Q. वर्ष 2025 के SCO शिखर सम्मेलन में, भारत ने अपनी भागीदारी के तीन स्तंभों (सुरक्षा, संपर्क और अवसर) पर प्रकाश डाला। इस संदर्भ में, SCO में भारत द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दों और SCO 2025 के तियानजिन घोषणापत्र के प्रमुख परिणामों पर चर्चा कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • SCO शिखर सम्मेलन 2025 में भारत द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दे (सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अवसर)।
  • SCO 2025 के तियानजिन घोषणापत्र के प्रमुख परिणाम।

उत्तर

वर्ष 2025 के तियानजिन में हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री ने भारत के उस दृष्टिकोण को रेखांकित किया जो सुरक्षा, संप्रभुता और समावेशी कनेक्टिविटी पर आधारित है। इसके साथ ही उन्होंने सांस्कृतिक तथा आर्थिक सहयोग को और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। यह शिखर सम्मेलन तियानजिन घोषणा–2025 के रूप में सम्पन्न हुआ, जिसमें सदस्य देशों ने आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रतिबद्धता व्यक्त की तथा क्षेत्रीय व्यापार को प्रोत्साहन देने तथा सदस्य देशों के बीच और अधिक एकीकरण  को मजबूत करने पर सहमति जताई।

SCO शिखर सम्मेलन 2025 में भारत द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दे

  • आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख: भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले को सम्पूर्ण मानवता पर आघात बताते हुए कड़े शब्दों में निंदा की। भारत ने सदस्य देशों से आतंकवाद पर किसी भी प्रकार के दोहरे मापदंड को अस्वीकार करने का आह्वान किया।
  • कनेक्टिविटी परियोजनाओं में संप्रभुता: भारत ने स्पष्ट कहा कि ऐसी कनेक्टिविटी जो संप्रभुता की अनदेखी करती है, वह न विश्वास कायम कर सकती है और न ही उसका कोई सार रहता है।” यह संदेश प्रत्यक्ष रूप से एकपक्षीय परियोजनाओं जैसे चीन की बेल्ट एंड रोड पहल पर लक्षित था।
    • उदाहरण के लिए: भारत ने पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के विकल्प के रूप में चाबहार बंदरगाह की पेशकश की, जिसे संप्रभुता का सम्मान करने वाली संपर्कता बताया। 
  • विकास की नींव के रूप में सुरक्षा: भारत ने सुरक्षा, शांति और स्थिरता को SCO का पहला स्तंभ मानते हुए इन्हें सतत विकास तथा क्षेत्रीय अवसरों से सीधे जोड़ा। भारत ने पुनः स्पष्ट किया कि कोई भी साझेदारी संप्रभुता की कीमत पर स्वीकार्य नहीं हो सकती और यही भारत की क्षेत्रीय दृष्टि की आधारशिला है।
    • उदाहरण के लिए: भारत ने पुनः स्पष्ट किया कि कोई भी साझेदारी संप्रभुता की कीमत पर स्वीकार्य नहीं हो सकती और यही भारत की क्षेत्रीय दृष्टि की आधारशिला है।
  • क्षेत्रीय व्यापार के लिए संतुलित संपर्क: भारत ने चाबहार बंदरगाह को सुगम, विश्वसनीय और प्रभावी द्वार” के रूप में प्रस्तुत किया। इसके माध्यम से भारत ने मध्य एशिया के साथ अपने संबंधों को व्यावहारिक और संतुलित संपर्क के रूप में सामने रखा।
  • अवसर के लिए सभ्यतागत संवाद मंच: भारत ने एक “सभ्यतागत संवाद मंच” (Civilisational Dialogue Forum) की स्थापना का आह्वान किया, ताकि शंघाई सहयोग संगठन की साझा संस्कृति और विरासत को प्रस्तुत किया जा सके। इस पहल के माध्यम से भारत ने यह संकेत दिया कि सहयोग केवल सुरक्षा और व्यापार तक सीमित न रहकर सांस्कृतिक आदान-प्रदान, ऐतिहासिक जुड़ाव और साझा मूल्यों के प्रचार-प्रसार तक भी विस्तारित होना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: भारत ने इस अवसर को केवल सुरक्षा और व्यापार तक सीमित न रखते हुए नवाचार, नवउद्यमिता, युवाओं के सशक्तिकरण और बौद्ध धरोहर को SCO के नए सहयोग क्षेत्रों के रूप में प्रस्तुत किया।

SCO 2025 के तियानजिन घोषणापत्र के मुख्य परिणाम

  • बहुध्रुवीयता और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता: भारत ने बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के अपने दृष्टिकोण को पुनः पुष्ट किया व एकपक्षीयता को अस्वीकार करते हुए क्षेत्रीय स्थिरता, आतंकवाद-रोधी सहयोग तथा डिजिटल साझेदारियों को प्रोत्साहित करने पर बल दिया।
  • SCO विकास रणनीति 2026-2035: आर्थिक प्रगति, कनेक्टिविटी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए एक दीर्घकालिक रोडमैप को अपनाया गया, जो स्थिरता और समावेशी विकास की आधारशिला बनेगा।
    • उदाहरण के लिए: भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह को क्षेत्रीय संपर्क केंद्र के रूप में प्रस्तुत करने का प्रस्ताव SCO की दीर्घकालिक आर्थिक सहयोग योजना में शामिल किया गया।
  • उग्रवाद निरोधक कार्यक्रम 2026-2030: युवाओं में कट्टरपंथ (Radicalisation) को रोकने के लिए एक व्यापक योजना को स्वीकृति दी गई। इसके अंतर्गत शिक्षा, प्रौद्योगिकीय हस्तक्षेप तथा सामाजिक जागरूकता अभियानों के माध्यम से उग्रवाद को पुर्णतः समाप्त करने पर बल दिया गया।
  • ऊर्जा सहयोग रोडमैप 2030: नवीकरणीय ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा सहयोग तथा सीमा-पार ऊर्जा ग्रिड्स को मजबूत करने का निर्णय लिया गया। इसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच ऊर्जा सुरक्षा और संधारणीय विकास को सुदृढ़ करना है।
  • 24 विषयगत दस्तावेजो को अंगीकृत करना: कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटल अर्थव्यवस्था, सतत विकास, द्वितीय विश्व युद्ध एवं संयुक्त राष्ट्र की महत्वपूर्ण वर्षगाँठों से जुड़े दस्तावेजो को स्वीकार किया गया। यह सदस्य देशों के बीच एकता और व्यापक सहयोग की भावना को दर्शाता है।
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2025 के तियानजिन शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों ने एक संयुक्त कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहयोग समझौता स्वीकार किया।

वर्ष 2025 का तियानजिन शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन भारत की सक्रिय भूमिका को प्रदर्शित करता है, जहाँ भारत ने क्षेत्रीय व्यवस्था को सुरक्षा, संप्रभुता और संतुलित विकास पर आधारित करने की दिशा में नेतृत्व किया। विश्वास पर आधारित कनेक्टिविटी और सांस्कृतिक सहयोग की ओर SCO के एजेंडा को मोड़ते हुए भारत ने न केवल साझेदारियों को मजबूती प्रदान की, बल्कि स्वयं को परंपरा और आधुनिकता, स्थिरता और अवसर के बीच एक सेतु के रूप में भी स्थापित किया।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.