प्रश्न की मुख्य माँग
- भारतीय कृषि में डिजिटल परिवर्तन के लाभों का मूल्यांकन कीजिए।
- भारतीय कृषि में डिजिटल परिवर्तन की चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
- विश्लेषण कीजिए कि डिजिटल कृषि मिशन किस प्रकार विविध कृषि समुदायों में समावेशी विकास सुनिश्चित करते हुए इन अंतरालों को कम कर सकता है।
- मिशन के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उपाय सुझाइये।
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उत्तर
भारतीय कृषि के डिजिटल परिवर्तन का उद्देश्य उत्पादकता, दक्षता और किसान आय में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी और डेटा का लाभ उठाकर, कृषि जगत में क्रांति लाना है। सटीक कृषि, डेटा-संचालित निर्णय लेने और सुव्यवस्थित सेवा वितरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए, ₹2,817 करोड़ के आवंटन के साथ डिजिटल कृषि मिशन (DAM) इस बदलाव को मूर्त रूप देता है। एग्री स्टैक और कृषि डिसीजन सपोर्ट सिस्टम जैसे नवाचारों के माध्यम से , भारत समावेशी विकास को लक्षित करता है, जिससे कृषि क्षेत्र की प्रत्यास्थता और संधारणीयता को बढ़ावा मिलता है।
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भारतीय कृषि में डिजिटल परिवर्तन के लाभ
- किसानों के लिए बेहतर निर्णय लेने की क्षमता: डिजिटल प्लेटफार्म, किसानों को फसल चयन, कीट प्रबंधन और जल के उपयोग पर डेटा-आधारित निर्णय लेने में सक्षम बनाते हैं जिससे अंततः उत्पादन में सुधार होता है और फसल का नुकसान कम होता है।
- उदाहरण के लिए: कृषि डिसीजन सपोर्ट सिस्टम, मृदा की गुणवत्ता, मौसम और फसल स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिससे बेहतर फसल नियोजन में सहायता मिलती है।
- परिशुद्ध कृषि से उत्पादकता में वृद्धि: ड्रोन और IoT जैसी अन्य प्रौद्योगिकियाँ, उर्वरक और कीटनाशकों के उपयोग में सुधार करते हुए और संधारणीय रूप से उत्पादन को बढ़ाते हुए, संसाधन अनुप्रयोग की सटीकता में सुधार करती हैं।
- उदाहरण के लिए: वर्ष 2020 में लोकस्ट अटैक्स (Locust Attacks) के दौरान सटीक छिड़काव से फसल की क्षति कम हुई।
- वित्तीय सेवाओं तक आसान पहुँच: डिजिटल बुनियादी ढाँचा फसल बीमा, ऋण और सरकारी योजनाओं तक पहुँच को बढ़ाता है, जिससे किसानों की वित्तीय सुरक्षा बढ़ती है।
- उदाहरण के लिए: PM-किसान मोबाइल ऐप किसानों को पात्रता की जाँच करने और लाभों को ट्रैक करने की अनुमति देता है, जिससे निधि वितरण में पारदर्शिता बढ़ती है।
- आपूर्ति शृंखला की दक्षता में वृद्धि: e-NAM जैसे ऑनलाइन बाजार किसानों और खरीदारों के बीच सीधे लेन-देन की सुविधा प्रदान करते हैं, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त होता है और बिचौलियों पर उनकी निर्भरता कम होती है।
- उदाहरण के लिए: e-NAM का विस्तार 1,000 से अधिक मंडियों तक हो चुका है, जिससे किसानों को पारदर्शी मूल्य निर्धारण और व्यापक बाजार पहुँच की सुविधा मिल रही है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन: डिजिटल परिवर्तन डेटा प्रबंधन, सलाहकार सेवाओं और तकनीकी सहायता के क्षेत्रों में रोजगार उत्पन्न करता है, विशेष रूप से ग्रामीण युवाओं और कृषि सखियों के लिए।
- उदाहरण के लिए: DAM द्वारा ग्रामीण युवाओं के लिए 2.5 लाख नौकरियाँ सृजित करने की उम्मीद की जा रही है, जो किसानों को डिजिटल प्रोद्यौगिकियाँ अपनाने में सहायता करेंगे ।
भारतीय कृषि में डिजिटल परिवर्तन संबंधी चुनौतियाँ
- खंडित भूमि जोत, प्रौद्योगिकी की पहुँच को सीमित करती है: 1.08 हेक्टेयर का औसत भूमि जोत आकार कुछ डिजिटल उपकरणों के प्रभावी उपयोग में बाधा डालता है, जो बड़े खेतों के लिए अधिक उपयुक्त हैं।
- उदाहरण के लिए: ड्रोन जैसी प्रौद्योगिकियाँ अत्यधिक विखंडित भूमि जोत वाले क्षेत्रों के लिए कम व्यावहारिक हैं।
- डिजिटल उपकरणों की उच्च प्रारंभिक लागत: IoT उपकरणों, डेटा भंडारण और अन्य तकनीकों की लागत, लघु किसानों के लिए डिजिटल परिवर्तन को कम सुलभ बनाती है ।
- उदाहरण के लिए: सीमित संसाधनों वाले किसानों के लिए उच्च सेटअप लागत के कारण AI-आधारित फसल निगरानी को अपनाने में समस्यायें आती हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में अपर्याप्त डिजिटल अवसंरचना: सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी और बिजली आपूर्ति डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के अंगीकरण में बाधा डालती है, विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में।
- उदाहरण के लिए: खराब कनेक्टिविटी वाले ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल उपकरणों के माध्यम से रियल टाइम एडवाइजरी सेवाओं तक पहुँचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- किसानों में डिजिटल साक्षरता की कमी: कई किसानों में तकनीक-आधारित समाधानों का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए आवश्यक डिजिटल कौशल की कमी है, जिससे नई तकनीकों को अपनाने की उनकी इच्छा कम हो जाती है।
- उदाहरण के लिए: सर्वेक्षणों से पता चलता है कि सीमित डिजिटल साक्षरता के कारण किसानों की अधिकांश संख्या अभी भी पारंपरिक तरीकों पर निर्भर है।
- भाषा और पहुँच संबंधी बाधाएँ: डिजिटल उपकरण अक्सर क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध नहीं होते हैं, जिससे गैर-अंग्रेजी बोलने वाले किसानों तक उनकी पहुँच सीमित हो जाती है।
- उदाहरण के लिए: भाषा संबंधी सीमाएँ कुछ किसानों को किसान सुविधा जैसे प्लेटफॉर्म तक पहुँच ने से रोकती हैं, जो प्रौद्योगिकियों को व्यापक रूप से अपनाने की दर को प्रभावित कर रही है।
डिजिटल कृषि मिशन अंतर को कम कर सकता है और समावेशी विकास सुनिश्चित कर सकता है
- अनुकूलित सहायता के लिए व्यापक किसान IDs: एग्री स्टैक की किसान आईडी प्रणाली किसानों को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप सेवाओं और योजनाओं की लक्षित डिलीवरी की अनुमति देती है।
- उदाहरण के लिए: किसान आईडी के आधार पर व्यक्तिगत सलाह से सब्सिडी वितरण और सहायता में सटीकता आएगी।
- प्रभावी संसाधन उपयोग के लिए भू-संदर्भित फसल और मृदा मानचित्रण: विस्तृत मैपिंग से संसाधनों के इष्टतम आवंटन में मदद मिलती है, विशेष रूप से जल और उर्वरकों के आवंटन में, जिससे कृषि अधिक संधारणीय बनती है।
- उदाहरण के लिए: मृदा प्रोफाइल मैपिंग से फसल और उर्वरकों का बेहतर चयन संभव हो पाता है, जिससे न्यूनतम इनपुट अपव्यय के साथ अधिकतम उपज होती है।
- वित्तीय सेवाओं में डिजिटल समावेशिता: डिजिटल पहचान के साथ, किसान ऋण और बीमा सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं, जिससे वित्तीय प्रत्यास्थता और जोखिम प्रबंधन में वृद्धि होती है।
- उदाहरण के लिए: फसल ऋणों को DAM डिजिटल प्रणाली से जोड़ने से ऋण वितरण में तेज़ी आती है और ऋण तक बेहतर पहुँच सुनिश्चित होती है।
- डिजिटल कौशल विकास के माध्यम से ग्रामीण रोजगार सृजन: ग्रामीण युवाओं को डेटा संग्रह, सलाहकार भूमिकाओं और तकनीकी सहायता सेवाओं में शामिल करके DAM द्वारा रोजगार सृजन की संभावना है ।
- उदाहरण के लिए: DAM के अंतर्गत चलाये जाने वाले डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों ने ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित किया है, जिससे स्थानीय रोजगार वृद्धि में योगदान मिला है।
- स्थानीयकृत, रियल टाइम एडवाइजरी: डिजिटल प्लेटफार्म कीट प्रबंधन, फसल स्वास्थ्य और सिंचाई से संबंधित रियलटाइम समाधान प्रदान करते हैं, जिससे प्रत्यास्थता बढ़ती है।
- उदाहरण के लिए: ग्रीनसेंस जैसे प्लेटफ़ॉर्म किसानों को कीट अलर्ट प्रदान करते हैं, जिससे फसल का नुकसान कम होता है और उत्पादकता बढ़ती है।
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डिजिटल कृषि मिशन के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उपाय
- ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना: डिजिटल कृषि प्लेटफार्मों के प्रभावी उपयोग को सक्षम करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और मोबाइल पहुँच का विस्तार करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: 2.5 लाख गांवों को जोड़ने के लिए भारतनेट परियोजना का विस्तार करने से, डिजिटल कृषि मिशन की पहुँच में सहायता प्राप्त होगी।
- किसानों के लिए डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम को उन्नत करना: किसानों के बीच डिजिटल जागरूकता और प्रौद्योगिकी अपनाने को बढ़ावा देने के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए।
- उदाहरण के लिए: MANAGE (राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान) द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम, किसानों को डिजिटल उपकरणों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में मदद करते हैं।
- भाषा और सुगमता की अनुकूलता सुनिश्चित करना: भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करने और सुगमता में सुधार करने के लिए स्थानीय भाषाओं में यूजर–फ्रेंडली प्लेटफार्म विकसित करने चाहिए।
- उदाहरण के लिए: PM-KISAN जैसे ऐप में स्थानीय भाषा का उपयोग करने से अधिक से अधिक किसान इस ऐप का लाभ उठा पाएंगे।
- स्केलेबल समाधानों के लिए एग्री-टेक स्टार्टअप के साथ सहयोग करना: एग्री-टेक स्टार्टअप के साथ साझेदारी करने से लघु और सीमांत किसानों को लागत प्रभावी समाधान मिल सकते हैं, जिससे डिजिटल पहुँच बढ़ सकती है।
- उदाहरण के लिए: क्रॉपइन (CropIn) जैसी कंपनियों के साथ किये गये सहयोग ने किसानों के लिए स्केलेबल, डेटा-संचालित कृषि समाधानों की सुविधा प्रदान की है।
- प्रौद्योगिकी की सामर्थ्य और पहुँच पर ध्यान देना: महंगे उपकरणों के लिए सब्सिडी प्रदान करना चाहिए और यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि तकनीकी उपकरण लघु किसानों के लिए सस्ते और सुलभ हों।
- उदाहरण के लिए: DAM के तहत सब्सिडी वाले डिजिटल उपकरण लघु किसानों को किफायती मूल्य पर सटीक कृषि उपकरण प्राप्त करने में मदद करते हैं।
डिजिटल कृषि मिशन का उद्देश्य प्रौद्योगिकी, डेटा और स्मार्ट खेती के तरीकों को एकीकृत करके भारतीय कृषि को बदलना है। इस मिशन के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सामर्थ्य, पहुँच और बुनियादी ढाँचे पर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि विभिन्न क्षेत्रों के किसानों का समावेशी विकास सुनिश्चित हो सके। डिजिटल विभाजन को कम करते हुए DAM, किसानों को संधारणीय विकास और बढ़ी हुई प्रत्यास्थता के उपकरणों के साथ सशक्त बना सकता है, जिससे भविष्य के लिए तैयार कृषि क्षेत्र का निर्माण हो सकेगा।
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