Q. भारत जनसांख्यिकी दृष्टि से एक युवा देश होने के बावजूद, मुख्यधारा की राजनीति में युवाओं की भागीदारी कम है। इस प्रवृत्ति के कारणों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये और राजनीतिक प्रक्रिया में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के उपाय सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • इस बात पर प्रकाश डालिये कि जनसांख्यिकी दृष्टि से एक युवा देश होने के बावजूद भारत में मुख्यधारा की राजनीति में युवाओं की भागीदारी किस प्रकार कम है।
  • इस प्रवृत्ति के कारणों का परीक्षण कीजिए।
  •  राजनीतिक प्रक्रिया में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के उपाय सुझाएँ।

 

उत्तर:

युवाओं की भागीदारी एक गतिशील लोकतंत्र के लिए महत्त्वपूर्ण है, फिर भी भारत में जनसांख्यिकीय लाभ के बावजूद यह कम है।भारत की लगभग 65% आबादी की आयु 35 वर्ष से कम  है (जनगणना 2011) जो भारत के राजनीतिक परिदृश्य में मौजूद अंतर को दर्शाता है। वर्तमान लोकसभा में सांसदों की औसत आयु 56 वर्ष है , जो शासन में अधिक युवा सदस्यों की आवश्यकता को उजागर करती है।

मुख्यधारा की राजनीति में युवाओं की भागीदारी: वर्तमान स्थिति

  • विधानमंडलों में कम प्रतिनिधित्व: जनसांख्यिकीय वास्तविकता के बावजूद, राजनीतिक क्षेत्र में वृद्ध राजनेताओं का प्रभुत्त्व है, वर्तमान लोकसभा में केवल 11% सांसद 40 वर्ष से कम आयु के हैं। उदाहरण के लिए: 543 लोकसभा सांसदों में से केवल 3 की आयु 25 वर्ष या उससे कम है , जो मुख्यधारा की राजनीति में युवाओं की कम भागीदारी को दर्शाता है।
  • राजनीति को एक कम आकर्षक करियर के रूप में मानना: भारत में राजनीति को अक्सर भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और वित्तीय बाधाओं से भरा हुआ क्षेत्र माना जाता है। यह युवा व्यक्तियों को  नैतिक रूप से समझौता किए गए वातावरण  में प्रवेश करने से हतोत्साहित करता है। उदाहरण के लिए: लोकनीति-सीएसडीएस के अनुसार, भ्रष्टाचार और वंशवादी प्रथाओं के कारण अधिकांश भारतीय युवा, राजनीति को संदेह की दृष्टि से देखते हैं।
  • राजनीतिक शिक्षा और जागरूकता का अभाव: स्कूलों और कॉलेजों में राजनीतिक शिक्षा का अभाव होने का अर्थ है कि कई युवाओं में राजनीतिक प्रक्रियाओं और शासन की बुनियादी समझ की कमी है , जिससे राजनीति में प्रभावी रूप से भाग लेने के संबंध में जागरूकता की कमी होती है। उदाहरण के लिए: अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों के विपरीत, भारत में माध्यमिक शिक्षा स्तर पर अनिवार्य राजनीतिक शिक्षा पाठ्यक्रम नहीं है , जिसके कारण युवाओं में  सीमित राजनीतिक साक्षरता है।
  • प्रवेश के लिए वित्तीय बाधाएँ: चुनाव प्रचार और राजनीतिक लामबंदी की उच्च लागत, युवा उम्मीदवारों के लिए इस क्षेत्र में प्रवेश करने हेतु एक महत्त्वपूर्ण बाधा के रूप में कार्य करती है। कई युवा लोग, विशेष रूप से गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि से आने वाले लोग, चुनाव लड़ने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन को जुटा पाने के कार्य को काफी चुनौतीपूर्ण पाते हैं। उदाहरण के लिए: भारत के चुनाव आयोग के अनुसार, एक लोकसभा उम्मीदवार का औसत व्यय लगभग ₹70 लाख है , जो कि अधिकांश युवा व्यक्तियों की पहुँच से बाहर की राशि है।
  • सांस्कृतिक मानदंड और पारिवारिक दबाव: कई भारतीय परिवारों में राजनीति को एक व्यवहार्य कैरियर विकल्प नहीं माना जाता है क्योंकि यह धारणा है कि इंजीनियरिंग, चिकित्सा या व्यवसाय जैसे पारंपरिक करियर के मुकाबले इसमें
    स्थिरता और सम्मान की कमी है। उदाहरण के लिए: ग्रामीण क्षेत्रों में, खेल और युवा मंत्रालय द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि परिवार अक्सर युवाओं को कथित जोखिम और अस्थिरता के कारण राजनीति में प्रवेश करने से हतोत्साहित करते हैं।

राजनीति में युवाओं की कम भागीदारी के कारण

  • वंशवादी राजनीति: यह प्रथा उन युवा उम्मीदवारों को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने से हतोत्साहित करती है, जिनकी कोई विशेष राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं होती है। 
  • युवाओं के लिए संस्थागत समर्थन की कमी: राजनीतिक दल युवा नेताओं को योग्यता के आधार पर आगे बढ़ने के लिए शायद ही कभी मंच प्रदान करते हैं, जिससे बिना किसी राजनीतिक संपर्क वाले लोगों के लिए पार्टी में जगह बना पाना मुश्किल हो जाता है। उदाहरण के लिए: भारत की कुछ प्रमुख पार्टियों के विपरीत, अधिकांश भारतीय राजनीतिक दलों में ऐसे मजबूत युवा विंग की कमी है जो भविष्य के नेताओं को सक्रिय रूप से तैयार करे।
  • राजनीतिक दलों में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व: युवा लोगों को अक्सर राजनीतिक दलों में महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं मिलती है, जिनका नेतृत्व आम तौर पर पुराने नेता करते हैं। यह पीढ़ीगत अंतर उनके भविष्य को आकार देने वाली नीतियों पर उनके प्रभाव को सीमित करता है। उदाहरण के लिए: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि प्रमुख भारतीय राजनीतिक दलों के निर्णय लेने वाले निकायों में युवाओं की भागीदारी न्यूनतम है, अक्सर 5% से भी कम। 
  • राजनीतिक परिणामों का डर: कई युवा व्यक्ति सामाजिक बहिष्कार, आर्थिक अवसरों की कमी और संभावित हिंसा से डरते हैंउदाहरण के लिए: रिपोर्ट बताती है कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में युवा कार्यकर्ताओं को धमकियों और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, जिससे कई लोग राजनीतिक भागीदारी से कतराते हैं।
  • राजनीतिक उदासीनता और मोहभंग: कई युवाओं का राजनीति से मोहभंग हो जाता हैं, उन्हें लगता है कि यह उनकी चिंताओं को दूर करने में अप्रभावी है और इसमें प्रेरणादायी रोल मॉडल और पारदर्शिता की कमी है। उदाहरण के लिए: प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वेक्षण के अनुसार, केवल 36% भारतीय युवा मानते हैं कि सरकार उनकी आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा कर रही है।

राजनीतिक प्रक्रिया में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के उपाय

  • राजनीतिक शिक्षा को बढ़ावा देना: स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में राजनीतिक शिक्षा को शामिल करने से युवाओं में जागरूकता बढ़ सकती है और शासन में रुचि उत्पन्न हो सकती है। उदाहरण के लिए: भारत के चुनाव आयोग द्वारा स्थापित चुनावी साक्षरता क्लब (ELC) का उद्देश्य स्कूलों और कॉलेजों में युवाओं को लोकतांत्रिक अधिकारों और चुनावी प्रक्रियाओं के संबंध में जागरूक करना है।
  • राजनीतिक दलों में युवा कोटा को प्रोत्साहित करना: यह नीति, युवाओं को राजनीति में शामिल होने और नए दृष्टिकोण लाने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है
  • वित्तीय बाधाओं को कम करना: चुनाव की लागत को कम करने के लिए अभियान वित्त सुधारों को लागू करना, युवा उम्मीदवारों के लिए राजनीति को अधिक सुलभ बना सकता है। अभियानों के लिए सार्वजनिक वित्तपोषण और पारदर्शी वित्तीय प्रथाओं से सभी को समान अवसर प्राप्त हो सकते हैं। उदाहरण के लिए: भारत में चुनावी बॉन्ड योजना, हालाँकि विवादास्पद है परंतु यह राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने का एक प्रयास है।
  • प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया का लाभ उठाना: युवाओं को राजनीतिक चर्चा में शामिल करने के लिए सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हुए उनकी भागीदारी बढ़ाई जा सकती है। राजनीतिक दल, नीतियों को संप्रेषित करने और युवा मतदाताओं के बीच चर्चा को प्रोत्साहित करने के लिए इन साधनों का लाभ उठा सकते हैं। उदाहरण के लिए: राजनीतिक दलों के आईटी सेल, युवा मतदाताओं के साथ प्रभावी ढंग से जुड़ने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर सकते हैं, जो डिजिटल आउटरीच की क्षमता को प्रदर्शित करता है।
  • युवा केंद्रित राजनीतिक मंच बनाना: युवा केंद्रित राजनीतिक मंच या पार्टियाँ स्थापित करनी चाहिए जो विशेष रूप से युवाओं की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को संबोधित करती हों। इस तरह से  राजनीति में युवाओं की भागीदारी को बढ़ाया जा सकता हैं। ये मंच शिक्षा, रोजगार और नवाचार जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

आगे बढ़ते हुए, भारत में युवा-केंद्रित राजनीतिक मंचों को बढ़ावा देने से देश के भविष्य पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। शिक्षा, रोजगार और नवाचार जैसे प्रमुख मुद्दों से निपटकर, ये मंच युवाओं को राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए सशक्त बना सकते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि उनकी आवाज सार्थक बदलाव लाएगी और अधिक समावेशी राजनीतिक परिदृश्य बनाएगी।

 

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