प्रश्न की मुख्य माँग
- राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025 के प्रमुख प्रावधान
- चुनौतियाँ, जिनका समाधान विधेयक द्वारा किया जाना है।
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उत्तर
23 जुलाई 2025 को लोक सभा में पेश किए गए राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025 का उद्देश्य भारत की खेल प्रशासन प्रणाली में व्यापक सुधार लाना है। 56 से अधिक राष्ट्रीय खेल महासंघों के होते हुए, यह विधेयक एक समर्पित बोर्ड और न्यायाधिकरण प्रणाली के माध्यम से पारदर्शिता, दक्षता और खिलाड़ी-केंद्रित न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।
राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025 के प्रमुख प्रावधान
- राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) की स्थापना: NSB, BCCI सहित सभी खेल महासंघों की निगरानी के लिए एक नियामक प्राधिकरण के रूप में कार्य करेगा। उदाहरण के लिए, NSB खेल क्षेत्र में SEBI की तरह काम करेगा, जिससे सभी राष्ट्रीय महासंघों पर निगरानी सुनिश्चित हो सकेगी।
- राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण (NST) का गठन: NST चयन, चुनाव और खिलाड़ियों की शिकायतों से जुड़े विवादों का समाधान करेगा, जिसकी अपील सीधे सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकेगी। उदाहरण के लिए: यह FIFA की “कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS)” पर निर्भरता के समान है, जिससे विषय विशेषज्ञों द्वारा न्याय सुनिश्चित होता है।
- NSB के लिए स्वतंत्र बजट और कर्मचारियों की भर्ती की शक्ति: NSB व्यापक निगरानी सुनिश्चित करने के लिए कानूनी, लेखा परीक्षा और जाँच विशेषज्ञों की भर्ती करेगा।
- अनिवार्य पंजीकरण और मानकीकरण: सभी खेल संस्थाओं को NSB के साथ पंजीकरण कराना होगा तथा समान नियमों और डेटा प्रणालियों के तहत संचालन करना होगा।
- प्रशासकों के लिए आयु सीमा: विधेयक में खेल प्रशासकों के लिए आयु सीमा बढ़ाकर 75 वर्ष करने का प्रस्ताव है।
- BCCI को शामिल करने का प्रस्ताव: यह विधेयक BCCI को, जो वर्तमान में औपचारिक मान्यता से बाहर है, NSB विनियमन के अंतर्गत ला सकता है।
यह विधेयक भारत के खेल क्षेत्र की गंभीर समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है। नीचे कुछ प्रमुख चुनौतियाँ दी गई हैं, जिनका यह समाधान करना चाहता है।
चुनौतियाँ, जिनका समाधान विधेयक द्वारा किया जाना है
- केंद्रीय नियामक प्राधिकरण: राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) एक वैधानिक निकाय के रूप में कार्य करेगा, जिसके पास नियामक निगरानी के लिए अपना स्वयं का बजट और विशेषज्ञ कर्मचारी होंगे।
- कानूनी विवाद: राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण (NST) क्षेत्र विशेषज्ञों की सहायता से तेज, निष्पक्ष और विशेषीकृत विवाद समाधान करेगा।
- चयन प्रक्रियाओं में पारदर्शिता: NSB सभी महासंघों में मानकीकृत चयन मानदंड और पारदर्शी मूल्यांकन प्रक्रिया अनिवार्य करता है। उदाहरण: सार्वजनिक प्रकटीकरण मानदंड पक्षपात को रोकने में मदद करेंगे, जिससे योग्य एथलीटों को ट्रायल और समीक्षा का अवसर मिलेगा।
- खेल निकायों में निश्चित आयु और कार्यकाल: प्रस्तावित एकसमान आयु सीमा, प्रशासकों के कार्यकाल मानदंडों में स्पष्टता लाती है।
- संस्थागत शिकायत निवारण: एक स्पष्ट त्रिस्तरीय निवारण प्रणाली अर्थात् आंतरिक समाधान, न्यायाधिकरण अपील और सर्वोच्च न्यायालय तक पहुँच से दीर्घकालिक विवादों को कम किया जा सकता है।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025 पारदर्शी, समावेशी और एथलीट फर्स्ट प्रशासन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। जवाबदेही को संस्थागत बनाकर, विशेषज्ञ विवाद समाधान को सक्षम बनाकर और वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप होकर, यह भारत में एक अधिक परिपक्व खेल व्यवस्था की नींव रखता है।
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