प्रश्न की मुख्य माँग
- जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में संरचनात्मक और कार्यात्मक चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
- इस अंतर को कम करने में विकेन्द्रीकृत शासन, सामाजिक समावेशन और तकनीकी स्वायत्तता की भूमिका पर चर्चा कीजिए।
- इस संदर्भ में नवीन दृष्टिकोण सुझाइये।
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उत्तर
वर्ष 2019 में शुरू किए गए जल जीवन मिशन (JJM) ने वर्ष 2024 तक ग्रामीण परिवारों को 100% कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) प्रदान करने का लक्ष्य रखा है। NSSO 2022-23 के अनुसार, लगभग 90% ग्रामीण घरों में अब नल की सुविधा है, जो पर्याप्त प्रगति को दर्शाता है। हालाँकि, अब वर्ष 2028 तक इसके पूर्ण कवरेज प्राप्त होने का अनुमान है, जो चल रही कार्यान्वयन चुनौतियों को उजागर करता है।
जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में संरचनात्मक और कार्यात्मक चुनौतियाँ।
संरचनात्मक चुनौतियाँ |
कार्यात्मक चुनौतियाँ |
केंद्रीय वित्तीय सहायता में कमी: केंद्रीय निधि आवंटन में हाल की कमी से राज्य सरकारों पर वित्तीय दबाव बढ़ गया है।
उदाहरण: वर्ष 2023-24 के लिए JJM आवंटन ₹60,000 करोड़ (वर्ष 2022-23) से घटाकर ₹70,000 करोड़ कर दिया गया है, साथ ही कठोर शर्तें भी रखी गई हैं (जल शक्ति मंत्रालय का बजट विश्लेषण)। |
नल के जल का कम उपयोग: पहुँच में वृद्धि के बावजूद, कई ग्रामीण परिवार अभी भी हैंडपंप या खुले कुओं का उपयोग करते हैं। |
भ्रष्टाचार और निविदा अनियमितताएँ: भ्रष्टाचार के कारण ठेके देने में अनियमितताएँ और बुनियादी ढाँचे की खराब गुणवत्ता। |
बुनियादी ढाँचे का ह्रास: पुरानी पाइपलाइनों, नलों और टैंकों के कारण रिसाव और गैर-कार्यात्मक कनेक्शन की समस्या आती है। |
पुराना आधारभूत डेटा: JJM वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर निर्भर है, तथा समय के साथ हुई जनसंख्या वृद्धि को नजरअंदाज करता है।
उदाहरण: NSSO वर्ष 2022–23, 90% पहुँच दिखाता है लेकिन केवल 39% उपयोग दिखाता है, जो पुराने डेटा की सीमा को दर्शाता है। |
जलवायु परिवर्तनशीलता और जल की कमी: अनियमित वर्षा, भूजल की कमी और जलवायु परिवर्तन, आपूर्ति की विश्वसनीयता को प्रभावित करते हैं। |
अंतर को कम करने में विकेंद्रीकृत शासन, सामाजिक समावेशन और तकनीकी स्वायत्तता की भूमिका
विकेन्द्रीकृत शासन |
- स्थानीय निकायों को सशक्त बनाना: पंचायतें सामुदायिक फीडबैक के माध्यम से उपयोग की बेहतर निगरानी कर सकती हैं, समस्याओं की रिपोर्ट कर सकती हैं और मरम्मत का समन्वय कर सकती हैं।
- परिचालन में लचीलापन: स्थानीय प्रबंधन संदर्भ-विशिष्ट योजना बनाने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे नौकरशाही संबंधी देरी कम हो जाती है।
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सामाजिक समावेश |
- समान वितरण: यह सुनिश्चित करता है, कि हाशिए पर स्थित जातियों/समुदायों को नलों और बुनियादी ढाँचे तक समान पहुँच मिले।
- समावेशी कार्यबल: सभी समुदायों (महिलाओं और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समूहों सहित) के स्थानीय युवाओं को पंप ऑपरेटर या मरम्मत कर्मी के रूप में प्रशिक्षित करने से विश्वास और जवाबदेही का निर्माण होता है।
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तकनीकी स्वायत्तता |
- स्थानीय संचालकों की क्षमता निर्माण: जल गुणवत्ता परीक्षण, मरम्मत और प्रणाली प्रबंधन के लिए ग्राम पंचायतों को प्रशिक्षण और धन उपलब्ध कराना।
उदाहरण: जल शक्ति मंत्रालय की “ग्राम कार्य योजना” का उद्देश्य स्थानीय तकनीकी नेतृत्व का निर्माण करना है, लेकिन इसके बेहतर क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
- रियलटाइम डेटा संग्रहण: गांवों को गतिशील घरेलू डेटाबेस बनाए रखने और रियलटाइम में नल की कार्यक्षमता (स्थिर डैशबोर्ड से परे) की रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान करना।
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संधारणीय ग्रामीण जल प्रबंधन के लिए नवीन दृष्टिकोण
- सामुदायिक नेतृत्व वाली निगरानी और रखरखाव: संचालन और रखरखाव में प्रशिक्षित ग्राम जल और स्वच्छता समितियाँ (VWSCs) बनानी चाहिए।
- स्मार्ट जल अवसंरचना: जल प्रवाह, दबाव और रिसाव की रियलटाइम निगरानी के लिए IoT सेंसर का उपयोग करना चाहिए।
- जलवायु-प्रत्यास्थ जल स्रोत नियोजन: स्रोत संधारणीयता को प्रोत्साहित करना चाहिए जो वर्षा जल संचयन, जलभृत पुनर्भरण और वाटरशेड विकास को एकीकृत करती हैं।
- उदाहरण: महाराष्ट्र के “जल युक्त शिवर” कार्यक्रम ने सूखाग्रस्त जिलों में भूजल स्तर में सुधार किया।
- डेटा-आधारित निर्णय लेना: केवल जनगणना वर्ष 2011 पर निर्भर रहने के बजाय ग्रामीण विकास सर्वेक्षण डेटा का उपयोग करके घरेलू नल कनेक्शन डेटाबेस को प्रतिवर्ष अद्यतन करना चाहिए।
- स्थानीय उद्यमिता: गांवों में जल परीक्षण किट, लघु मरम्मत किट और प्रशिक्षण मॉड्यूल के लिए लघु उद्यमों को बढ़ावा देना चाहिए।
- उदाहरण: मौसमी नल समस्याओं वाले समुदायों के लिए “वाटर एटीएम” और पे-पर-यूज़ कियोस्क का प्रावधान करना चाहिए।
जल जीवन मिशन की चुनौतियों से पार पाने के लिए विकेंद्रीकृत शासन, सामुदायिक भागीदारी और तकनीकी प्रगति को एकीकृत करने वाले बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। सामाजिक समावेश को बढ़ावा देने और तकनीकी स्वायत्तता सुनिश्चित करके, भारत न्यायसंगत और संधारणीय ग्रामीण जल प्रबंधन कर सकता है, जिससे सभी के लिए दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित हो सके।
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