प्रश्न की मुख्य माँग
- भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश को प्राप्त करने में प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
- भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए उपयुक्त उपाय सुझाइए।
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उत्तर
भारत एक ऐसे महत्त्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है, जहाँ इसका जनसांख्यिकी लाभांश अर्थात् 65% से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम है और औसत आयु 29.5 वर्ष (2024) है, जो आर्थिक परिवर्तन के लिए अपार संभावनाएँ प्रदान करती है। हालाँकि, यह अवसर सीमित है और इसके लिए तत्काल संरचनात्मक तैयारी की आवश्यकता है।
भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश को प्राप्त करने में प्रमुख चुनौतियाँ
- उच्च युवा बेरोजगारी: प्रत्येक वर्ष लाखों युवा कार्यबल का हिस्सा बनते हैं, लेकिन रोजगार सृजन धीमा रहता है।
- उदाहरण के लिए, 2025 में युवा बेरोजगारी दर (15-29 वर्ष) लगभग 14% थी, जो कौशल और बाजार की माँग के बीच बढ़ते असंतुलन को दर्शाता है।
- कौशल-उद्योग बेमेल: कामकाजी आयु वर्ग की आबादी के बीच औपचारिक कौशल सीमित है।
- उदाहरण के लिए: PLFS 2022-23 के अनुसार, 15-29 आयु वर्ग के केवल 4.4% व्यक्तियों को औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त हुआ है, जो उभरते क्षेत्रों में रोजगार की संभावना को बाधित करता है।
- औपचारिक क्षेत्र में कम हिस्सेदारी: अधिकांश कार्यबल, कृषि जैसे कम उत्पादकता वाले क्षेत्रों में संलग्न है।
- उदाहरण के लिए, 55% से अधिक कार्यबल को रोजगार देने के बावजूद, कृषि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में केवल 18% का योगदान देती है।
- ग्रामीण-शहरी बुनियादी ढाँचे में अंतर: अपर्याप्त शहरी बुनियादी ढाँचे के कारण आंतरिक प्रवास और रोजगार में बाधा आती है।
- उदाहरण के लिए, शहरों में किफायती आवास, स्वच्छता और सार्वजनिक परिवहन की लगातार कमी है, विशेषकर ग्रामीण-से-शहरी प्रवास में वृद्धि के कारण।
- कम महिला श्रम भागीदारी: कार्यबल में महिलाओं का योगदान वैश्विक मानकों से काफी नीचे है।
- उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 23 के लिए भारत की महिला श्रम बल भागीदारी (FLFP) 37% (2023) थी, जो वैश्विक औसत 47% से काफी कम है।
- उच्च NEET अनुपात: बहुत से युवा रोजगार, शिक्षा या प्रशिक्षण (NEET) से वंचित रह जाते हैं, विशेषकर युवतियाँ।
- उदाहरण के लिए, वर्ष 2023 में लगभग 24% भारतीय युवा NEET स्नातक हैं, जबकि युवतियों में यह अनुपात बहुत अधिक 38% है।
- अवसर की कमी: जनसांख्यिकीय लाभांश वर्ष 2047 तक चरम पर होगा, जिसके बाद निर्भरता अनुपात असंतुलित हो सकता है।
- उदाहरण के लिए, भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) गिरकर 1.98 हो गई है , जो भविष्य की बढ़ती आबादी और कम होते जनसांख्यिकीय लाभ का संकेत है।
भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने के उपाय
- श्रम-प्रधान क्षेत्रों को बढ़ावा देना: बड़े पैमाने पर रोजगार के लिए कपड़ा, विनिर्माण और पर्यटन जैसे क्षेत्रों को लक्षित करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए, इलेक्ट्रॉनिक्स में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना ने वर्ष 2024 तक 1.3 लाख से अधिक नौकरियाँ सृजित कीं।
- व्यावसायिक प्रशिक्षण का विस्तार करना: स्किल इंडिया और राज्य स्तरीय प्रशिक्षण पहल जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए।
- उदाहरण के लिए, झारखंड में टेकबी कार्यक्रम स्कूली छात्रों को कोडिंग, AI और डेटा एनालिटिक्स जैसे कौशल में प्रशिक्षित करता है।
- रोजगार के लिए शिक्षा में सुधार: नीतिगत आदेशों के तहत प्रारंभिक चरण से ही व्यावसायिक शिक्षा को एकीकृत करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 रोजगार के अंतर को कम करने के लिए कक्षा 6 से कौशल-आधारित शिक्षा शुरू करती है।
- महिला कार्यबल भागीदारी को बढ़ावा देना: सुरक्षा को बढ़ाना चाहिए, लचीली कार्य नीतियाँ प्रदान करनी चाहिए और लिंग-संवेदनशील रोजगार योजनाएँ शुरू करनी चाहिए।
- उदाहरण के लिए, सक्षम उपायों से FLFP को 50% से ऊपर बढ़ाया जा सकता है, जिससे सामाजिक समानता और आर्थिक उत्पादकता दोनों में वृद्धि हो सकती है।
- शहरी बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना: सतत् विकास के लिए शहरी रोजगार योजनाओं, आवास और परिवहन को बढ़ावा देना चाहिए।
- उदाहरण के लिए, AMRUT (अटल मिशन फॉर रिजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन) और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाएँ बुनियादी ढाँचे की कमी को दूर करती हैं।
- प्रवासी श्रमिकों के एकीकरण मे सहायता करना: सामाजिक सुरक्षा, लाभों की पोर्टेबिलिटी और शहर-विशिष्ट कौशल मानचित्रण सुनिश्चित करना।
- उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय कॅरियर सेवा (NCS) पोर्टल योग्यता के आधार पर प्रवासी युवाओं को शहरी नौकरियों दिलाने में मदद करता है।
- युवा उद्यमिता को बढ़ावा देना: इनक्यूबेशन, क्रेडिट और मेंटरिंग के माध्यम से स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना चाहिए।
- उदाहरण के लिए, स्टार्ट-अप इंडिया, मेक इन इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया जैसी पहल युवाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों और स्वरोजगार के अवसरों को बढ़ावा दे रही हैं।
भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश एक अनूठा विकास अवसर प्रदान करता है, लेकिन केवल तभी जब समय पर और समावेशी नीति कार्रवाई द्वारा इसका समर्थन किया जाए। शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार सृजन, लैंगिक समावेशन तथा शहरी अवसंरचना में लक्षित निवेश आवश्यक हैं, ताकि इस जनसांख्यिकीय लाभ को एक सक्षम और समावेशी ‘विजिट भारत @2047’ में रूपांतरित किया जा सके।
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