प्रश्न की मुख्य माँग
- भारत के लिए आर्थिक लाभ।
- भारत के लिए राजनीतिक लाभ।
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उत्तर
हाल के वर्षों में, पश्चिम में प्रवासी भारतीय समुदाय भारत की वैश्विक भागीदारी का एक प्रमुख स्तंभ बनकर उभरा है। विश्व भर में लगभग 35 मिलियन भारतीय मूल के लोग रहते हैं, और उनका रणनीतिक योगदान न केवल भारत के विदेशी संबंधों को प्रगाढ़ कर रहा है, बल्कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनने की उसकी आकांक्षाओं को भी गति दे रहा है जिससे प्रवासी समुदाय भारत की विकास गाथा में एक अनिवार्य अंग बन गया है।
भारत के लिए आर्थिक लाभ
- रिकॉर्ड धन प्रेषण प्रवाह: पश्चिमी भारतीय प्रवासियों से प्राप्त धन भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को सुदृढ़ करता है, जिससे व्यापक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित होती है और घरेलू विकास को प्रोत्साहन मिलता है।
- उदाहरण: वर्ष 2024 में, भारत को रिकॉर्ड 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर का धन प्रेषण प्राप्त हुआ, जो विश्व स्तर पर सबसे अधिक है।
- वित्तीय समावेशन को बढ़ावा: प्रेषण ग्रामीण और निम्न-आय वाले परिवारों में बैंक खाते के उपयोग और औपचारिक निवेश को प्रोत्साहित करके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देते हैं।
- उदाहरण के लिए: मार्च 2025 तक NRI जमाराशि बढ़कर 165 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई, जो 9.9% वार्षिक वृद्धि दर्शाता है, जिससे घरेलू वित्तीय संस्थानों को बल मिला।
- उद्यमिता और स्टार्ट-अप सहभागिता: प्रवासी सदस्य भारत के स्टार्टअप परिवेश में सक्रिय रूप से निवेश करते हैं, जिससे नवाचार और रोजगार को बढ़ावा मिलता है।
- कौशल-संचालित आर्थिक संवर्धन: कुशल भारतीय प्रवासी पेशेवर पश्चिम से उन्नत प्रौद्योगिकी, प्रबंधन विशेषज्ञता और नवीन प्रथाओं को स्थानांतरित करके भारत के विकास को बढ़ावा देते हैं।
- भारतीय उच्च शिक्षा का वैश्वीकरण: प्रवासी भारतीयों की भागीदारी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, अनुसंधान निधि और छात्र गतिशीलता को बढ़ावा देकर भारत के शिक्षा क्षेत्र को सशक्त बनाती है।
- उदाहरण: जांजीबार (वर्ष 2023) में IIT-मद्रास का अपतटीय परिसर प्रवासी भारतीयों के समर्थन से संभव हुआ, जो भारत की बढ़ती शिक्षा निर्यात क्षमता को दर्शाता है।
- धन प्रेषण के लिए डिजिटल वित्तीय चैनलों का विस्तार: इससे लेन-देन की लागत कम होती है और अंतर्वाह बढ़ता है, जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार और तरलता में सीधे तौर पर वृद्धि होती है।
- उदाहरण: फ्रांस, कतर और ओमान में UPI एकीकरण ने तेज और कम लागत वाले धन प्रेषण को संभव बनाया है, जिससे भारत में घरेलू आय और खपत में वृद्धि हुई है।
भारत के लिए राजनीतिक लाभ
- राजनीतिक नेतृत्व में प्रतिनिधित्व: पश्चिमी देशों की राजनीति में भारतीय मूल के नेता भारत और अपने मेजबान देशों के बीच अनौपचारिक सेतु का काम करते हैं, जिससे संवाद सुगम होता है और द्विपक्षीय सद्भावना बढ़ती है।
- उदाहरण: कमला हैरिस (अमेरिकी उपराष्ट्रपति) और ऋषि सुनक (ब्रिटेन के प्रधानमंत्री) शासन के उच्चतम स्तर पर भारतीय हितों को दृष्टिगत करते हैं।
- राजनयिक पक्षसमर्थन और नीतिगत प्रभाव: प्रवासी विशेषज्ञ और लॉबिस्ट विदेश नीति को आकार देकर और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को प्रभावित करके भारत के रणनीतिक हितों को बढ़ावा देते हैं।
- उदाहरण के लिए: भारतीय-अमेरिकी समूहों ने वर्ष 2008 के अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु समझौते के लिए समर्थन जुटाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- जन कूटनीति और चुनावी भागीदारी: विशाल प्रवासी रैलियाँ भारत की अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक छवि को निखारती हैं और सॉफ्ट पावर का लाभ प्रदान करती हैं।
- उदाहरण: “हाउडी मोदी” और “नमस्ते ट्रम्प” जैसे आयोजनों ने राजनीतिक एकजुटता का प्रदर्शन किया और भारत के पक्ष में जनमत तैयार किया।
- वैश्विक दुष्प्रचार का प्रतिवाद: प्रवासी-नेतृत्व वाले संगठन पश्चिमी मीडिया और नीतिगत क्षेत्रों में भारत के विरुद्ध दुष्प्रचार का सक्रिय रूप से खंडन करते हैं।
- उदाहरण: हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन जैसे समूहों ने मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता पर भ्रामक बयानों का खंडन किया है।
- सांस्कृतिक कूटनीति: प्रवासी भारतीयों की बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक पहुँच से विदेशों में भारत के लिए सकारात्मक राजनीतिक माहौल बनता है।
- उदाहरण: टाइम्स स्क्वायर और ब्रिटेन की संसद में दिवाली समारोह से सद्भावना और सांस्कृतिक आत्मीयता का निर्माण होता है।
वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में भारत के लिए प्रवासी समुदाय का लाभ उठाना एक रणनीतिक आवश्यकता है। समावेशी नीतियों एवं संस्थागत समर्थन के माध्यम से यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय राष्ट्र-निर्माण में दीर्घकालिक सहयोगी बन सकता है, जिससे भारत की प्रभावशीलता, विश्वसनीयता और वैश्विक जुड़ाव सुदृढ़ होगा।
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