प्रश्न की मुख्य माँग
- आर्थिक सहयोग के संदर्भ में पिछले दशक में भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों के विकास पर चर्चा कीजिये।
- रक्षा सहयोग के विशेष संदर्भ में पिछले दशक में भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों के विकास पर चर्चा कीजिये।
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उत्तर:
पिछले एक दशक में भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंध महत्त्वपूर्ण रूप से विकसित हुए हैं, जो आर्थिक एवं रक्षा सहयोग को गहन करने से चिह्नित है। क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने, व्यापार संबंधों को बढ़ाने एवं चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने में साझा हितों के साथ, दोनों देश वैश्विक चुनौतियों से निपटने में प्रमुख भागीदार के रूप में उभरे हैं। यह साझेदारी आर्थिक विकास, प्रौद्योगिकी तथा सुरक्षा में आपसी हितों पर आधारित है, जो क्वाड एवं द्विपक्षीय व्यापार समझौतों जैसी पहलों के माध्यम से संबंधों को और मजबूत करती है।
आर्थिक सहयोग के संदर्भ में भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों का विकास
- द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि: भारत एवं अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार में लगातार वृद्धि देखी गई है, जिससे अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है।
- उदाहरण के लिए: वर्ष 2023 में, भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार 118 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, दोनों देशों को प्रौद्योगिकी, ऊर्जा एवं सेवाओं जैसे क्षेत्रों में व्यापार बढ़ने से लाभ हुआ।
- प्रौद्योगिकी सहयोग: भारत एवं अमेरिका ने AI, अर्द्धचालक तथा नवीकरणीय ऊर्जा जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में अपना सहयोग गहन किया है।
- उदाहरण के लिए: वर्ष 2023 में लॉन्च की गई US-इंडिया इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (iCET), दोनों अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करने के लिए सेमीकंडक्टर, क्वांटम कंप्यूटिंग एवं AI पर केंद्रित है।
- आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन: दोनों देशों ने चीन पर निर्भरता कम करते हुए लचीली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए सहयोग किया है।
- उदाहरण के लिए: आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल (SCRI), जिसमें भारत एक मुख्य हितधारक है, आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने एवं वैश्विक विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र में भारत की भूमिका को मजबूत करने का प्रयास करता है।
- स्टार्टअप्स में निवेश: अमेरिका भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक प्रमुख निवेशक रहा है, जो प्रौद्योगिकी-संचालित क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा दे रहा है।
- उदाहरण के लिए: अमेरिका स्थित उद्यम पूँजी फर्मों ने भारतीय स्टार्टअप्स में महत्त्वपूर्ण निवेश किया है, जिससे भारत को वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में उभरने में योगदान मिला है।
- ऊर्जा सहयोग: भारत एवं अमेरिका ने विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा तथा स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में ऊर्जा सहयोग को मजबूत किया है।
- उदाहरण के लिए: US-इंडिया स्ट्रेटेजिक एनर्जी पार्टनरशिप ने भारत में सौर ऊर्जा परियोजनाओं को उन्नत किया है, जो देश के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने के प्रयासों का समर्थन करता है।
- फार्मास्युटिकल एवं हेल्थकेयर संबंध: स्वास्थ्य सेवा में साझेदारी, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान, आपसी निर्भरता को उजागर करती है।
- उदाहरण के लिए: महामारी के दौरान अमेरिका को भारत का फार्मास्युटिकल निर्यात काफी बढ़ गया, भारतीय टीकों एवं जेनेरिक दवाओं ने वैश्विक स्वास्थ्य प्रयासों में योगदान दिया।
- डिजिटल एवं सेवा अर्थव्यवस्था: IT सेवा क्षेत्र भारत-अमेरिका आर्थिक संबंधों की आधारशिला रहा है, भारतीय IT कंपनियाँ अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान देती हैं।
- उदाहरण के लिए: TCS एवं इंफोसिस जैसी भारतीय कंपनियां अमेरिका में हजारों लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं, तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देती हैं तथा अमेरिकी डिजिटल अर्थव्यवस्था में योगदान देती हैं।
- क्वाड आर्थिक सहयोग: भारत, अमेरिका, जापान एवं ऑस्ट्रेलिया को शामिल करते हुए क्वाड ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका का विस्तार किया है।
रक्षा सहयोग के विशेष संदर्भ में पिछले दशक में भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों का विकास
- रक्षा व्यापार: उच्च-स्तरीय सैन्य उपकरणों की बढ़ती खरीद के साथ, अमेरिका भारत के लिए एक प्रमुख रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा है।
- उदाहरण के लिए: भारत द्वारा MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर एवं अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की खरीद ने अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत किया है, जो अमेरिका के साथ गहरे सैन्य संबंधों को रेखांकित करता है।
- मूलभूत रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर: कई मूलभूत समझौतों ने भारत एवं अमेरिका के बीच सैन्य अंतरसंचालनीयता को बढ़ाया है।
- उदाहरण के लिए: वर्ष 2018 में संचार संगतता एवं सुरक्षा समझौता (Communications Compatibility and Security Agreement- COMCASA) तथा वर्ष 2020 में ‘बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट’ (BECA) पर हस्ताक्षर से खुफिया जानकारी साझा करने एवं करीबी रक्षा सहयोग की सुविधा मिली।
- संयुक्त सैन्य अभ्यास: भारत एवं अमेरिका ने भूमि, वायु और समुद्री क्षेत्रों में परिचालन समन्वय को बढ़ाते हुए संयुक्त सैन्य अभ्यास तेज कर दिया है।
- उदाहरण के लिए: वार्षिक मालाबार नौसेना अभ्यास, जिसमें अमेरिका, भारत, जापान एवं ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, समुद्री सहयोग को प्रदर्शित करता है तथा भारत-प्रशांत में क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करता है।
- इंडो-पैसिफिक सुरक्षा: क्षेत्र में चीन की आक्रामक नीतियों का मुकाबला करने के लिए दोनों देशों के पास स्वतंत्र एवं खुले इंडो-पैसिफिक के लिए एक साझा दृष्टिकोण है।
- उदाहरण के लिए: इंडो-पैसिफिक रणनीति नेविगेशन की स्वतंत्रता एवं क्षेत्रीय स्थिरता पर केंद्रित है, जिसमें भारत समुद्री सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
- रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग: भारत एवं अमेरिका उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए सहयोगी परियोजनाओं में लगे हुए हैं।
- उदाहरण के लिए: रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल (DTTI) के तहत, दोनों देश भविष्य की रक्षा जरूरतों के लिए मानव रहित प्रणालियों तथा जेट इंजनों के संयुक्त विकास की खोज कर रहे हैं।
- सैन्य रसद साझा करना: ‘लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट’ (Logistics Exchange Memorandum Of Agreement- LEMOA) पर हस्ताक्षर करने से दोनों सेनाओं को आपूर्ति एवं मरम्मत के लिए एक-दूसरे के ठिकानों तक पहुँचने में मदद मिलती है, जिससे परिचालन दक्षता बढ़ती है।
- उदाहरण के लिए: LEMOA भारतीय एवं अमेरिकी सेनाओं को संयुक्त अभियानों तथा मानवीय मिशनों को सुविधाजनक बनाने, सैन्य उद्देश्यों के लिए एक-दूसरे के सैन्य अड्डों का उपयोग करने की अनुमति देता है।
- सामरिक रक्षा संवाद: रक्षा क्षेत्र में भारत एवं अमेरिका के बीच नियमित संवाद ने उनके रणनीतिक संरेखण को मजबूत किया है।
- उदाहरण के लिए: 2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद दोनों देशों के रक्षा एवं विदेश मंत्रियों को सुरक्षा तथा रणनीतिक मुद्दों पर बातचीत करने की अनुमति देता है, जिससे करीबी रक्षा साझेदारी को बढ़ावा मिलता है।
- हथियारों की खरीद एवं आधुनिकीकरण: अमेरिका ने अत्याधुनिक हथियारों एवं रक्षा प्रणालियों के साथ भारत की सेना को आधुनिक बनाने में मदद करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- उदाहरण के लिए: भारत द्वारा P-8I समुद्री निगरानी विमान के अधिग्रहण ने इसकी पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को बढ़ाया है, जो बढ़ती रक्षा साझेदारी को दर्शाता है।
पिछले एक दशक में भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों में वृद्धि देखी गई है, विशेषकर आर्थिक एवं रक्षा सहयोग के क्षेत्र में। चूँकि दोनों देश प्रौद्योगिकी एवं व्यापार से लेकर क्षेत्रीय सुरक्षा तक साझा हितों पर कार्य करना जारी रखते हैं, इसलिए इस साझेदारी का भविष्य आशाजनक दिखता है। महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों, रक्षा आधुनिकीकरण तथा क्षेत्रीय स्थिरता में बढ़ा हुआ सहयोग भारत-अमेरिका संबंधों के प्रक्षेप पथ को आकार देगा, जिससे उनका वैश्विक रणनीतिक प्रभाव और मजबूत होगा।
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