Q. 'भारत में सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन के लिए विभिन्न कार्यक्रम लागू करने के बावजूद गरीबी अभी भी विद्यमान है।' कारण बताकर स्पष्ट कीजिए । (2018) (15 अंक, 250 शब्द)

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • परिचय: गरीबी उन्मूलन में भारत सरकार के प्रयासों और गरीबी के लगातार अस्तित्व को स्वीकार करते हुए उत्तर शुरू कीजिए।
  • मुख्य विषयवस्तु:
    • गरीबी उन्मूलन के उद्देश्य से विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार कीजिए।
    • असमान आर्थिक विकास, कार्यान्वयन व उससे जुड़ी चुनौतियां, कोविड-19 महामारी का प्रभाव, सामाजिक-आर्थिक असमानताएं, अपर्याप्त रोजगार के अवसर और शिक्षा और कौशल विकास की कमी जैसे कारकों पर चर्चा कीजिए।
    • भारत में गरीबी की वर्तमान स्थिति को दर्शाने के लिए नवीनतम आंकड़े प्रदान कीजिए।
  • निष्कर्ष:  प्रभावी कार्यक्रम कार्यान्वयन, सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को संबोधित करने और भारत में गरीबी उन्मूलन के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए निष्कर्ष निकालें।

 

परिचय:

विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से गरीबी उन्मूलन की दिशा में भारत सरकार के लगातार प्रयासों के बावजूद, गरीबी एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। यह स्थायी समस्या उन कारकों के विश्लेषण की मांग करता है जो इन पहलों की प्रभावशीलता में बाधा डालते हैं।

मुख्य विषयवस्तु:

गरीबी उन्मूलन के लिए सरकारी कार्यक्रम:

  • प्रधानमंत्री आवास योजना, स्टार्ट-अप इंडिया और स्टैंड अप इंडिया जैसे कार्यक्रमों का उद्देश्य लोगों को आवास प्रदान करना और आजीविका कमाने के लिए सशक्त बनाना है।
  • एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम (आईआरडीपी) और प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना ग्रामीण गरीबों के लिए स्वरोजगार और आवास पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ग्रामीण परिवारों को सालाना 100 दिनों के रोजगार की गारंटी देता है।
  • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और प्रधानमंत्री जन धन योजना का लक्ष्य रोजगार सृजन और गरीबों का वित्तीय समावेशन है।
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) का उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे की महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन प्रदान करना है।

गरीबी के बने रहने के कारण:

  • आर्थिक विकास समान रूप से वितरित नहीं: भारत की महत्वपूर्ण आर्थिक वृद्धि के बावजूद, प्रत्यक्ष लाभ समाज के सभी वर्गों में समान रूप से वितरित नहीं हुआ है।
  • कार्यान्वयन में संरचनात्मक मुद्दे: नौकरशाही की अक्षमताओं और भ्रष्टाचार सहित गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन में चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
  • कोविड-19 महामारी का प्रभाव: इस महामारी के कारण कई लोगों की नौकरियां समाप्त हो गईं और गरीबी में इजाफा हो गया, अनुमान है कि 2023 के अंत तक 150-199 मिलियन अतिरिक्त लोग गरीबी रेखा से बाहर नहीं निकल पाएंगें।
  • सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ: मौजूदा सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ गरीबी उन्मूलन की दिशा में कठिनाई को बढ़ाती हैं, जिससे हाशिए पर रहने वाले समुदायों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • अपर्याप्त रोजगार के अवसर: मनरेगा जैसे कार्यक्रमों के बावजूद, पर्याप्त और सतत रोजगार के अवसर प्रदान करने में कमी है।
  • कौशल विकास और शिक्षा का अभाव: कौशल विकास और शिक्षा पर अपर्याप्त ध्यान गरीबों के लिए रोजगार और आय सृजन को सीमित करता है।

वर्तमान गरीबी आँकड़े:

  • वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2023 के अनुसार, 2005-2006 और 2019-2021 के बीच भारत की गरीबी दर 55.1% से घटकर 16.4% हो गई। हालाँकि, महामारी ने इनमें से कुछ पहलुओं  को काफी हद तक उलट दिया है।
  • एनएफएचएस-5 डेटा से पता चलता है कि 2019-21 तक भारत की 14.96% आबादी बहुआयामी रूप से गरीब है, जो 2015-16 में 24.85% से कम है।

निष्कर्ष:

भारत सरकार के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों ने कुछ प्रगति तो की है, मगर गरीबी के पूर्ण उन्मूलन हेतु प्रभावी कार्यान्वयन एवं अंतर्निहित सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को संबोधित करने की आवश्यकता है। कोविड-19 महामारी ने इन चुनौतियों को और अधिक जटिल बना दिया है, जिसके लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो न केवल आर्थिक सहायता पर बल्कि कौशल विकास, शिक्षा और स्थायी रोजगार सृजन पर भी ध्यान केंद्रित करे। भारत में गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इन मुद्दों को समग्र रूप से संबोधित करना महत्वपूर्ण है।

 

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