Q. एक सुसंगत रोजगार रणनीति के बिना भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश जनसांख्यिकीय बोझ में बदलने का जोखिम उठाता है। भारत में रोजगार सृजन में बाधा डालने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। एक एकीकृत राष्ट्रीय रोजगार नीति के माध्यम से समावेशी और सतत रोजगार सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख उपाय सुझाइए। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत में रोजगार सृजन में बाधा डालने वाली प्रमुख चुनौतियाँ।
  • समावेशी एवं सतत् रोजगार के उपाय (एकीकृत राष्ट्रीय रोजगार नीति)।

उत्तर

भारत की जनसांख्यिकीय लाभांश  जिसमें 35 वर्ष से कम आयु के 65% से अधिक लोग शामिल हैं  एक परिवर्तनकारी क्षमता प्रस्तुत करती है। किंतु यदि एक सुसंगत रोजगार रणनीति विकसित नहीं की गई, तो बढ़ती युवा बेरोजगारी और असंगठित क्षेत्र इस लाभांश को जनसांख्यिकीय बोझ में बदल सकते हैं, जिससे समावेशी विकास, सामाजिक स्थिरता और दीर्घकालिक आर्थिक लचीलापन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

भारत में रोजगार सृजन में प्रमुख चुनौतियाँ

  • कौशल असंगति: शिक्षा और प्रशिक्षण उद्योग की वास्तविक माँगों से मेल नहीं खाते, जिसके कारण औपचारिक योग्यताओं के बावजूद युवाओं की रोजगार क्षमता सीमित रहती है।
    • उदाहरण: नीति आयोग की वर्ष 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, इंजीनियरिंग स्नातकों में से 47% सूचना प्रौद्योगिकी और विनिर्माण क्षेत्रों में अयोग्य पाए गए।
  • असंगठित क्षेत्र का प्रभुत्व: अधिकांश श्रमिकों के पास औपचारिक अनुबंध, सामाजिक सुरक्षा या स्थिर आय नहीं है, जिससे उत्पादकता और संरक्षण दोनों सीमित होते हैं।
    • उदाहरण: राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) के आँकड़ों के अनुसार 90% से अधिक कार्यबल असंगठित क्षेत्र में कार्यरत है।
  • महिलाओं की कम भागीदारी: सांस्कृतिक अवरोध, सुरक्षा चिंताएँ और सहयोगी तंत्र की कमी महिलाओं को कार्यबल में प्रवेश से रोकती हैं।
    • उदाहरण: वर्ष 2022–23 में भारत की महिला श्रम भागीदारी दर लगभग 32% रही।
  • विनिर्माण क्षेत्र:  स्वचालन, कम निवेश और कमजोर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) संबंधों के कारण विनिर्माण क्षेत्र श्रमिकों को पर्याप्त रूप से समाहित नहीं कर पा रहा है।
  • क्षेत्रीय असमानताएँ: रोजगार के अवसर मुख्यतः शहरी और औद्योगिक राज्यों में केंद्रित हैं।
    • उदाहरण: बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में युवा बेरोजगारी दर 17–18%, जबकि महाराष्ट्र में यह केवल 7% के आस-पास है।
  • गिग अर्थव्यवस्था की अस्थिरता:  प्लेटफॉर्म-आधारित नौकरियों में नौकरी की सुरक्षा, लाभ और दीर्घकालिक कॅरियर प्रगति का अभाव रहता है, जिससे युवाओं में अस्थिरता बढ़ती है।

समावेशी और सतत् रोजगार हेतु उपाय

  • कौशल संरेखण:  व्यावसायिक प्रशिक्षण को औपचारिक शिक्षा से जोड़ते हुए उद्योग-नेतृत्व वाले पाठ्यक्रम और प्रमाणन प्रणाली को अपनाना चाहिए।
    • उदाहरण: स्किल इंडिया मिशन के अंतर्गत स्किल हब्स की स्थापना विद्यालय से रोजगार की दिशा में संक्रमण के लिए की गई।
  • श्रम बाजार सुधार:  अनुपालन को सरल बनाना और असंगठित एवं गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना आवश्यक है।
    • उदाहरण: सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 का उद्देश्य सार्वभौमिक कवरेज सुनिश्चित करना है।
  • महिला-केंद्रित नीतियाँ: महिलाओं के लिए सुरक्षित परिवहन, लचीले कार्य घंटे और बाल देखभाल सहयोग जैसी सुविधाएँ बढ़ाना आवश्यक है।
    • उदाहरण: महिला शक्ति केंद्र योजना ग्रामीण महिलाओं को रोजगार और सशक्तीकरण का अवसर प्रदान करती है।
  • हरित रोजगार को बढ़ावा:  नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु-संवेदनशील अवसंरचना में निवेश से दीर्घकालिक सतत् रोजगार सृजित किए जा सकते हैं।
    • उदाहरण: केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की रूफटॉप सोलर योजना ने हजारों हरित रोजगार उत्पन्न किए।
  • विकेन्द्रीकृत औद्योगिक विकास: ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यम क्लस्टर और कृषि-आधारित उद्योगों का विकास क्षेत्रीय असमानताओं को कम करेगा।
  • डिजिटल श्रम मंचों का उपयोग: तकनीक का उपयोग करते हुए नौकरी तलाशने वालों को सत्यापित नियोक्ताओं से जोड़ा जा सकता है।
    • उदाहरण: राष्ट्रीय कॅरियर सेवा पोर्टल  ने 1 करोड़ से अधिक नौकरी खोजने वालों को जोड़ा है।

निष्कर्ष

भारत की जनसांख्यिकीय लाभांश को साकार करने के लिए एक मजबूत और एकीकृत राष्ट्रीय रोजगार नीति अनिवार्य है। यदि कौशल-संरेखित, समावेशी और क्षेत्रीय रूप से संतुलित रोजगार सृजन सुनिश्चित किया जाए, तो भारत अपने युवाओं की क्षमता को एक लचीले, न्यायसंगत और भविष्य-उन्मुख कार्यबल में परिवर्तित कर सकता है, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता और सामाजिक प्रगति सुनिश्चित होगी।

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