Q. पर्याप्त वैश्विक खाद्य उत्पादन के बावजूद, प्रत्येक दिन लाखों लोग भूखे रहते हैं, यह विरोधाभास खाद्य अपव्यय के खतरनाक पैमाने से और भी गहरा हो जाता है। इस संदर्भ में खाद्य अपव्यय के सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभावों पर प्रकाश डालिये और SDG 12 के साथ संरेखित खाद्य हानि को कम करने के उपाय भी सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • उन कारणों पर चर्चा कीजिए कि पर्याप्त वैश्विक खाद्य उत्पादन के बावजूद भी प्रत्येक दिन लाखों लोग भूखे क्यों रहते हैं।
  • भोजन की बर्बादी के सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभावों पर प्रकाश डालिये।
  • SDG 12 के अनुरूप खाद्य ह्वास को न्यूनतम करने के उपाय सुझाइये।

उत्तर

पर्याप्त वैश्विक खाद्य उत्पादन के बावजूद, भारत में लाखों लोग प्रतिदिन भारी मात्रा में खाद्य अपव्यय के कारण भूखे रहते हैं। यह विरोधाभास आर्थिक नुकसान,पर्यावरणीय निम्नीकरण को बढ़ाता है और खाद्य सुरक्षा को कमजोर करता है, जिसके लिए खाद्य अपव्यय को आधा करने और सतत उपभोग को बढ़ावा देने के लिए SDG 12 के अनुरूप तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।

भारत में खाद्यान्न की बर्बादी के कारण

  • कटाई के बाद नुकसान: अपर्याप्त भंडारण, परिवहन और हैंडलिंग बुनियादी ढाँचे के कारण फसल खराब हो जाती है। 
    • उदाहरण: वर्ष 2022 के NABARD अध्ययन में पाया गया कि कटाई के बाद 8.1% फल और 7.27% सब्जियाँ नष्ट हो जाती हैं।
  • घरेलू अपशिष्ट: अधिक खरीदारी, गलत भोजन योजना और सांस्कृतिक अंतर अधिशेष का कारण बनती है। 
    • उदाहरण: भारतीय परिवार प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति ~50 किलोग्राम (कुल ~78 मिलियन टन) अपशिष्ट बर्बाद करते हैं।
  • खुदरा और खाद्य सेवा घाटा: खराब इन्वेंट्री नियंत्रण और आपूर्ति श्रृंखला की अक्षमताएं बर्बादी का कारण बनती हैं। 
    • उदाहरण: वैश्विक स्तर पर, 13% खाद्य ह्वास उत्पादन में होता है, जो भारत में भी देखा जाता है।
  • उपभोक्ता दृष्टिकोण: जागरूकता की कमी और बदलते सांस्कृतिक मूल्यों के परिणामस्वरूप लोग खाने योग्य खाद्य पदार्थों को त्याग रहे हैं।
  • अस्पष्ट परिभाषाएँ: मानकीकृत परिभाषाओं का अभाव मापन और नीति निर्माण में बाधा डालता है। 
    • उदाहरण: खाद्य अपशिष्ट सूचकांक रिपोर्ट वर्ष 2024 ह्वास बनाम बर्बादी के स्पष्ट वर्गीकरण का सुझाव देती है।

खाद्य अपव्यय के सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव

सामाजिक-आर्थिक

  • आर्थिक ह्वास: बर्बादी से किसानों की आय और राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में कमी आती है । 
    • उदाहरण: NABARD ने ₹1.52 लाख करोड़ (कृषि GVA का ~ 3.7%) के ह्वास का अनुमान लगाया है।
  • खाद्य असुरक्षा: बर्बाद भोजन से भुखमरी से पीड़ित लाखों लोगों का पेट भरा जा सकता है। 
    • उदाहरण: घरेलू कचरे से सालाना 377 मिलियन लोगों का पेट भरा जा सकता है।
  • अकुशल कल्याण उपयोग: कल्याण और PDS के लिए इच्छित संसाधनों का गलत आवंटन।
  • किसान संकट: न बिकने वाली उपज से होने वाली आय के ह्वास से महिलाएँ अनुपातहीन रूप से प्रभावित होती हैं। 
    • उदाहरण: कृषि उत्पादकता और आजीविका अपशिष्ट न्यूनीकरण से गहराई से जुड़ी हुई हैं।

पर्यावरण

  • संसाधन की बर्बादी: बर्बाद भोजन भूमि, जल, ऊर्जा और श्रम को बर्बाद करता है। 
    • उदाहरण: संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट के अनुसार कृषि में लगभग 70% ताजे पानी का उपयोग होता है और भोजन की बर्बादी से जल संसाधन की बर्बादी होती है।
  • GHG उत्सर्जन: खाद्य अपशिष्ट ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। 
    • उदाहरण: अपशिष्ट वैश्विक GHG उत्सर्जन में ~6% का योगदान देता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है।
  • मीथेन उत्सर्जन: लैंडफिल्ड ऑर्गेनिक कचरे से मीथेन निर्मुक्त होती है, जो एक शक्तिशाली जलवायु गैस है। 
    • उदाहरण: भारत में सड़ते हुए भोजन से CH₄ उत्सर्जन में भारी योगदान होता है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान: नुकसान की भरपाई के लिए अत्यधिक उत्पादन से पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ता है। 
    • उदाहरण: उर्वरक का बढ़ता उपयोग और संसाधनों के दबाव से जैव विविधता और मिट्टी प्रभावित होती है।

खाद्य हानि को न्यूनतम करने के उपाय (SDG 12 संरेखण)

  • कोल्ड चेन और भंडारण को बढ़ावा देना: PMKSY और कोल्ड चेन योजनाओं के माध्यम से बुनियादी ढाँचे को सब्सिडी प्रदान करनी चाहिए। 
    • उदाहरण: PMKSY खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित एकीकृत कोल्ड चेन सुविधाओं को वित्तपोषित करता है।
  • परिभाषाओं और मापन को मानकीकृत करना: राष्ट्रीय खाद्य अपशिष्ट लेखा परीक्षा प्रोटोकॉल लागू करना चाहिए। 
    • उदाहरण: खाद्य अपशिष्ट सूचकांक को अपनाना चाहिए और प्रतिनिधात्मक राष्ट्रीय अध्ययन करना चाहिए।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी: लॉजिस्टिक्स, खुदरा दक्षता और पुनर्वितरण के लिए PPP को प्रोत्साहित करना चाहिए।
    • उदाहरण: FSSAI द्वारा सेव-फूड शेयर-फूड‘ पहल अधिशेष पुनर्वितरण को बढ़ावा देती है।
  • उपभोक्ता जागरूकता अभियान: घरों को भोजन की योजना, और बचे हुए भोजन के उपयोग के बारे में शिक्षित करना चाहिए। 
    • उदाहरण: थिंक ट्वेंटी (T20) नीति संक्षिप्त में उपभोग संस्कृति में बदलाव के लिए सार्वजनिक अभियान चलाने की सिफारिश की गई है।
  • खाद्य दान और पुनर्चक्रण को प्रोत्साहित करना: पुनर्वितरण के लिए कानूनी और वित्तीय प्रोत्साहन की शुरुआत करनी चाहिए।
    • उदाहरण: दान चैनलों को औपचारिक बनाना जिम्मेदार उपभोग पर SDG 12.3 के साथ संरेखित है

भारत में खाद्य पदार्थों की बर्बादी से बड़े पैमाने पर आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय ह्वास होता है। कटाई के बाद के बुनियादी ढाँचे को मजबूत करके, डेटा को मानकीकृत करके, समुदायों को सशक्त बनाकर और SDG 12.3 के अनुरूप संधारणीय उपभोग को बढ़ावा देकर भारत खाद्य प्रणालियों को बेहतर समानता, दक्षता और जलवायु प्रत्यास्थता सुनिश्चित करने के लिए बदल सकता है

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