Q. रोजगार और उत्पादन में प्रमुख भूमिका के बावजूद भारत का अनौपचारिक क्षेत्र राष्ट्रीय खातों में अपर्याप्त रूप से शामिल है। अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के मापन में संरचनात्मक और पद्धतिगत चुनौतियों पर चर्चा कीजिए और सुधारों का सुझाव दीजिये। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को मापने में संरचनात्मक चुनौतियाँ।
  • अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को मापने में पद्धतिगत चुनौतियाँ।
  • सुधारों का सुझाव दीजिए।

उत्तर

नीति आयोग का अनुमान है कि भारत का अनौपचारिक क्षेत्र कुल श्रमबल का लगभग 85% नियोजित करता है और कुल उत्पादन का लगभग आधा योगदान देता है, फिर भी यह राष्ट्रीय लेखों में पर्याप्त रूप से परिलक्षित नहीं होता। यह अंतर IMF की हालिया ‘C’ ग्रेड रेटिंग द्वारा भी रेखांकित किया गया है। पुराने आधार वर्ष और कमजोर डेटा कवरेज महत्त्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों को विकृत करते हैं। विश्वसनीय नीति निर्माण के लिए अनौपचारिक क्षेत्र के मापन को सुदृढ़ करना आवश्यक है।

अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के मापन में संरचनात्मक चुनौतियाँ

  • विखंडित और अपंजीकृत उद्यम: अधिकांश अनौपचारिक इकाइयाँ छोटी, नकदी-आधारित तथा विनियामक डाटा-तंत्र से बाहर होती हैं, जिससे उनका संपूर्ण गणना-निर्धारण कठिन हो जाता है।
    • उदाहरण: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष इंगित करता है कि भारत को अपंजीकृत तथा नकदी-आधारित आर्थिक गतिविधि का लेखा-निर्धारण करने में कठिनाई होती है।
  • उच्च श्रम गतिशीलता और मौसमी कार्य: रोजगार और क्षेत्रों के बीच लगातार बदलाव विश्वसनीय श्रमशक्ति और उत्पादकता का अनुमान लगाने में बाधा उत्पन्न करता है।
    • उदाहरण: अनौपचारिक श्रमिक ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच स्थानांतरित होते हैं, जिससे उत्पादन मापन जटिल हो जाता है।
  • कमजोर संस्थागत रिपोर्टिंग चैनल: अनिवार्य रिकॉर्ड-कीपिंग की अनुपस्थिति बिक्री, मजदूरी और उत्पादन पर डेटा सीमित करती है।
    • उदाहरण: कॉरपोरेट क्षेत्र MCA-21 का उपयोग करता है, जबकि अनौपचारिक इकाइयों के पास कोई व्यवस्थित रिपोर्टिंग तंत्र नहीं है।

अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के मापन में पद्धतिगत चुनौतियाँ

  • पुराना आधार वर्ष और मानक: वर्ष 2011–12 के आधार वर्ष पर निर्भरता अनौपचारिक क्षेत्र के अनुमान और विकास आँकड़ों को विकृत करती है।
    • उदाहरण: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने आंशिक रूप से इस पुराने आधार वर्ष के कारण भारत के राष्ट्रीय लेखों को निम्न श्रेणी प्रदान की।
  • अपर्याप्त सर्वेक्षण कवरेज और नमूना ढाँचे: घरेलू और उद्यम सर्वेक्षण अक्सर माइक्रो-यूनिट्स को छोड़ देते हैं या अद्यतन नहीं किए गए नमूना ढाँचे पर भरोसा करते हैं।
    • उदाहरण: IIP और CPI डेटा सेट के अद्यतन में देरी क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को प्रभावित करती है।
  • अप्रत्यक्ष संकेतकों पर अधिक निर्भरता: सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान प्रत्यक्ष अनौपचारिक क्षेत्रीय डाटा के बजाय उपभोग या इनपुट-आउटपुट अनुपात जैसे संकेतकों पर आधारित रहता है।
    • उदाहरण: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इंगित किया कि अपर्याप्त संकेतक निवेश एवं उपभोग प्रवृत्तियों की निगरानी को बाधित करते हैं।

बेहतर मापन के लिए सुझाए गए सुधार

  • आधार वर्षों को अद्यतन करना और नए डेटा स्रोतों को एकीकृत करना: GST, डिजिटल भुगतान, ई-चालान  और भू-स्थानिक डेटा के साथ वर्ष 2026 के संशोधनों को तीव्र करना।
  • उद्यम और श्रम सर्वेक्षण का विस्तार और आधुनिकीकरण: सूक्ष्म एवं गृह-आधारित इकाइयों को समाहित करने हेतु नियमित, प्रौद्योगिकी-आधारित सर्वेक्षण संचालित करना।
    • उदाहरण: MCA-21 अपनाने जैसे पिछले उन्नयन से आधुनिक डेटा सिस्टम के लाभ दिखते हैं।
  • केंद्र–राज्य सांख्यिकीय निकायों के बीच समन्वय सुदृढ़ करना: स्थानीय सरकारों, श्रम विभाग और GST नेटवर्क से डेटा प्रवाह को सुव्यवस्थित करना।
  • अनुमान के लिए डिजिटल फुटप्रिंट का उपयोग करना: UPI लेन-देन, ई-कॉमर्स डेटा, MSME पोर्टल और जन धन खातों का पूरक संकेतक के रूप में उपयोग।
    • उदाहरण: वर्ष 2011–12 के बाद से डिजिटलीकरण वर्तमान राष्ट्रीय खातों में परिलक्षित नहीं है।

निष्कर्ष

अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का सटीक मापन भारत की वास्तविक विकास गति को समझने और विश्वसनीय वित्तीय एवं मौद्रिक नीतियों के निर्माण के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। आधार वर्ष अद्यतन करने, आँकड़ा-तंत्र को सुदृढ़ करने तथा डिजिटल जानकारी का एकीकरण करने से लंबे समय से विद्यमान अंतर को दूर किया जा सकता है।  आधुनिक सांख्यिकीय ढाँचा पारदर्शिता, वैश्विक विश्वसनीयता और राष्ट्रीय आर्थिक आकलनों में समावेशिता बढ़ाएगा।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.