Q. इंडोनेशिया एवं भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो की भारत यात्रा के महत्त्व पर चर्चा कीजिए। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर इस साझेदारी के संभावित प्रभाव का विश्लेषण भी कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने में इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो की भारत यात्रा के महत्त्व पर चर्चा कीजिए।
  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर इस साझेदारी के संभावित प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में इस साझेदारी की कमियों का विश्लेषण कीजिए।
  • आगे की राह लिखिए।

उत्तर

एशिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत और इंडोनेशिया, एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और समुद्री संबंधों को साझा करते हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत और इंडोनेशिया का द्विपक्षीय व्यापार 29.4 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जो उनके मजबूत होते आर्थिक संबंधों को दर्शाता है। राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो की गणतंत्र दिवस यात्रा का उद्देश्य उनकी व्यापक रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करना, आपसी विकास के लिए इंडोपैसिफिक, रक्षा और क्षेत्रीय सुरक्षा में सहयोग को बढ़ावा देना है।

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इंडोनेशियाई राष्ट्रपति की भारत यात्रा का महत्त्व

  • रणनीतिक गहराई: यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक बनाने, रक्षा सहयोग, समुद्री सुरक्षा और उभरती क्षेत्रीय चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए बहुपक्षीय समन्वय  पर ध्यान केंद्रित करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
    • उदाहरण के लिए: इंडो-पैसिफिक महासागर पहल (IPOI)  के तहत संयुक्त रक्षा उत्पादन पहल।
  • BRICS सहयोग: BRICS में इंडोनेशिया की हालिया सदस्यता सहयोग के लिए अवसर उत्पन्न करती है, जिससे वैश्विक निर्णय लेने वाले मंचों में उसका रणनीतिक प्रभाव बढ़ता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत और इंडोनेशिया, BRICS शिखर सम्मेलनों के माध्यम से एक क्षेत्र-समर्थक एजेंडा चला सकते हैं।
  • समुद्री सहयोग: इंडो-पैसिफिक महासागर पहल (IPOI) और ASEAN आउटलुक ऑन इंडो पैसिफिक पहल को लागू करने में मदद करता है, जिससे नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था को बढ़ावा मिलता है। 
    • उदाहरण के लिए: हिंद महासागर में अवैध मत्स्यन को रोकने के लिए संयुक्त प्रयास।
  • आर्थिक सहभागिता: चीन पर अत्यधिक निर्भरता कम करने के लिए व्यापार साझेदारी में विविधता लाना और जापान व ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ त्रिपक्षीय ढाँचों पर विचार करना। 
    • उदाहरण के लिए: आपूर्ति शृंखला प्रत्यास्थता पर हालिया भारत-जापान-इंडोनेशिया चर्चाएँ।
  • क्षेत्रीय प्रभाव: BIMSTEC में इंडोनेशिया को शामिल करने की संभावना के माध्यम से भारत के ईस्टर्ननेबरहुड संबंधों को बढ़ावा मिलेगा। 
    • उदाहरण के लिए: क्षेत्रीय एकीकरण के लिए आसियान+1 वार्ता का समन्वय।

इंडोपैसिफिक क्षेत्र पर संभावित प्रभाव

  • नियम-आधारित व्यवस्था: संयुक्त समुद्री सुरक्षा पहलों के माध्यम से एक स्वतंत्र और समावेशी इंडोपैसिफिक क्षेत्र स्थापित करने के प्रयासों को मजबूत करता है।
    • उदाहरण के लिए: भारत द्वारा IORA की आगामी अध्यक्षता के तहत सहयोग।
  • रणनीतिक स्थिरता: बहुध्रुवीयता को बढ़ावा देता है और ASEAN देशों, भारत और चीन तथा अमेरिका जैसी वैश्विक शक्तियों के बीच प्रभाव को संतुलित करता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत और इंडोनेशिया, इंडो पैसिफिक (AOIP) और IPOI फ्रेमवर्क पर आसियान दृष्टिकोण के साथ संरेखित हैं।
  • रक्षा सहयोग: भारत, इंडोनेशिया और जापान/ऑस्ट्रेलिया के बीच बढ़ा हुआ त्रिपक्षीय रक्षा सहयोग, समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
    • उदाहरण के लिए: समुद्री मार्गों की सुरक्षा के लिए त्रिपक्षीय नौसैनिक अभ्यास।
  • आर्थिक संपर्क: क्षेत्रीय व्यापार और संपर्क को बढ़ावा देता है और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में प्रत्यास्थ आपूर्ति शृंखलाओं को बढ़ावा देता है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत-इंडोनेशिया-ऑस्ट्रेलिया त्रिपक्षीय आर्थिक कॉरिडोर पर विचार करना।
  • जलवायु कार्रवाई: ब्लू इकोनॉमी परियोजनाओं, समुद्री जैव विविधता संरक्षण और आपदा प्रबंधन
    में संयुक्त प्रयास।

    • उदाहरण के लिए: भारत और इंडोनेशिया IPOI की आपदा जोखिम न्यूनीकरण पहलों का समर्थन कर रहे हैं।

इंडोपैसिफिक क्षेत्र में इस साझेदारी की कमियाँ

  • चीन का प्रभाव: इंडोनेशिया की चीन पर आर्थिक निर्भरता, इंडो-पैसिफिक नीतियों पर भारत के साथ तालमेल बिठाने में बाधा बन सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: दक्षिण चीन सागर विवादों में चीन का खुलेआम विरोध करने पर इंडोनेशिया का सतर्क रुख।
  • आसियान प्राथमिकताएँ: आसियान केंद्रित नीतियों के प्रति इंडोनेशिया की प्रतिबद्धता, द्विपक्षीय या त्रिपक्षीय रूपरेखाओं के दायरे को सीमित कर सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: AOIP, तटस्थता पर बल देता है, जो IPOI में भारत-इंडोनेशिया सहयोग को कमजोर कर सकता है।
  • भिन्न विश्वदृष्टिकोण: संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंचों पर अलग-अलग वोटिंग पैटर्न, रणनीतिक सामंजस्य को प्रभावित कर सकते हैं।
    • उदाहरण के लिए: संयुक्त राष्ट्र में भारत समर्थित प्रस्तावों पर इंडोनेशिया का मतदान से बचना।
  • संसाधन की कमी: सीमित संसाधन और समन्वय तंत्र, सहमत पहलों के प्रभावी कार्यान्वयन में बाधा डालते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ प्रस्तावित त्रिपक्षीय समझौतों पर कार्रवाई में देरी।
  • म्याँमार संकट: म्याँमार के राजनीतिक संकट पर अलग-अलग विचार, व्यापक क्षेत्रीय रणनीतियों में संघर्ष उत्पन्न करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: भारत का व्यावहारिक दृष्टिकोण, इंडोनेशिया के आसियान-नेतृत्व वाले रुख के विपरीत है।

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आगे की राह 

  • बहुपक्षवाद को मजबूत करना: BRICS, BIMSTEC और IORA में भारत-इंडोनेशिया समन्वय को बढ़ाना चाहिए ताकि विश्वास को बढ़ावा मिले और जुड़ाव को व्यापक बनाया जा सके। 
    • उदाहरण के लिए: इंडो-पैसिफिक देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए BRICS समर्थित व्यापार और कनेक्टिविटी परियोजनाओं का निर्माण करना।
  • आर्थिक संबंधों को गहरा करना: चीन जैसे थर्ड-पार्टी देशों पर निर्भरता कम करने के लिए
    द्विपक्षीय व्यापार और बुनियादी ढाँचे के विकास का विस्तार करना चाहिए 

    • उदाहरण के लिए: भारत की सागरमाला पहल के तहत बंदरगाह संपर्क में संयुक्त निवेश।
  • रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना: IPOI के समुद्री सुरक्षा स्तंभ के तहत संयुक्त नौसैनिक अभ्यास और प्रौद्योगिकी-साझाकरण पहल विकसित करना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: इंडो-पैसिफिक पर फोकस के साथ रक्षा अभ्यास आयोजित करना।
  • त्रिपक्षीय रूपरेखा को आगे बढ़ाना: समुद्री सुरक्षा और जलवायु प्रत्यास्थता पर ध्यान केंद्रित करते हुए जापान तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ साझेदारी को मजबूत करना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: आपदा प्रबंधन सहयोग के लिए भारत-जापान-इंडोनेशिया त्रिपक्षीय वार्ता को तेजी से आगे बढ़ाना।
  • लोगों के बीच आपसी संबंध बढ़ाना: सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान, पर्यटन और शैक्षिक सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के अंतर्गत इंडोनेशियाई छात्रों के लिए छात्रवृत्ति।

भारत-इंडोनेशिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी, क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि के लिए महत्त्वपूर्ण है। रक्षा, समुद्री सुरक्षा और डिजिटल नवाचार में सहयोग बढ़ाकर, दोनों देश इंडो-पैसिफिक चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान कर सकते हैं, जिससे एक मुक्त और समावेशी क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। साझा लक्ष्यों के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता, उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य में प्रमुख देशों के रूप में उनकी भूमिकाओं को मजबूत करेगी।

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