Q. iGOT कर्मयोगी और ई-ऑफिस जैसी डिजिटल गवर्नेंस पहल भारतीय प्रशासन में एक आदर्श बदलाव का प्रतिनिधित्व करती हैं, जबकि डिजिटल विभाजन और नौकरशाही प्रतिरोध महत्वपूर्ण चुनौतियाँ बनी हुई हैं। आलोचनात्मक रूप से जाँच कीजिए कि भारत साइबर सुरक्षा और अपने कार्यबल की सार्थक क्षमता निर्माण सुनिश्चित करते हुए समावेशी शासन के साथ तकनीकी प्रगति को कैसे संतुलित कर सकता है। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • इस बात पर प्रकाश डालिये कि किस प्रकार iGOT कर्मयोगी और ई-ऑफिस जैसी डिजिटल शासन पहलें भारतीय प्रशासन में एक आदर्श बदलाव का प्रतिनिधित्व करती हैं।
  • डिजिटल विभाजन और उन प्रशासनिक प्रतिरोध की चुनौतियों पर चर्चा कीजिए जो अभी भी कायम हैं।
  • परीक्षण कीजिए कि भारत प्रौद्योगिकी प्रगति और समावेशी शासन के बीच किस प्रकार संतुलन स्थापित कर सकता है।
  • सुझाव दीजिए कि भारत किस प्रकार साइबर सुरक्षा और अपने कार्यबल की सार्थक क्षमता निर्माण सुनिश्चित कर सकता है।

उत्तर

डिजिटल गवर्नेंस दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाकर भारतीय प्रशासन में बदलाव लाया रहा है। iGOT कर्मयोगी और ई-ऑफिस जैसी पहल इस बदलाव को मूर्त रूप देती हैं, शासन को सुव्यवस्थित करती हैं और योग्यता-आधारित क्षमता निर्माण को सक्षम बनाती हैं। हालाँकि, डिजिटल डिवाइड जैसी चुनौतियाँ न्यायसंगत प्रगति में बाधा डालती हैं। नेशनल डिजिटल रेडीनेस इंडेक्स 2022 के अनुसार, केवल 40% ग्रामीण क्षेत्रों में ही विश्वसनीय डिजिटल बुनियादी ढाँचा है, जो असमानताओं को दूर करने की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है।

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भारतीय प्रशासन में प्रतिमान बदलाव के रूप में डिजिटल शासन पहल

  • कार्यप्रवाह दक्षता में वृद्धि: ई-ऑफिस जैसी पहल सरकारी कार्यप्रवाह को सुव्यवस्थित करती है, कागजी कार्रवाई को कम करती है, पारदर्शिता को बढ़ावा देती है और रियलटाइम संचार और तेजी से निर्णय लेने की प्रक्रिया को बढ़ावा देती है।
  • कार्यबल के लिए कौशल विकास: iGOT कर्मयोगी जैसे प्लेटफॉर्म सरकारी कर्मचारियों को डेटा एनालिटिक्स, लोक प्रशासन और डिजिटल गवर्नेंस कौशल से लैस करने के लिए व्यक्तिगत शिक्षण प्रदान करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2020 से अब तक 2 लाख से अधिक अधिकारियों ने iGOT कर्मयोगी के माध्यम से साइबर सुरक्षा और डेटा एनालिटिक्स पर मॉड्यूल पूरा किया है।
  • पारदर्शिता में वृद्धि: सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) जैसे डिजिटल उपकरण भ्रष्टाचार को कम करके और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण सुनिश्चित करके खरीद प्रक्रियाओं को बेहतर बनाते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: GeM प्लेटफॉर्म ने वर्ष 2021 और वर्ष 2023 के बीच सरकारी खरीद लागत में पैसे बचाए।
  • बेहतर शिकायत निवारण: ई-गवर्नेंस पहल में स्वचालित प्रणालियां नागरिक शिकायतों की रियलटाइम ट्रैकिंग करने में सक्षम बनाती हैं, जिससे लोक प्रशासन में जवाबदेही को बढ़ावा मिलता है।
  • सार्वजनिक सेवाओं की पहुँच: ई-गवर्नेंस पहल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से आवश्यक सेवाओं की पहुँच का विस्तार करती है, जिससे शासन नागरिक-केंद्रित हो जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2022 में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के ई-गवर्नेंस टूल के माध्यम से 5 करोड़ से अधिक ग्रामीण नागरिकों ने स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया।

डिजिटल विभाजन और प्रशासनिक प्रतिरोध से संबंधित चुनौतियाँ

  • सीमित इंटरनेट एक्सेस: ग्रामीण क्षेत्रों में खराब डिजिटल बुनियादी ढाँचे का सामना करना पड़ता है, जिससे कर्मचारियों की ई-गवर्नेंस उपकरणों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने की क्षमता सीमित हो जाती है, जिससे डिजिटल विभाजन बढ़ता है। 
    • उदाहरण के लिए: 2022 TRAI रिपोर्ट के अनुसार केवल 27% ग्रामीण परिवारों के पास हाई-स्पीड इंटरनेट तक पहुँच थी।
  • तकनीकी परिवर्तन का प्रतिरोध: प्रशासनिक दक्षता में कमी और प्रेरणा की कमी कुछ सरकारी कर्मचारियों के बीच डिजिटल उपकरणों को अपनाने में बाधा डालती है। 
    • उदाहरण के लिए: सर्वेक्षणों से पता चलता है कि अधिकांश राज्य-स्तरीय कर्मचारियों को ई-गवर्नेंस वर्कफ्लो के अनुकूल होने के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
  • असमान क्षमता निर्माण: प्रशिक्षण मॉड्यूल अक्सर साधारण होते हैं, जो आवश्यकताओं में क्षेत्रीय या विभागीय भिन्नताओं को ध्यान में नहीं रखते हैं, जिससे समावेशिता सीमित हो जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: दूरदराज के जिलों में कर्मचारियों ने शहरी समकक्षों की तुलना में iGOT कर्मयोगी प्रशिक्षण तक सीमित पहुँच की सूचना दी, जिससे कौशल विकास प्रभावित हुआ।
  • साइबर सुरक्षा खतरे: डिजिटल गवर्नेंस पर बढ़ती निर्भरता, सिस्टम को साइबर हमलों के लिए उजागर करती है, जिससे संवेदनशील सरकारी और नागरिक डेटा जोखिम में पड़ जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2021 CERT-In रिपोर्ट ने सरकारी पोर्टलों को लक्षित करके डेटा उल्लंघन की घटनाओं में दो गुना वृद्धि का उल्लेख किया।
  • प्रोत्साहनों की कमी: क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को पूरा करने के लिए मापनीय परिणामों या कैरियर से जुड़े पुरस्कारों के अभाव से उसका  जुड़ाव और प्रभावशीलता कम हो जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: iGOT कर्मयोगी प्रतिभागियों ने बताया कि वर्ष 2023 में प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उनकी नौकरी की भूमिका या मूल्यांकन में कोई ठोस परिवर्तन नहीं हुआ है।

समावेशी शासन के साथ प्रोद्यौगिकी प्रगति का संतुलन

  • डिजिटल डिवाइड को समाप्त करना: विभिन्न योजनाओं के तहत बुनियादी ढाँचे  का विस्तार करके ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट और डिजिटल उपकरणों तक पहुँच सुनिश्चित करना। 
    • उदाहरण के लिए: भारतनेट का लक्ष्य 250,000 ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करना है, जिससे शहरी-ग्रामीण डिजिटल अंतर को पाटा जा सके।
  • अनुकूलित डिजिटल प्रशिक्षण: ग्रामीण क्षेत्रों में कर्मचारियों के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में स्थानीयकृत प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करना, जिससे उनकी डिजिटल साक्षरता और परिचालन दक्षता में वृद्धि हो। 
    • उदाहरण के लिए: डिजिटल साक्षरता मिशन ने 6 मिलियन से अधिक ग्रामीण नागरिकों को उनकी रोजगार क्षमता व डिजिटल कौशल में सुधार करने के लिए प्रशिक्षित किया है।
  • हितधारक सहयोग: समावेशी ई-गवर्नेंस ने हाशिए पर स्थित समूहों के बीच अनुकूलनशीलता को बढ़ावा देने के लिए गैर सरकारी संगठनों, निजी फर्मों और अंतरराष्ट्रीय निकायों के साथ साझेदारी करनी चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने वंचित समुदायों को AI और डिजिटल कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सरकार के साथ भागीदारी की।
  • लचीले अपनाने के मॉडल: डिजिटल उपकरणों को चरणबद्ध तरीके से अपनाने की अनुमति देनी चाहिएऔर विभिन्न डिजिटल कौशल स्तरों वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए व्यावहारिक सहायता और व्यक्तिगत शिक्षण पथ प्रदान करना।
  • नीति एकीकरण: डिजिटल परिवर्तन नीतियों में समावेशी शासन सिद्धांतों को शामिल करना चाहिए और सभी ई-गवर्नेंस पहलों में जवाबदेही, पारदर्शिता और समानता सुनिश्चित करनी चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना नागरिक-केंद्रित सेवा वितरण पर ध्यान केंद्रित करती है, जिसमें 3,500 से अधिक डिजिटल सेवाओं को एकीकृत किया गया है।

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साइबर सुरक्षा और कार्यबल की सार्थक क्षमता निर्माण सुनिश्चित करना

  • साइबर सुरक्षा ढाँचे को मजबूत करना: संवेदनशील सरकारी डेटा की सुरक्षा के लिए मजबूत फायरवॉल, एन्क्रिप्शन विधियाँ और वास्तविक समय निगरानी प्रणाली स्थापित करनी चाहिए। 
    •  उदाहरण के लिए: CERT-In पहल पूरे भारत में निगरानी और प्रतिक्रिया प्रणालियों के माध्यम से साइबर सुरक्षा खतरों को प्रबंधित करती है।
  • व्यापक साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण: कर्मचारियों को साइबर स्वच्छता प्रोटोकॉल में प्रशिक्षित करना चाहिए , फ़िशिंग जागरूकता, सुरक्षित संचार और पासवर्ड प्रबंधन पर बल देना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय कर्मचारियों के बीच डिजिटल लचीलापन सुधारने के लिए साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम प्रदान करता है।
  • प्रदर्शन-संबंधी प्रोत्साहन: प्रशिक्षण परिणामों को पदोन्नति और कैरियर विकास से जोड़कर, सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करें और वास्तविक दुनिया के परिदृश्यों में अर्जित कौशल के अनुप्रयोग को प्रोत्साहित कीजिए।
    • उदाहरण के लिए: iGOT कर्मयोगी के तहत प्रशिक्षित कर्मचारियों को डिजिटल-केंद्रित सरकारी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के लिए प्राथमिकता दी जाती है।
  • गतिशील पाठ्यक्रम: ब्लॉकचेन और AI जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ प्रशिक्षण मॉड्यूल को नियमित रूप से अद्यतन करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कार्यबल भविष्य के लिए तैयार रहे।
  • घटना प्रतिक्रिया तंत्र: साइबर उल्लंघनों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया दल और आपदा रिकवरी प्रोटोकॉल विकसित करना चाहिए, साथ ही शासन संचालन में व्यवधान को कम से कम करे। 
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र भारत की महत्त्वपूर्ण डिजिटल संपत्तियों को साइबर खतरों से बचाता है।

डिजिटल गवर्नेंस के लिए भारत की कोशिशों में तकनीकी प्रगति और समावेशिता के बीच संतुलन होना चाहिए। iGOT कर्मयोगी जैसी योजनाओं के साथ मिलकर क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को कार्यबल को डिजिटल साक्षरता और अनुकूलन कौशल से लैस करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। गवर्नेंस ढाँचे में समानता, सुरक्षा और नवाचार को शामिल करके, भारत ई-गवर्नेंस में वैश्विक बेंचमार्क स्थापित करते हुए सतत और समावेशी विकास को प्राप्त करने के लिए डिजिटल उपकरणों का लाभ उठा सकता है।

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