प्रश्न की मुख्य माँग
- ओपन बुक परीक्षा के गुण और अवगुणों पर चर्चा कीजिए।
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उत्तर
जैसे-जैसे शिक्षा स्मृति आधारित अध्ययन की बजाय योग्यता-आधारित अधिगम की ओर बढ़ रही है, ओपन बुक परीक्षाएँ (OBE) सबका ध्यान आकर्षित कर रही हैं। इसमें विद्यार्थियों को परीक्षा के दौरान पाठ्यपुस्तकें, नोट्स अथवा डिजिटल संसाधनों के उपयोग की अनुमति दी जाती है, जिससे स्मरण की अपेक्षा अनुप्रयोग, विश्लेषण और समस्या-समाधान पर बल दिया जाता है तथा अवधारणाओं को वास्तविक जीवन के संदर्भों से जोड़ने पर ध्यान केंद्रित होता है।
ओपन-बुक परीक्षाओं के गुण
- रटने की बजाय वैचारिक समझ को बढ़ावा: विद्यार्थियों का मूल्यांकन तथ्यों का स्मरण करने के बजाय विचारों को जोड़ने और अवधारणाओं को लागू करने की उनकी क्षमता के आधार पर किया जाता है, जिससे गहन अधिगम को बढ़ावा मिलता है।
- उदाहरण: नार्वे के एक अध्ययन (वर्ष 2000) में पाया गया कि OBE के छात्र, तथ्यों को याद करने के बजाय अलग-अलग विचारों के बीच संबंध खोजते हैं।
- परीक्षा संबंधी तनाव कम होता है: संदर्भ सामग्री उपलब्ध होने से चिंता का स्तर कम होता है, जिससे छात्रों को स्मरण करने के बजाय समस्या-समाधान पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
- उदाहरण: AIIMS भुवनेश्वर के शोध में बताया गया कि मेडिकल छात्रों ने OBE परिस्थितियों में कम तनाव का अनुभव किया।
- उच्च स्तरीय चिंतन कौशल को प्रोत्साहित करता है: यह प्रारूप छात्रों को प्रत्यक्ष तथ्यात्मक उत्तर देने के बजाय जानकारी का विश्लेषण, व्याख्या और संश्लेषण करने के लिए प्रेरित करता है।
- उदाहरण: हांगकांग अध्ययन (2004) से पता चला कि OBE पारंपरिक परीक्षाओं से भिन्न क्षमताओं को मापती है।
- वास्तविक दुनिया के कौशल विकास को बढ़ाता है: यह उन कार्य-स्थल परिस्थितियों का अनुकरण करती है, जहाँ पेशेवर उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग कर समाधान खोजते हैं।
- उदाहरण: इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए AICTE की वर्ष 2019 की मंजूरी ने OBE को प्रासंगिक माना।
- विविध अधिगम शैलियों का समावेशन: विद्यार्थी अपनी तैयार सामग्री का उपयोग उस तरीके से कर सकते हैं, जो उनकी अध्ययन शैली और क्षमताओं के अनुकूल हो।
- उदाहरण: NEP-2020 और NCERT की राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा योग्यता-आधारित अधिगम को बढ़ावा देती है।
- कमजोर विद्यार्थियों के प्रदर्शन में सुधार: इससे उन विद्यार्थियों को लाभ होता है, जिन्हें स्मृति-प्रधान परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने में कठिनाई होती है, क्योंकि इससे उन्हें अपनी समझ प्रदर्शित करने का उचित अवसर मिलता है।
ओपन-बुक परीक्षाओं के अवगुण
- समुचित प्रशिक्षण के अभाव में सतही तैयारी: विद्यार्थी विषय वस्तु में गहराई से संलग्न होने के बजाय सामग्री पर अत्यधिक निर्भर हो सकते हैं।
- उदाहरण: हांगकांग अध्ययन (2004) में पाया गया कि प्रथम बार OBE देने वाले छात्र सतही तैयारी करते हैं तथा मुख्य रूप से प्रशिक्षक के हैंडआउट्स पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- परीक्षा के दौरान समय प्रबंधन में चुनौतियाँ: विद्यार्थी उत्तर खोजने में अत्यधिक समय व्यतीत कर सकते हैं, जिससे आलोचनात्मक विश्लेषण पर ध्यान घट सकता है।
- ऑनलाइन OBE में डिजिटल विभाजन और तकनीकी अवरोध: असमान इंटरनेट पहुँच या खराब कनेक्टिविटी दूरस्थ अथवा संसाधन विहीन क्षेत्रों में विद्यार्थियों के लिए एक बड़ी बाधा सिद्ध हो सकती हैं।
- उदाहरण: भारत आधारित कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस पायलट में यह पाया गया कि इंटरनेट की अस्थिरता एक प्रमुख कमी है।
- सामग्री के सतही उपयोग का जोखिम: विद्यार्थी विषय वस्तु को संसाधित करने और एकीकृत करने के बजाय उसे शीघ्रता से ढूँढ़ने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
- कार्यान्वयन की जटिलताएँ और परिणामों में असंगति: निष्पक्षता सुनिश्चित करने हेतु स्पष्ट दिशा-निर्देश, उचित प्रशिक्षण और सख्त संसाधन प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
- उदाहरण: CBSE की OTBA (2014-17) को आलोचनात्मक योग्यताएँ विकसित करने में विफल रहने के कारण रद्द कर दिया गया।
- स्कूल बोर्डों में कार्यान्वयन की चुनौतियाँ: उच्च स्तरीय परीक्षाओं में OBE को समाहित करना कठिन है, जैसा कि CBSE के अनुभव से स्पष्ट है।
निष्कर्ष
ओपन बुक परीक्षा के लाभों को अधिकतम करने हेतु संस्थानों को प्रश्न-विश्लेषण, सूचना-खोज एवं अनुप्रयोग कौशल पर प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए, स्मरण एवं अनुप्रयोग के संतुलित मिश्रित मूल्यांकन अपनाने चाहिए, डिजिटल पहुँच में समानता सुनिश्चित करनी चाहिए तथा प्रश्न-निर्माण में निरंतर सुधार करना चाहिए। इस प्रकार NEP-2020 के योग्यता-आधारित दृष्टिकोण के अनुरूप गहन अधिगम, आलोचनात्मक चिंतन एवं व्यावहारिक समस्या-समाधान को प्रोत्साहन मिलेगा, साथ ही वर्तमान कमियों का समाधान भी होगा।
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