Q. वास्तविक विनियमन-मुक्ति केवल एक प्रशासनिक कार्य नहीं है, बल्कि 'संदेह की संस्कृति' से 'विश्वास की संस्कृति' की ओर एक नैतिक परिवर्तन है। इस संदर्भ में, चर्चा कीजिए कि 'नियामक विनम्रता' की अवधारणा भारतीय नौकरशाही की नैतिक कार्य संस्कृति को किस प्रकार परिवर्तित कर सकती है। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • नियामक विनम्रता की अवधारणा
  • नियामक विनम्रता भारतीय नौकरशाही में नैतिक कार्य संस्कृति को कैसे बदलती है।

उत्तर

‘वास्तविक विनियमन-मुक्ति केवल प्रशासनिक सरलीकरण नहीं है, बल्कि एक नैतिक परिवर्तन है। यह संदेह की संस्कृति—जहाँ राज्य नागरिकों पर अविश्वास करता है—से विश्वास की संस्कृति की ओर अग्रसर होती है, जो लोगों को सशक्त बनाती है। नियामक विनम्रता निरंकुश शक्ति पर नियंत्रण स्थापित कर अधिक प्रभावी और नैतिक शासन को सुदृढ़ करती है।

नियामक विनम्रता की अवधारणा (Concept of Regulatory Humility)

  • सीमित नियंत्रण: नियामक ढाँचों को यह समझना चाहिए कि हर चीज पर कड़ी निगरानी की आवश्यकता नहीं होती है। सरल और कम दखल देने वाले नियम ही उचित हैं।
    • उदाहरण: भारत सरकार का दावा है कि उसने नियामकीय बोझ कम करने के लिए 39,000 से अधिक अनुपालन नियमों को हटा दिया है।
  • निरंतर समीक्षा: नियमों का समय-समय पर मूल्यांकन किया जाना चाहिए और ‘सन-सेट’ खंडों का उपयोग किया जाना चाहिए, ताकि नियम प्रासंगिक रहें और अत्यधिक कठोर न हों।
  • अपराधीकरण का विश्वास: मामूली या तकनीकी त्रुटियों के लिए आपराधिक दंडों को पुनर्वर्गीकृत या समाप्त करना, राज्य और नागरिकों के बीच सद्भावना और विश्वास को सुदृढ़ करने का संकेत देता है।।

नियामक विनम्रता भारतीय नौकरशाही में नैतिक कार्य संस्कृति को किस प्रकार परिवर्तित करती है

  • आनुपातिक प्रवर्तन: नौकरशाह बलपूर्वक कार्रवाई को सीमित रखते हैं और केवल तब हस्तक्षेप करते हैं जहाँ गंभीर जोखिम स्पष्ट रूप से मौजूद हो।
    • उदाहरण: उत्तर प्रदेश के निवेश मित्र 3.0 सुधारों में व्यापक निरीक्षणों के बजाय जोखिम-आधारित निरीक्षण शामिल हैं।
  • परिणाम-उन्मुख मानसिकता: लोक सेवकों की सफलता प्रभाव से मापी जाती है, बनाए गए नियमों की संख्या से नहीं।
    • उदाहरण: जन विश्वास विधेयक 2.0 ने कानूनी जोखिम को कम करने और व्यावसायिक विश्वास में सुधार के लिए 100 से अधिक प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से मुक्त कर दिया।
  • पारदर्शिता और भागीदारी: नियामक प्रक्रियाएँ अधिक सार्वजनिक हो जाती हैं, जिससे जनता की प्रतिक्रिया और साझा स्वामित्व को बढ़ावा मिलता है।
  • अनुकूली शिक्षण: नौकरशाही स्थिर मानसिकता से निरंतर सीखने की ओर बढ़ती है, वास्तविक जीवन की प्रतिक्रिया के आधार पर नियमों में संशोधन करती है।
    • उदाहरण: वर्ष 2014 के बाद से नियामक सुधारों में पुनरावृत्त सरलीकरण शामिल है, जिसमें 3,700 से अधिक कानूनी प्रावधानों को अपराध मुक्त बना दिया गया है।
  • भ्रष्टाचार में कमी: विवेकाधीन शक्तियों को सीमित करके और प्रक्रियाओं को सरल बनाकर, भ्रष्टाचार की संभावनाएँ कम हो जाती हैं।
  • नागरिक-प्रथम नैतिकता: अधिकारी नागरिकों और व्यवसायों को विरोधी नहीं, बल्कि साझेदार के रूप में देखने लगते हैं, जिससे आपसी सम्मान और सेवा-उन्मुखता बढ़ती है।

निष्कर्ष

नियामक विनम्रता नौकरशाही को एक विश्वास-आधारित, नैतिक रूप से स्थापित संस्था में बदल देती है। निरंकुशता को सीमित करके, सीखने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करके और सेवा को प्राथमिकता देकर, यह एक ऐसे लोक प्रशासन का पोषण करती है जो नागरिकों को प्रजा नहीं, बल्कि भागीदार मानता है, जिससे वैधता और अखंडता दोनों मजबूत होती हैं।

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