प्रश्न की मुख्य माँग
- भारत के लिए एक व्यापक जनसांख्यिकी मिशन की आवश्यकता क्यों है?
- मानव क्षमता का दोहन करने के लिए मिशन को किन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए।
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उत्तर
भारत का जनसांख्यिकी परिदृश्य तीव्र परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जिसमें युवाओं का प्रभुत्व, क्षेत्रीय असमानताएँ और प्रवासन की बदलती प्रवृत्तियाँ प्रमुख रूप से दिखाई देती हैं, जबकि सरकार का जनसांख्यिकी मिशन मुख्य रूप से आव्रजन की निगरानी पर केंद्रित है, विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि एक व्यापक, एकीकृत और क्षमता-आधारित दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिससे जनसंख्या की विविधता को समावेशी और सतत् राष्ट्रीय विकास के इंजन में परिवर्तित किया जा सके।
भारत के लिए एक व्यापक जनसांख्यिकी मिशन की आवश्यकता
- जनसंख्या नियंत्रण से मानव विकास की ओर परिवर्तन: जनसंख्या नियंत्रण करने पर फोकस को केवल जनसंख्या को सीमित करने से हटाकर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार संबंधी योग्यता को बढ़ाने पर केंद्रित किया जाना चाहिए।
- उदाहरण: केरल की जनसांख्यिकी सफलता साक्षरता और स्वास्थ्य में निवेश का परिणाम है, न कि कठोर जनसंख्या नियंत्रण नीतियों का।
- जनसांख्यिकी लाभांश का दोहन: भारत की युवा आबादी तभी एक संपत्ति बन सकती है, जब उन्हें कौशल प्रशिक्षण और उत्पादक रोजगार के अवसर मिलें।
- उदाहरण: स्किल इंडिया और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) को क्षेत्रीय श्रम बाजार की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाना चाहिए, ताकि शिक्षित बेरोजगारी को रोका जा सके।
- क्षेत्रीय जनसांख्यिकी असमानताओं को कम करना: एक राष्ट्रीय मिशन को राज्यों में प्रजनन दर, शिक्षा और कार्यबल में असमानताओं को दूर करने पर ध्यान देना चाहिए।
- उदाहरण: जहाँ दक्षिणी राज्य वृद्ध होती जनसंख्या से जूझ रहे हैं, वहीं बिहार जैसे उत्तरी राज्यों में युवाओं के लिए रोजगार सृजन की आवश्यकता है।
- नीति में प्रवासन का एकीकरण: प्रवासन को श्रम, आवास और शहरी योजना को आकार देने वाले एक प्रमुख जनसांख्यिकी चालक के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए।
- डेटा-आधारित जनसांख्यिकी शासन: सतत् डेटा संग्रह और विश्लेषण साक्ष्य-आधारित और समय पर नीति-निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक है।
- उदाहरण: वर्ष 2021 की जनगणना में देरी के कारण महामारी के बाद की सामाजिक-आर्थिक पुनर्प्राप्ति की स्पष्ट योजना में बाधा आई।
मानव क्षमता के दोहन के लिए मिशन के प्रमुख क्षेत्र
- शिक्षा और कौशल अवसंरचना: ‘स्किल कैपिटल’ दृष्टि के अनुरूप समान और सुलभ शिक्षा प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।
- उदाहरण: राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन (NSDM) की असमान पहुँच इस बात को दर्शाती है कि आकांक्षाओं और वास्तविक अवसरों में अंतर बना हुआ है।
- स्वास्थ्य और पोषण समानता: सर्वजन स्वास्थ्य कवरेज, मातृ देखभाल और बाल पोषण में निवेश जीवन प्रत्याशा और उत्पादकता को बढ़ाता है।
- उदाहरण: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के आँकड़े बताते हैं कि महिलाओं में एनीमिया की समस्या बनी हुई है, जिससे कार्यबल की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
- लैंगिक और जनसांख्यिकी सशक्तीकरण: महिलाओं की शिक्षा और श्रम भागीदारी जनसांख्यिकी लाभांश को सामाजिक पूँजी में परिवर्तित करती है।
- उदाहरण: केरल में उच्च महिला साक्षरता दर के कारण कम प्रजनन दर और बेहतर सामाजिक-आर्थिक परिणाम प्राप्त हुए हैं।
- क्षेत्रीय और ग्रामीण-शहरी एकीकरण: जनसांख्यिकी नीति को शहरी प्रवासन केंद्रों और ग्रामीण प्रवासन क्षेत्रों के बीच संतुलन स्थापित करना चाहिए।
- उदाहरण: स्मार्ट सिटी कार्यक्रमों में जनसांख्यिकी मानचित्रण को शामिल किया जाना चाहिए ताकि संसाधनों का अत्यधिक केंद्रीकरण न हो।
- संस्थागत और डेटा सुधार: एक स्वतंत्र ‘राष्ट्रीय जनसांख्यिकी और मानव क्षमता आयोग’ की स्थापना की जानी चाहिए, जो जनगणना, स्वास्थ्य और प्रवासन डेटा को एकीकृत करे।
- उदाहरण: नीति आयोग के SDG सूचकांक की तर्ज पर एक ‘जनसांख्यिकी क्षमता सूचकांक’ तैयार किया जा सकता है, जिससे राज्य-स्तरीय योजना को दिशा मिले।
निष्कर्ष
एक समग्र जनसांख्यिकी मिशन केवल आँकड़ों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि मानव क्षमताओं के पोषण पर आधारित होना चाहिए। यदि भारत शिक्षा, स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और प्रवासन को समग्र दृष्टि से एकीकृत करता है, तो यह अपनी जनसंख्या को उत्पादक पूँजी में परिवर्तित कर सकता है। इस प्रकार, भारत का जनसांख्यिकी लाभ एक स्थायी लाभांश में विकसित होकर समावेशी, संतुलित और भविष्य-उन्मुख राष्ट्रीय विकास का आधार बन सकता है।
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