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Q. वर्तमान भारतीय उत्प्रवास अधिनियम, 1983 की कमियों पर चर्चा कीजिये और ऐसे उपाय सुझाएँ जिन्हें प्रस्तावित उत्प्रवास विधेयक में शामिल किया जा सकता है ताकि विदेशों में भारतीय श्रमिकों की बेहतर सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित किया जा सके। (10 अंक, 150 शब्द)

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • भूमिका: भारतीय उत्प्रवास अधिनियम, 1983 और इसके उद्देश्य का संक्षेप में परिचय दीजिए।
  • मुख्याग:
    • भारतीय उत्प्रवास अधिनियम, 1983 की कमियों पर चर्चा कीजिये।
    • प्रस्तावित उत्प्रवास विधेयक, 2021 में उपाय सुझाएँ।
  • निष्कर्ष: विदेशों में भारतीय श्रमिकों की व्यापक सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए भविष्य के फोकस क्षेत्रों का सुझाव देते हुए निष्कर्ष लिखिए

 

भूमिका:

भारतीय उत्प्रवास अधिनियम, 1983 की स्थापना उत्प्रवास को विनियमित करने और विदेशों में भारतीय श्रमिकों की सुरक्षा के लिए की गई थी । हालाँकि, वैश्विक प्रवास के बदलते रुझान और काम की बदलती प्रकृति के कारण व्यापक सुधारों की आवश्यकता है। प्रस्तावित उत्प्रवास विधेयक, 2021 का उद्देश्य इन कमियों को ठीक करना और उत्प्रवास प्रबंधन एवं प्रवासी कल्याण के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करना है।

मुख्याग:

भारतीय उत्प्रवास अधिनियम, 1983 की कमियां:

  • पुराना ढांचा: 1983 का अधिनियम डिजिटल भर्ती और अनौपचारिक कार्य क्षेत्रों जैसे आधुनिक प्रवासन मुद्दों को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं करता है । उदाहरण के लिए: कई श्रमिक अब ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से नौकरी पाते हैं , जो वर्तमान कानून के अंतर्गत नहीं आते हैं।
  • अपर्याप्त संरक्षण: अधिनियम में भर्तीकर्ताओं द्वारा शोषण से श्रमिकों की सुरक्षा के लिए प्रावधानों का अभाव है। उदाहरण के लिए: रिपोर्ट बताती है कि भारतीय श्रमिक अक्सर अत्यधिक भर्ती शुल्क का भुगतान करते हैं , जिससे वे कर्ज में डूब जाते हैं और जबरन मजदूरी के लिए मजबूर हो जाते हैं।
  • कमजोर विनियामक तंत्र: अधिनियम भर्ती एजेंसियों को प्रभावी ढंग से विनियमित नहीं करता है, जिसके कारण बड़े पैमाने पर कदाचार को बढ़ावा मिलता है। उदाहरण के लिए: इन एजेंसियों द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी गतिविधियों की कोई व्यवस्थित निगरानी या दंड नहीं है ।
  • सीमित कल्याणकारी उपाय: मौजूदा कानून ,प्रवासियों के लिए व्यापक कल्याणकारी उपाय प्रदान नहीं करता है। उदाहरण के लिए: प्रवासी श्रमिकों के परिवारों के लिए कानूनी सहायता , प्रत्यावर्तन और सहायता हेतु अपर्याप्त तंत्र हैं ।
  • लिंग असंवेदनशीलता: यह अधिनियम महिला प्रवासियों की विशिष्ट सुभेद्यताओं को संबोधित नहीं करता है , जिन्हें अक्सर विदेशों में रोजगार के दौरान दुर्व्यवहार और शोषण के उच्च जोखिम का सामना करना पड़ता है।

प्रस्तावित उत्प्रवास विधेयक, 2021 में उपाय:

  • व्यापक उत्प्रवास प्रबंधन: विधेयक में उत्प्रवास प्रक्रियाओं को सरल बनाने और बेहतर निगरानी सुनिश्चित करने के लिए
    त्रिस्तरीय संस्थागत ढांचे का प्रस्ताव है। उदाहरण के लिए: केंद्रीय उत्प्रवास प्रबंधन प्राधिकरण , उत्प्रवास नीति और योजना ब्यूरो और उत्प्रवास प्रशासन ब्यूरो की स्थापना ।
  • उन्नत सुरक्षा तंत्र: प्रवासी श्रमिकों को शोषण से बचाने के लिए, विधेयक में भर्ती एजेंसियों के लिए सख्त नियम शामिल हैं और पारदर्शी भर्ती प्रक्रियाओं को अनिवार्य किया गया है। इसमें धोखाधड़ी करने वालों और अनधिकृत भर्ती के लिए दंड का भी प्रस्ताव है
  • कल्याण और सहायता सेवाएँ: विधेयक में प्रवासियों को कानूनी सहायता, प्रत्यावर्तन सहायता और परामर्श सहित सहायता सेवाएँ प्रदान करने के लिए कल्याण समितियाँ और सहायता डेस्क की शुरुआत की गई है। यह उन देशों में श्रम और कल्याण खंड भी स्थापित करता है जहाँ भारतीय प्रवासी आबादी अधिक है।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: विधेयक भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आईसीटी के उपयोग की वकालत करता है। इसमें प्रवासियों का डिजिटल डेटाबेस बनाए रखना , भर्ती करने वालों की पहचान करना और प्रवासियों को बायोमेट्रिक पहचान पत्र जारी करना शामिल है
  • लिंग असमानताओं को संबोधित करना: विधेयक में लिंग-संवेदनशील उपायों की आवश्यकता को मान्यता दी गई है , महिला प्रवासियों के लिए विशिष्ट सुरक्षा का प्रस्ताव किया गया है और सुरक्षित एवं सम्मानजनक रोजगार के अवसरों तक उनकी पहुंच सुनिश्चित की गई है

निष्कर्ष:

प्रस्तावित उत्प्रवास विधेयक, 2021 का उद्देश्य विदेशों में भारतीय कामगारों के कल्याण की रक्षा और संवर्धन के लिए व्यापक सुधार पेश करके उत्प्रवास अधिनियम, 1983 की कमियों को दूर करना है। भविष्य की नीतियों को निरंतर निगरानी , तकनीकी प्रगति को शामिल करने और प्रवासी अधिकारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए । इन उपायों को लागू करने से न केवल प्रवासी श्रमिकों के हितों की रक्षा होगी बल्कि भारत की आर्थिक वृद्धि और वैश्विक प्रतिष्ठा में भी योगदान मिलेगा।

 

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