त वित्तीय आवंटन नहीं हो पाता।
    • उदाहरण के लिए: यदि PM-JAY के दायरे को वृद्ध नागरिकों तक विस्तारित किया जाता है, तो संसाधनों का बड़ा हिस्सा महँगे तृतीयक उपचार पर खर्च होगा, जिससे प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाएँ और पिछड़ जाएँगी।
  • उच्च कवरेज के बावजूद कम उपयोग: आधिकारिक आँकड़े दर्शाते हैं कि PM-JAY और राज्य स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम मिलकर लगभग 80% जनसंख्या को कवर करते हैं। लेकिन योजनाओं के प्रति जन-जागरूकता और वास्तविक उपयोग का स्तर बेहद कम है।
    • उदाहरण के लिए: हाउसहोल्ड कंजंपशन एक्सपेंडिचर सर्वे के अनुसार, वर्ष 2022–23 में बीमाकृत मरीजों में केवल 35% लोग ही अपनी बीमा सुविधा का उपयोग कर पाए। यह कम उपयोग दर योजनाओं की सीमित प्रभावशीलता को उजागर करती है।
  • भेदभाव और देरी: कई निजी अस्पताल बीमाधारक मरीजों को हतोत्साहित करते हैं क्योंकि उन्हें समय पर प्रतिपूर्ति नहीं मिलती। दूसरी ओर, सार्वजनिक अस्पताल अक्सर बीमित मरीजों को प्राथमिकता देते हैं, जिससे सेवाओं में असंतुलन उत्पन्न होता है।
    • उदाहरण के लिए: PM-JAY के अंतर्गत लंबित भुगतान ₹12,161 करोड़ तक पहुँच गए थे, जिसके चलते लगभग 609 अस्पतालों ने योजना से बाहर निकलने का निर्णय लिया।
  • भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी: बीमा योजनाएँ फर्जी दावों, अनावश्यक चिकित्सकीय प्रक्रियाओं और उपचार से इंकार जैसी अनियमितताओं के प्रति संवेदनशील रहती हैं।
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) ने PM-JAY योजना के अंतर्गत 3,200 से अधिक अस्पतालों को धोखाधड़ीपूर्ण गतिविधियों में संलिप्त पाया और चिह्नित किया।

आगे की राह 

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य निवेश को मजबूत करना: भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर व्यय अभी सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1.3% ही है, जबकि वैश्विक औसत लगभग 6.1% है। ऐसे में आवश्यक है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश को क्रमिक रूप से बढ़ाकर वैश्विक मानकों के समीप लाया जाए, जिससे गुणवत्तापूर्ण सेवाओं का सार्वभौमिक प्रावधान सुनिश्चित हो सके।
  • प्राथमिक और निवारक देखभाल को एकीकृत करना: वर्तमान में स्वास्थ्य योजनाओं का फोकस मुख्यतः अस्पताल में भर्ती  पर केंद्रित है। भविष्य में इसे बदलकर मजबूत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, बाह्य रोगी सेवाओं, टीकाकरण तथा निवारक स्वास्थ्य उपायों पर बल देना आवश्यक है। इससे बीमारियों की प्रारंभिक अवस्था में रोकथाम संभव होगी और महँगे तृतीयक उपचार की आवश्यकता घटेगी।
  • निजी प्रदाताओं का कड़ा विनियमन: निजी अस्पतालों और स्वास्थ्य प्रदाताओं के लिए पारदर्शी ऑडिट प्रणाली, कड़ी निगरानी और न्यायसंगत प्रतिपूर्ति व्यवस्था लागू करनी चाहिए। इससे लाभ-उन्मुख प्रवृत्तियों, फर्जी दावों और धोखाधड़ी की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
  • सार्वभौमिक कवरेज मॉडल: भारत को धीरे-धीरे लक्षित योजनाओं से आगे बढ़कर सार्वभौमिक और न्यायसंगत स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में बढ़ना होगा। कनाडा और थाईलैंड जैसे देशों के मॉडल से सीखते हुए भारत को गैर-लाभकारी प्रदाताओं पर आधारित स्वास्थ्य ढाँचा विकसित करना चाहिए।
  • जागरूकता और पहुँच में सुधार: लाभार्थियों को उनके वास्तविक हक और सुविधाओं की जानकारी देने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाने होंगे। इसके लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म, हेल्पलाइन, सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम तथा प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र को सुदृढ़ करना अनिवार्य है।

निष्कर्ष

स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ नागरिकों को एक हद तक राहत अवश्य प्रदान करती हैं, किंतु वे किसी भी परिस्थिति में एक मजबूत एवं सर्वसुलभ सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र का विकल्प नहीं बन सकतीं। वास्तविक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की प्राप्ति के लिए भारत को सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना में अधिक निवेश करना होगा, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाना होगा तथा जवाबदेही की मजबूत व्यवस्था स्थापित करनी होगी। यह प्रयास तभी सार्थक होगा जब इसे सतत् विकास लक्ष्य–3 (SDG 3 : उत्तम स्वास्थ्य एवं कल्याण) के साथ जोड़ा जाए। इसी मार्ग से भारत एक ऐसे स्वास्थ्य तंत्र की ओर अग्रसर हो सकेगा, जो न केवल अधिक स्वस्थ बल्कि अधिक समावेशी एवं न्यायसंगत भी होगा।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.