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Q. हाल ही में आयोजित 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताओं पर चर्चा कीजिए। भारत के लिए आसियान से जुड़ी चुनौतियाँ और लाभों को भी रेखांकित कीजिए? (250 शब्द, 15 अंक)

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • परिचय: आसियान-भारत संबंधों के महत्व का संक्षेप में परिचय दीजिए। साथ ही, 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन का भी उल्लेख कीजिए।  
  • मुख्य विषयवस्तु: 
    • 12 सूत्री प्रस्ताव से लेकर समुद्री सहयोग तक, इस शिखर सम्मेलन के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डालिए।
    • भारत के लिए आसियान के साथ संबंधों के रणनीतिक, आर्थिक और रक्षा निहितार्थ पर चर्चा कीजिये।
    • उन संभावित बाधाओं और चुनौतियों की पहचान कर उनका उल्लेख कीजिए जिनका आसियान और भारत दोनों अपने संबंधों में सामना करते हैं, इसमें रणनीतिक प्रतिस्पर्धा से लेकर आर्थिक असंतुलन तक शामिल हैं।
  • निष्कर्ष: शिखर सम्मेलन के महत्व और समग्र रूप से आसियान-भारत संबंधों का सारांश देते हुए निष्कर्ष निकालें।

परिचय:

आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संघ) एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय समूह है जो दक्षिण एशिया को दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ता है। गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में, आसियान के साथ भारत का जुड़ाव और गहरा हुआ है, जो मजबूत राजनयिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंधों में दिखाई देता है। 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन की थीम आसियान मामले: विकास का केंद्रस विकसित होते रिश्ते में एक और महत्वपूर्ण कदम है।

मुख्य विषयवस्तु: 

20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताएं:

  • 12-सूत्रीय प्रस्ताव: भारत के प्रधान मंत्री ने भारत-आसियान सहयोग को बढ़ाने के लिए एक व्यापक प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इसमें मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी कॉरिडोर से लेकर आपदा प्रबंधन और समुद्री सुरक्षा में सहयोग तक की पहल शामिल थी।
  • डिजिटल भविष्य: अपने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक को साझा करने की भारत की प्रतिबद्धता और डिजिटल भविष्य के लिए आसियान-भारत फंड की स्थापना कोरोना महामारी के बाद के युग में डिजिटल सहयोग के महत्व को दर्शाती है।
  • वैश्विक दक्षिण प्रतिनिधित्व: बहुपक्षीय मंचों पर विकासशील देश (ग्लोबल साउथ) के समक्ष आने वाले मुद्दों को बहुपक्षीय मंचों पर सामूहिक रूप से उठाने का आह्वान किया गया, जो वैश्विक मंचों पर भारत की महत्वाकांक्षा को इंगित करता है।
  • इंडो-पैसिफिक रणनीति अभिसरण: भारत के इंडो-पैसिफिक महासागर की पहल (आईपीओआई) का इंडो-पैसिफिक पर आसियान के आउटलुक (एओआईपी) के साथ संरेखण साझा दृष्टिकोण और क्षेत्रीय रणनीति अभिसरण को दर्शाता है।
  • एआईएफटीए की समीक्षा: आसियान-भारत मुक्त व्यापार समझौते की त्वरित समीक्षा पर जोर आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की पारस्परिक इच्छा को दर्शाता है।
  • समुद्री सहयोग: भारत-आसियान सहयोग को मजबूत बनाने हेतु आपसी सुरक्षा, टिकाऊ नीली अर्थव्यवस्था और कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित करते हुए समुद्री सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया गया, जो  क्षेत्र के समुद्री रणनीतिक महत्व को दर्शाता है ।  

भारत का आसियान से जुड़ाव के लाभ:

  • रणनीतिक गहराई: भारत की एक्ट ईस्ट नीति के केंद्र में होने के नाते, आसियान भारत को पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में एक रणनीतिक गहराई प्रदान करता है, जो उसकी क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
  • आर्थिक ताकत: वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 7% के संयुक्त योगदान और वैश्विक आबादी के 26% का प्रतिनिधित्व करने के साथ, भारत-आसियान संबंधों की आर्थिक क्षमता बहुत बड़ी है।  गौरतलब है कि भारत-आसियान के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2002 में 9 अरब डॉलर था जो वर्ष 2023 में बढ़कर 150 अरब डॉलर तक हो गया है।
  • रक्षा संबंध: 2023 में पहला आसियान-भारत समुद्री अभ्यास और भारत-सिंगापुर नौसैनिक सहयोग समझौता आपस में विकसित होते रक्षा संबंधों पर प्रकाश डालता है।

भारत-आसियान संबंधों में चुनौतियाँ:

  • रणनीतिक प्रतिस्पर्धा: एशिया-प्रशांत में बढ़ती यूएस-चीन प्रतिस्पर्धा आसियान की गतिशीलता और भारत की कोशिशों को प्रभावित कर सकती है।
  • कनेक्टिविटी में देरी: भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में देरी देखी गई है, जिससे कनेक्टिविटी के संभावित लाभ प्रभावित हो रहे हैं।
  • क्षेत्रीय विवाद: दक्षिण चीन सागर में चीन और कई आसियान सदस्यों से जुड़े विवाद, भारत की कूटनीति के लिए एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र हो सकते हैं।
  • आर्थिक असंतुलन: आसियान के साथ भारत के व्यापार असंतुलन, जैसा कि निर्यात की तुलना में आयात में वृद्धि से स्पष्ट है, को स्थायी आर्थिक संबंधों के लिए संबोधित करने की आवश्यकता है।
  • आरसीईपी के विषय में निर्णय: आरसीईपी में शामिल नहीं होने के भारत के फैसले को, जिसमें आसियान और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं, व्यापक क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण के लिए एक चूके हुए अवसर के रूप में देखा जा सकता है।

 निष्कर्ष:

20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन ने वास्तव में भारत और आसियान देशों के बीच संबंधों को और मजबूत किया है और भविष्य में सहयोग के लिए एक रोडमैप पेश किया है। हालाँकि चुनौतियाँ बनी हुई हैं, फिर भी आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और सुदृढ़ बनाने और इसके भविष्य की रूपरेखा तैयार करने पर एक दूसरे का हाथ थाम सकते हैं साथ ही आपसी सम्मान और साझा हितों के साथ, भारत और आसियान एक समृद्ध और स्थिर क्षेत्रीय व्यवस्था के लिए अपने तालमेल को जारी रख सकते हैं।

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