प्रश्न की मुख्य माँग
- असुरक्षित स्वास्थ्य सेवा में योगदान देने वाले प्रणालीगत कारक लिखिए।
- देश भर में रोगी सुरक्षा को मजबूत करने के उपाय।
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उत्तर
भूमिका
विश्व रोगी सुरक्षा दिवस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी कि उपचार के दौरान 10% भर्ती मरीज और 40% बाह्य-रोगी देखभाल वाले मरीज हानि का सामना करते हैं। भारत में, बढ़ते गैर-संचारी रोगों का बोझ इन जोखिमों को और बढ़ा देता है। अत्यधिक बोझ से ग्रस्त स्वास्थ्य प्रदाता और अपर्याप्त रूप से सूचित मरीज मिलकर ऐसी प्रणालीगत खामियाँ उत्पन्न करते हैं, जो सुरक्षित और प्रभावी स्वास्थ्य सेवाओं को कमजोर बनाती हैं।
मुख्य भाग
असुरक्षित स्वास्थ्य देखभाल में योगदान देने वाले प्रणालीगत कारक
- अत्यधिक बोझ से ग्रस्त स्वास्थ्य प्रदाता: डॉक्टर और नर्स भारी मरीज संख्या, कर्मचारियों की कमी और लंबी शिफ्ट का सामना करते हैं, जिससे उनकी मरीजों से पूर्णतः जुड़ने की क्षमता घटती है और त्रुटियों का जोखिम बढ़ता है।
- अस्पताल-जनित संक्रमण और असुरक्षित प्रथाएँ: स्वच्छता प्रोटोकॉल का अभाव, इंजेक्शन का पुनः प्रयोग या असुरक्षित रक्त आधान जैसी प्रथाएँ अस्पताल-जनित संक्रमण और रक्त के थक्कों का कारण बनती हैं।
- तीव्र उपचार में कमजोर समन्वय: जब जटिल उपचार में अनेक विशेषज्ञ शामिल होते हैं, तो संवाद और समन्वय की कमी से चिकित्सा-जनित हानि होती है।
- निष्क्रिय और अपर्याप्त रूप से सूचित मरीज: भारत में कई मरीज प्रश्न पूछने से हिचकते हैं और उपचार व सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में अनभिज्ञ रहते हैं, जिससे उनकी संवेदनशीलता बढ़ती है।
- कमजोर विनियामक और प्रत्यायन तंत्र: मानक स्थापित करने में NABH की भूमिका के बावजूद, 5% से भी कम भारतीय अस्पताल पूर्णतः मान्यता प्राप्त हैं, जिसके कारण कई सुविधाएं मजबूत सुरक्षा तंत्र के बिना रह जाती हैं।
देशभर में रोगी सुरक्षा को सुदृढ़ करने के उपाय
- राष्ट्रीय रूपरेखाओं को सुदृढ़ करना: राष्ट्रीय रोगी सुरक्षा कार्यान्वयन रूपरेखा (वर्ष 2018–25) को अधिक मजबूत रिपोर्टिंग, निगरानी और जवाबदेही के साथ लागू करना।
- उदाहरण: यह रूपरेखा प्रतिकूल घटनाओं की रिपोर्टिंग से लेकर सुरक्षा को नैदानिक कार्यक्रमों में अंतर्निहित करने तक का रोडमैप प्रस्तुत करती है।
- अस्पताल-स्तरीय सुरक्षा मानक और ऑडिट: अस्पतालों को गुणवत्ता ऑडिट, संक्रमण नियंत्रण उपाय और कर्मचारियों के प्रशिक्षण को अपनाना चाहिए, जिससे रोगी सुरक्षा निरंतर बनी रहे।
- उदाहरण: NABH ने संक्रमण नियंत्रण, रोगी अधिकार और औषधि प्रबंधन के लिए ऑडिट और प्रथाएँ अपनाकर मानक उन्नत किए हैं।
- मरीज सशक्तिकरण और सहभागिता: मरीजों को रिकॉर्ड बनाए रखने, दवा की प्रतिक्रियाओं की रिपोर्ट करने और प्रश्न पूछने के माध्यम से देखभाल में सक्रिय भागीदार बनना चाहिए।
- उदाहरण: पेशेंट फॉर पशेंट सेफ्टी फाउंडेशन (Patients for Patient Safety Foundation) साप्ताहिक रूप से 14 लाख घरों तक पहुँचकर सुरक्षित प्रथाओं को बढ़ावा देती है।
- नागरिक समाज और प्रौद्योगिकी की भूमिका: गैर-सरकारी संगठन और नवप्रवर्तक जागरूकता उत्पन्न कर सकते हैं और समाधान तैयार कर सकते हैं, जैसे हानिकारक दवाओं के परस्पर प्रभाव को चिह्नित करने वाले एप्स।
- उदाहरण: पेशेंट फॉर पशेंट सेफ्टी फाउंडेशन (Patients for Patient Safety Foundation) चिकित्सा उपकरणों की विनियामक स्पष्टता को सुदृढ़ करने पर कार्य करती है।
- शिक्षा और सुरक्षा की संस्कृति: चिकित्सा और नर्सिंग शिक्षा में रोगी सुरक्षा को सम्मिलित करना, साथ ही जवाबदेही और निरंतर सुधार की संस्कृति को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष
रोगी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार, स्वास्थ्य संस्थानों, मरीजों और नागरिक समाज के समन्वित प्रयास आवश्यक हैं। भारत को राष्ट्रीय रोगी सुरक्षा कार्यान्वयन रूपरेखा (वर्ष 2018–25) का पूर्णतः कार्यान्वयन करना चाहिए, जवाबदेही बढ़ानी चाहिए, मरीजों को सशक्त बनाना चाहिए और सुरक्षा-उन्मुख संस्कृति को प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि पूरे देश में सुसंगत, विश्वसनीय तथा हानि-रहित स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराई जा सकें।
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