प्रश्न की मुख्य माँग
- भारत की टीकाकरण नीति की उपलब्धियाँ।
- व्याख्या कीजिए कि वन-हेल्थ दृष्टिकोण उभरती सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए तैयारी और प्रतिक्रिया को कैसे मजबूत कर सकता है।
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उत्तर
भारत का सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP), जो विश्व के सबसे बड़े कार्यक्रमों में से एक है, हाल ही में मिशन इंद्रधनुष 5.0 और WHO द्वारा मातृ एवं नवजात टिटनेस (Tetanus) उन्मूलन की मान्यता के माध्यम से रेखांकित हुआ है। इसने टीका कवरेज का विस्तार किया है और शिशु मृत्यु दर को कम किया है। ये उपलब्धियाँ व्यापक स्वास्थ्य तैयारी से टीकाकरण की सफलता को जोड़ने के संदर्भ प्रदान करती हैं।
भारत की टीकाकरण नीति की उपलब्धियाँ
- वैक्सीन बास्केट का विस्तार: पिछले दशक में छह नए टीके (जैसे- टिटनेस और एडल्ट डिफ्थीरिया, रोटावायरस, न्यूमोकोकल कंजुगेट) जोड़े गए, जिससे विभिन्न आयु वर्गों में सुरक्षा का दायरा बढ़ा।
- उदाहरण: वर्ष 2024 तक UIP ने 12 बीमारियों को कवर किया, जिसमें स्थानिक क्षेत्रों में जापानी इंसेफेलाइटिस भी शामिल है।
- मिशन इंद्रधनुष के माध्यम से कवरेज में सुधार: मिशन इंद्रधनुष (वर्ष 2014) एवं गहन इंद्रधनुष (वर्ष 2017) ने कम कवरेज वाली आबादी को व्यवस्थित रूप से लक्षित किया।
- उदाहरण: वर्ष 2023 तक 12 चरणों में 5.46 करोड़ बच्चों और 1.32 करोड़ गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया, जिससे पूर्ण कवरेज में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
- रोगों का उन्मूलन: भारत ने उन्मूलन और नियंत्रण में महत्त्वपूर्ण मील के पत्थर हासिल किए और उन्हें बनाए रखा।
- उदाहरण: वर्ष 2011 से पोलियो-मुक्त दर्जा, वर्ष 2015 में मातृ एवं नवजात टिटनेस का उन्मूलन, और वर्ष 2016 में यॉज (Yaws) का उन्मूलन।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म का एकीकरण: तकनीक ने आपूर्ति, निगरानी और डेटा प्रबंधन को आधुनिक बनाया।
- उदाहरण: को-विन पर आधारित यू-विन प्लेटफॉर्म बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए डिजिटल टीकाकरण रिकॉर्ड और वास्तविक समय की ट्रैकिंग सक्षम करता है।
- वैश्विक मान्यता और वैक्सीन कूटनीति: भारत राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी और वैश्विक साझेदार दोनों रूपों में उभरा है।
- उदाहरण: वर्ष 2023 तक घरेलू स्तर पर 220 करोड़ से अधिक COVID-19 खुराकें दी गईं; वैक्सीन मैत्री के तहत विदेशों में खुराक की आपूर्ति की गई वर्ष 2024 में भारत को खसरा और रुबेला चैंपियन अवार्ड मिला।
कैसे ‘वन-हेल्थ’ दृष्टिकोण तैयारी और प्रतिक्रिया को मजबूत कर सकता है
- एकीकृत रोग निगरानी: मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य प्रणालियों को जोड़ने से जूनोटिक प्रकोपों का शीघ्र पता लगाया जा सकता है।
- उदाहरण: वैक्सीन-रोकथाम योग्य रोग निगरानी को वन-हेल्थ से जोड़कर प्रजाति-आधारित संक्रमणों को पहले ही रोका जा सकता है।
- महामारी तैयारी को मजबूत करना: बहु-क्षेत्रीय निगरानी उभरते रोगजनकों की तीव्र पहचान और नियंत्रण में मदद करती है।
- उदाहरण: COVID-19 महामारी के अनुभव ने विभिन्न क्षेत्रों में समन्वित निगरानी की आवश्यकता को उजागर किया।
- संसाधनों का कुशल उपयोग: पशु और मानव स्वास्थ्य प्रणालियों में कोल्ड चेन, लॉजिस्टिक्स और प्रयोगशाला अवसंरचना का समन्वय दोहराव को कम करता है।
- उदाहरण: ई-विन और राष्ट्रीय कोल्ड चेन प्रबंधन प्रणाली जैसे प्लेटफॉर्म को वन-हेल्थ एकीकरण के साथ बढ़ाया जा सकता है।
- जन विश्वास और सामुदायिक भागीदारी: विभिन्न क्षेत्रों में जागरूकता से गलत सूचना और टीकाकरण के प्रति अरुचि के विरुद्ध लचीलापन उत्पन्न होता है।
- उदाहरण: ‘जीरो खसरा-रुबेला उन्मूलन अभियान (वर्ष 2025)’ दिखाता है कि समन्वित जन भागीदारी स्वीकृति को कैसे बढ़ा सकती है।
- समग्र नीतिगत ढाँचा: वन-हेल्थ यह सुनिश्चित करता है कि स्वास्थ्य, कृषि, पर्यावरण और शहरी नियोजन खतरों को रोकने और प्रतिक्रिया देने के लिए समन्वित हों।
- उदाहरण: प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के अंतर्गत एकीकरण से प्रणालीगत क्षमता मजबूत होती है।
निष्कर्ष
वन-हेल्थ दृष्टिकोण मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को एकीकृत करके जूनोटिक और महामारी जोखिमों से निपट सकता है। मजबूत निगरानी और अंतःक्षेत्रीय समन्वय आवश्यक हैं। सामुदायिक विश्वास और डिजिटल उपकरण भारत की टीकाकरण उपलब्धियों को सुरक्षित रखते हुए भविष्य की लचीलापन को भी सुदृढ़ कर सकते हैं।
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