प्रश्न की मुख्य माँग
- भारतीय छात्रों की आकांक्षाओं एवं गतिशीलता पर पड़ने वाले प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
- भारत की सॉफ्ट पावर और वैश्विक भागीदारी पर इसके प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
- विदेशी छात्रों के वीजा रद्द करने के हाल ही में चल रहे कार्यक्रम के आलोक में भारत के लिए आगे की राह लिखिये।
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उत्तर
भारतीय छात्र विदेशों में अध्ययन करने वाले सबसे विशाल प्रवासी समूहों में से एक हैं, विशेषकर अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों में। हालाँकि, हालिया प्रतिबंधात्मक आव्रजन एवं वीजा नीतियाँ, विशेष रूप से अमेरिका में, अनिश्चितता उत्पन्न कर रही हैं और वैश्विक स्तर पर शैक्षिक व प्रवास परिदृश्य को नया रूप दे रही हैं।
भारतीय छात्रों की आकांक्षाओं और गतिशीलता पर प्रभाव
- छात्रों में अनिश्चितता एवं चिंता: हाल ही में अमेरिका में भारतीय छात्रों के वीजा को रद्द कर दिया गया है, जिसके लिए अक्सर विदेश नीति के विरोध (जैसे- गाजा विरोध) जैसे राजनीतिक कारणों का हवाला दिया जाता है, जिससे शैक्षणिक स्वतंत्रता और सुरक्षा में असुरक्षा उत्पन्न हो गई है।
- अमेरिका में नामांकन की घटती प्रवृत्ति: कई लोग अब जर्मनी, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, जो कम ट्यूशन, कार्य-अध्ययन लचीलापन और स्थिर नीतियाँ प्रदान करते हैं।
- उदाहरण के लिए: ओपन डोर्स, 2023 रिपोर्ट के अनुसार, हालाँकि अमेरिका में अभी भी 200,000 से अधिक भारतीय छात्र हैं, नामांकन की वृद्धि दर धीमी हो गई है।
- अध्ययन-पश्चात कार्य (OPT कार्यक्रम ) के लिए नीतिगत खतरे: वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण (OPT) जैसे कार्यक्रमों से संबंधित अनिश्चितता ने अमेरिका में अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहन को कम कर दिया है, जहाँ छात्र पहले रोजगार के लिए OPT का उपयोग करते थे।
- अन्य देशों की ओर पुनर्निर्देशन: अनुमान है कि वर्ष 2030 तक जर्मनी में भारतीय छात्रों का नामांकन 298% तक बढ़ जाएगा, जो किफायती शिक्षा एवं मजबूत छात्रवृत्ति कार्यक्रमों के कारण संभव होगा।
- उदाहरण के लिए: ऑस्ट्रेलिया की नई शिक्षा और प्रवासन रणनीति (2023) कुशल प्रवासियों को नया दृष्टिकोण प्रदान करती है और भारतीय STEM स्नातकों को आकर्षित करती है।
- भारत का ‘पुश फैक्टर्स’: भारतीय छात्र कठोर शैक्षणिक वातावरण, अनुसंधान निधि की कमी और घरेलू स्तर पर सीमित संस्थागत सहयोग से भी बचना चाहते हैं।
भारत की सॉफ्ट पावर और वैश्विक भागीदारी पर प्रभाव
- प्रवासी कूटनीति और सांस्कृतिक जुड़ाव में कमी: विदेशों में भारतीय छात्र अक्सर अनौपचारिक राजदूत के रूप में कार्य करते हैं, जो भारत की धारणा को आकार देते हैं।
- उदाहरण के लिए: वीजा प्रतिबंध इस अकादमिक प्रवासी के आकार और प्रभाव को कम करते हैं, जो भारत के वैश्विक सांस्कृतिक फुटप्रिंट में योगदान देता है।
- प्रतिभा पलायन: वापस लौटने वालों को संस्थागत कठोरता का सामना करना पड़ रहा है, जिससे विपरीत प्रवास को हतोत्साहित किया जा रहा है और भारत में ज्ञान के पुनः उपयोग में बाधा उत्पन्न हो रही है।
- ‘ग्लोबल नॉलेज नेटवर्क’ का ह्वास: वीजा प्रतिबंध विदेशों में भारतीय छात्रों के लिए बाधा उत्पन्न करते हैं, अनुसंधान, स्टार्टअप और संस्थागत संपर्क को बाधित करते हैं, जिससे वैश्विक नवाचार में भारत की भूमिका सीमित हो जाती है।
- छात्र विकल्पों का भू-राजनीतिक पुनर्गठन: भारतीय छात्रों का यूरोप और एशिया-प्रशांत देशों की ओर रुख करने से भारत की रणनीतिक शैक्षणिक साझेदारी अमेरिका से हटकर यूरोपीय संघ-ऑस्ट्रेलिया-ASEAN गठबंधनों की ओर पुनर्संयोजित हो सकती है।
- भारतीय संस्थानों के लिए अवसर: भारत अकादमिक उदारीकरण और अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करके निराश वापस लौटने वाले छात्रों को आकर्षित कर सकता है लेकिन वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने के लिए स्वायत्तता, वित्तपोषण और उदारवादी मूल्यों में सुधार की आवश्यकता है।
भारत के लिए आगे की राह
- अध्ययन स्थलों में विविधता लाना: भारतीय छात्रों को अनुकूल आव्रजन नीतियों और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रणालियों वाले देशों की खोज करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
- घरेलू शैक्षिक अवसंरचना को बढ़ावा देना: प्रतिस्पर्धी विकल्प प्रदान करने और भारत में छात्रों को बनाए रखने के लिए अनुसंधान एवं शैक्षणिक मानकों को उन्नत करके उच्च शिक्षा में निवेश करना चाहिए।
- द्विपक्षीय समझौतों को मजबूत करना: भारतीय छात्रों के लिए स्पष्ट और निष्पक्ष वीजा नीतियाँ स्थापित करने हेतु देशों के साथ वार्ता करनी चाहिए। ऐसे समझौते छात्रों की गतिशीलता में स्थिरता ला सकते हैं।
- व्यापक प्रस्थान-पूर्व परामर्श प्रदान करना: छात्रों को चुनौतियों से निपटने और विदेश में नीतिगत परिवर्तनों से होने वाले जोखिमों को कम करने में मदद करने के लिए कानूनी अधिकारों, वीजा नियमों और सांस्कृतिक अनुकूलन से संबंधित मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिए।
- नीतिगत परिवर्तनों पर सक्रिय रूप से नजर रखना और उनका समाधान करना: अंतरराष्ट्रीय आव्रजन नीतियों पर नजर रखने और भारतीय छात्रों के हितों की वकालत करने के लिए एक टास्क फोर्स की स्थापना करनी चाहिए। सक्रिय भागीदारी प्रतिकूल घटनाओं पर तेजी से प्रतिक्रिया करने में मदद कर सकती है।
- एलुमनाई नेटवर्क का लाभ उठाना: विदेशों में भारतीय एलुमनाई को शामिल करके छात्रों को मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिए तथा तत्परता एवं लचीलेपन को बढ़ाने के लिए विदेशी शिक्षा प्रणालियों एवं नीतियों पर मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिए।
विकसित देशों की आव्रजन एवं वीजा नीतियाँ, भारतीय छात्रों की शैक्षिक और कैरियर संबंधी आकांक्षाओं को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती हैं। ये नीतियाँ व्यक्तिगत भविष्य और भारत की सॉफ्ट पावर, बौद्धिक पूँजी और वैश्विक प्रतिष्ठा को प्रभावित करती हैं। भारत को अपनी उच्च शिक्षा प्रणाली को पुनः परिभाषित करने और खुद को सिर्फ प्रतिभा स्रोत के रूप में नहीं बल्कि ज्ञान के गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिए इस बदलाव का लाभ उठाना चाहिए।
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