प्रश्न की मुख्य माँग
- भारत की कार्यबल तत्परता के संदर्भ में विश्लेषण कीजिए कि पर्याप्त रोजगार के बिना जनसांख्यिकीय लाभांश किस प्रकार जनसांख्यिकीय आपदा में बदल सकता है।
- आगे की राह लिखिये।
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उत्तर
जनसांख्यिकीय लाभांश का तात्पर्य आर्थिक विकास की उस संभावना से है जो किसी देश की आयु संरचना में हुये परिवर्तन से उत्पन्न होती है, आमतौर पर जब कामकाजी आयु वर्ग की आबादी (15-64 वर्ष) गैर-कामकाजी आयु वर्ग की आबादी से अधिक होती है। UNFPA 2023 के अनुसार भारत की 68% से अधिक आबादी इस श्रेणी में आती है। फिर भी, पर्याप्त रोजगार और कौशल विकास के बिना यह लाभ जनसांख्यिकीय आपदा में बदल सकता है ।
भारत की कार्यबल तत्परता के संदर्भ में पर्याप्त रोजगार के बिना, जनसांख्यिकीय लाभांश जनसांख्यिकीय आपदा में बदल सकता है
- कौशल का अभाव: आधुनिक उद्योगों के लिये आवश्यक कौशल के बिना युवा आबादी बढ़ती बेरोजगारी, अल्परोजगार और आर्थिक असंतोष का कारण बनती है।
- सामाजिक अशांति में वृद्धि: डिग्री प्राप्त लेकिन रोजगार के अवसर न होने से निराश युवा सामाजिक अस्थिरता को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे राष्ट्रीय प्रगति और एकजुटता प्रभावित हो सकती है।
- उदाहरण के लिए: 2023 में, रेलवे भर्ती प्रक्रिया में बदलाव के खिलाफ बिहार और यूपी में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें शिक्षित युवाओं के बीच नौकरी से संबंधित शिकायतें उजागर हुईं।
- क्षमता का कम उपयोग: यदि युवा आबादी का अधिकांश हिस्सा उत्पादक कार्यों में संलग्न नहीं रहता है तो इससे जनसांख्यिकीय लाभ नष्ट हो जाता है और आर्थिक विकास धीमा हो जाता है।
- उदाहरण के लिए: एस्पायरिंग माइंड्स एम्प्लॉयबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार, केवल 3.84% भारतीय इंजीनियर ही स्टार्ट-अप्स में सॉफ्टवेयर से संबंधित नौकरियों में रोजगार योग्य हैं।
- निर्भरता अनुपात में वृद्धि: युवा लेकिन बेरोजगार जनसंख्या, रोजगार प्राप्त लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ाती है, सार्वजनिक कल्याण पर दबाव डालती है और घरेलू बचत को कम करती है।
- प्रतिभा पलायन में वृद्धि: सीमित घरेलू अवसरों का सामना करने वाले कुशल व्यक्ति विदेश चले जाते हैं, जिससे प्रतिभा पलायन होता है और भारत की नवाचार क्षमता कमजोर होती है।
आगे की राह: जनसांख्यिकीय लाभांश को अवसर में बदलने के उपाय
- पाठ्यक्रम-उद्योग समन्वय: शैक्षणिक पाठ्यक्रम को उद्योग की आवश्यकताओं के साथ संरेखित करने से छात्रों को उद्योग-प्रासंगिक कौशल प्राप्त करने का अवसर मिलेगा और उनकी रोजगार क्षमता बढ़ेगी।
- अनुभवात्मक शिक्षा को बढ़ावा देना: प्रॉब्लम सॉल्विंग एंड रियल शब्द प्रोजेक्ट्स को शिक्षा में शामिल करने से आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा मिलता है और छात्रों को गतिशील नौकरी भूमिकाओं के लिए तैयार किया जाता है।
- व्यावसायिक प्रशिक्षण को मजबूत करना: गैर-शैक्षणिक युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों का विस्तार करने से बेरोजगारी कम हो सकती है और समावेशी कार्यबल भागीदारी सुनिश्चित हो सकती है।
- उदाहरण के लिए: PMKVY (प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना) ने वर्ष 2023 तक निर्माण, खुदरा और IT जैसे क्षेत्रों में 1.3 करोड़ से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया।
- डिजिटल बुनियादी ढाँचे को उन्नत करना: ग्रामीण क्षेत्रों में ऑनलाइन शिक्षा और नौकरी तक पहुँच बनाकर शहरी-ग्रामीण रोजगार के बीच के अंतर को कम किया जा सकता है।
- उदाहरण के लिए: भारतनेट के तहत, हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी 2.14 लाख ग्राम पंचायतों तक पहुँची, जिससे ग्रामीण छात्रों को SWAYAM जैसे डिजिटल कौशल प्लेटफार्मों तक पहुँच बनाने में मदद मिली।
- अनुसंधान एवं विकास निवेश को बढ़ावा देना: अनुसंधान और नवाचार के लिए धनराशि बढ़ाने से हाई-टेक रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा और दीर्घकालिक आर्थिक विकास को बनाए रखा जा सकेगा।
- उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF), 50,000 करोड़ रुपये के नियोजित परिव्यय के साथ, AI, जलवायु और उन्नत प्रौद्योगिकी में अनुसंधान को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है।
भारत में जहाँ एक तरफ युवा आबादी संभावनाओं से भरी हुई है, उधर दूसरी तरफ वही आबादी कौशल अंतराल, बेरोजगारी आदि जैसी गंभीर समस्याओं का सामना कर रही है। जिसके परिणामस्वरुप देश का विकास बाधित हो रहा है। जनसांख्यिकीय आपदा को रोकने के लिए, भारत को उद्योग-संरेखित शिक्षा, अपस्किलिंग और उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र में निवेश करना चाहिए जो इसकी विशाल मानव पूंजी को उत्पादक आर्थिक परिसंपत्तियों में परिवर्तित करे।
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