प्रश्न की मुख्य माँग
- चर्चा कीजिए कि सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश सार्वजनिक सुरक्षा संबंधी चिंताओं का समाधान किस प्रकार करेगा।
- पशु कल्याण के सिद्धांतों के संबंध में कौन-से मुद्दे सामने आ सकते हैं?
- सुझावात्मक व्यवहार्य उपाय प्रस्तुत कीजिए।
|
उत्तर
दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों को पिंजरे में रखने का सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश शहरी मानव-पशु संघर्षों के प्रबंधन में एक महत्त्वपूर्ण नीतिगत परिवर्तन का संकेत देता है। कुत्ता-काटने और रेबीज़ के खतरे को कम करने के उद्देश्य से जारी यह आदेश, पशु जन्म-नियंत्रण (ABC) नियम, 2023 तथा विस्थापन के बजाय नसबंदी और टीकाकरण को प्राथमिकता देने वाली विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सिफारिश से संघर्ष के कारण आलोचना का सामना कर रहा है, जो बढ़ते शहरों में जनसुरक्षा और पशु-कल्याण के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को उजागर करता है।
सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश सार्वजनिक सुरक्षा संबंधी चिंताओं का समाधान किस प्रकार कर सकता है
- कुत्तों के काटने की घटनाओं में कमी: आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में बंद करके, सार्वजनिक स्थानों पर, विशेष रूप से घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में, अचानक या बिना उकसावे के कुत्तों के हमले की संभावना को कम किया जा सकता है।
- सुभेद्य समूहों के लिए बेहतर सुरक्षा: बच्चे, वृद्धजन और डिलीवरी कर्मचारी विशेष रूप से कुत्तों से संबंधित चोटों के प्रति सुभेद्य होते हैं; कुत्तों को पिंजरे में रखने से इन जोखिमों को कम किया जा सकता है।
- उदाहरण: स्कूली बच्चों का पीछा करने या उन पर हमला करने की घटनाओं के कारण कई शहरों में सामुदायिक विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
- उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में नियंत्रण: स्कूलों, अस्पतालों और सार्वजनिक पार्कों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों से कुत्तों को हटाने से निवासियों के लिए सुरक्षित वातावरण बन सकता है और घबराहट कम हो सकती है।
- तत्काल निवारक उपाय: कुत्तों को पिंजरे में बंद करने से दीर्घकालिक टीकाकरण और नसबंदी अभियानों की तुलना में त्वरित तथा दृष्टिगोचर हस्तक्षेप होता है, क्योंकि दीर्घकालिक टीकाकरण एवं नसबंदी अभियानों का प्रभाव दिखने में समय लगता है।
- जनता को आश्वासन: यह निर्देश नागरिकों की सुरक्षा चिंताओं के प्रति सरकार और न्यायपालिका की संवेदनशीलता का संकेत देता है, जिससे इस मुद्दे के समाधान में कानून-प्रवर्तन एजेंसियों पर जनता का भरोसा पुनर्स्थापित हो सकता है।
यह निर्देश पशु कल्याण को कैसे प्रभावित कर सकता है?
- पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 के विरोधाभास: कुत्तों को पिंजरों में रखना और उनका विस्थापन, पशु जन्म-नियंत्रण (ABC) नियम, 2023 तथा रेबीज नियंत्रण की सर्वाधिक प्रभावी रणनीति के रूप में नसबंदी एवं टीकाकरण की विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सिफारिश के विपरीत है।
- उदाहरण: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कुत्तों को मारने या बंदी बनाने की तुलना में उनका सामूहिक टीकाकरण अधिक लागत प्रभावी है।
- आश्रय स्थलों में तनाव और पीड़ा: भीड़भाड़ वाले और अपर्याप्त वित्तपोषित आश्रय, बंदी कुत्तों के लिए खराब स्थितियाँ, कुपोषण, रोग प्रसार और मानसिक आघात का कारण बन सकते हैं।
- क्षेत्रीय स्थिरता का विघटन: कुत्तों को उनके क्षेत्रों से हटाने से पारिस्थितिकी असंतुलन हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप अन्य कुत्ते या हानिकारक जीव उस क्षेत्र में आ सकते हैं।
- उदाहरण: ABC नियम इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि विस्थापन के परिणामस्वरूप अक्सर अधिक आक्रामक पशु, विस्थापित पशुओं का स्थान ले लेते हैं।
- क्रूरता और उत्पीड़न में वृद्धि: यह निर्देश व्यक्तियों को कुत्तों को नुकसान पहुँचाने या भगाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है तथा सामुदायिक भोजन देने वालों एवं देखभाल करने वालों के उत्पीड़न को बढ़ा सकता है।
- सामुदायिक सुरक्षा का ह्वास: सामुदाय आधारित कुत्ते अक्सर चोरी, हानिकारक जीवों और कृंतकों को रोकते हैं; उनके हटाए जाने से अप्रत्यक्ष रूप से स्थानीय सुरक्षा कम हो सकती है।
समस्या के समाधान के लिए व्यवहार्य उपाय
- ABC कार्यक्रम कार्यान्वयन को सुदृढ़ करना: WHO मानकों को पूरा करने के लिए नसबंदी और बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान को बढ़ाना चाहिए, जिससे जनसंख्या नियंत्रण और रेबीज की रोकथाम दोनों सुनिश्चित हो सके।
- उदाहरण: श्रीलंका जैसे देशों ने निरंतर ABC और टीकाकरण प्रयासों के माध्यम से रेबीज से होने वाली मौतों में काफी कमी की है।
- जन जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी: मानव-कुत्ते के मध्य सुरक्षित संपर्क, उत्तरदायी अपशिष्ट प्रबंधन और टीकाकरण किए गए सामुदाय आधारित कुत्तों के लाभों पर अभियान चलाए जाने चाहिए।
- “डॉग–फ्री“ और “डॉग–केयर” क्षेत्रों को नामित करना: संवेदनशील क्षेत्रों (स्कूल, अस्पताल) की पहचान कर, उसी क्षेत्र में कुत्तों को सुरक्षित रूप से स्थानांतरित करना चाहिए और सामुदायिक डॉग-केयर के लिए सुरक्षित जोन बनाने चाहिए।
- उदाहरण: चंडीगढ़ प्रशासन ने कुत्तों को खाना खिलाने के स्थलों को अधिक भीड़-भाड़ वाले सार्वजनिक स्थानों से दूर निर्धारित किया है।
- बेहतर शहरी अपशिष्ट प्रबंधन: खुले कचरे के ढेर को कम करने से आवारा पशुओं के लिए भोजन के स्रोत कम हो जाएँगे, जिससे स्वाभाविक रूप से उनकी संख्या और आवाजाही पर नियंत्रण हो जाएगा।
- गैर-सरकारी संगठनों और RWA के साथ साझेदारी: निगरानी, टीकाकरण और विवाद समाधान के लिए प्रशिक्षित पशु कल्याण संगठनों और RWA का लाभ उठाना चाहिए।
निष्कर्ष
शहरी भारत में मानव-पशु के मध्य संपर्क के प्रबंधन के लिए विज्ञान-आधारित, संतुलित उपायों की आवश्यकता है, जो लोगों और पशुओं दोनों की सुरक्षा करें। यद्यपि सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश तात्कालिक सुरक्षा चिंताओं को संबोधित करता है, लेकिन दीर्घकालिक समाधान ABC कार्यक्रमों को सुदृढ़ करने, अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार लाने और जन जागरूकता बढ़ाने में निहित हैं। न्यायपालिका, सरकार, गैर-सरकारी संगठनों और समुदायों के समन्वित प्रयास से करुणा, पारिस्थितिकी संतुलन तथा जन सुरक्षा पर आधारित सह-अस्तित्व सुनिश्चित किया जा सकता है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Latest Comments