Q. भारत में काले धन के प्रमुख स्रोतों पर चर्चा कीजिये। काले धन से निपटने के प्रयासों में कौन सी चुनौतियाँ बाधा डालती हैं और इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य मांग

  • भारत में काले धन के प्रमुख स्रोतों पर चर्चा कीजिए।
  • उन चुनौतियों पर चर्चा कीजिए, जो काले धन से निपटने के प्रयासों में बाधा डालती हैं
  • उन उपायों का सुझाव दीजिये, जो इन चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए अपनाए जा सकते हैं।

 

उत्तर:

काले धन में गैरकानूनी गतिविधियों से उत्पन्न धन या जानबूझकर कर अधिकारियों से छुपाई गई आय शामिल है। औपचारिक आर्थिक ढाँचे से परे कार्य करते हुए, यह शैडो अर्थव्यवस्था में पनपता है, वित्तीय असमानताओं को बढ़ाता है, सरकारी राजस्व को नष्ट करता है, एवं आर्थिक प्रणाली में महत्वपूर्ण विकृतियाँ उत्पन्न करता है। हाल की सरकारी रिपोर्टों का अनुमान है कि भारतीयों ने विदेशों में $216 बिलियन से $490 बिलियन के बीच काला धन छिपाकर रखा है।

भारत में काले धन के प्रमुख स्रोत

  • कर चोरी: व्यक्ति एवं निगम अक्सर कर देनदारी को कम करने के लिए आय को कम बताते हैं या खर्चों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करते हैं, जो अर्थव्यवस्था में काले धन के सृजन में महत्वपूर्ण योगदान देता है।     
  • भ्रष्टाचार: सार्वजनिक खरीद, सरकारी अनुबंध एवं सेवा वितरण में भ्रष्टाचार बड़ी मात्रा में अवैध धन के प्रवाह को सक्षम बनाता है, जिससे यह काले धन के प्राथमिक स्रोतों में से एक बन जाता है।     
    • उदाहरण के लिए: 2G स्पेक्ट्रम घोटाला (2008) के परिणामस्वरूप अधिकारियों एवं राजनेताओं के बीच रिश्वत के आदान-प्रदान के कारण अरबों रुपये का नुकसान हुआ, जिससे काले धन का एक बड़ा भंडार तैयार हो गया।
  • हवाला लेनदेन: हवाला प्रणाली वास्तविक मुद्रा की आवाजाही के बिना, औपचारिक वित्तीय चैनलों को दरकिनार करके एवं बड़ी मात्रा में बेहिसाब धन उत्पन्न करने के लिए सीमाओं के पार धन के अवैध हस्तांतरण को सक्षम बनाती है।     
  • राजनीतिक फंडिंग: अनियमित नकद दान, विशेष रूप से चुनावों के दौरान, राजनीतिक दलों को गुमनाम एवं बेहिसाब दान की अनुमति देकर काले धन की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है।  
    • उदाहरण के लिए: चुनावी बांड (2018) की शुरूआत का उद्देश्य राजनीतिक दान में सुधार करना था, लेकिन इसकी पारदर्शिता की कमी ने राजनीतिक फंडिंग में कथित काले धन के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं।
  • ऑफशोर अकाउंट: घरेलू करों एवं विनियमों से बचने के लिए काला धन अक्सर ऑफशोर अकाउंट में छिपाया जाता है, जिससे इस बेहिसाब संपत्ति को ट्रैक करना एवं वापस लाना मुश्किल हो जाता है।     
    • उदाहरण के लिए: पैराडाइज पेपर्स लीक से कई प्रमुख भारतीय व्यक्तियों का पता चला, जिन्होंने जांच से बचने के लिए अपनी संपत्ति टैक्स हेवेन में छिपा रखी थी।
  • अनियमित क्षेत्र: कृषि एवं छोटे व्यवसाय जैसे अनौपचारिक क्षेत्र बड़े पैमाने पर नकद लेनदेन पर कार्य करते हैं, जिनकी रिपोर्ट नहीं की जाती है, जो काले धन के उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।     
    • उदाहरण के लिए: कृषि भूमि सौदों में अक्सर बड़े पैमाने पर नकदी शामिल होती है, आधिकारिक रिकॉर्ड को दरकिनार कर दिया जाता है, एवं परिणामस्वरूप बेहिसाब धन प्राप्त होता है, जो काले धन की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है।

काले धन से निपटने में चुनौतियाँ

  • वित्तीय पारदर्शिता का अभाव: जटिल वित्तीय संरचनाएं, कानूनी खामियाँ एवं खराब नियम काले धन को अनियंत्रित रूप से प्रवाहित करने की अनुमति देते हैं, जिससे अवैध लेनदेन का पता लगाना तथा उस पर नजर रखना मुश्किल हो जाता है।     
    • उदाहरण के लिए: विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone- SEZ) अधिनियम के तहत कर छूट के दुरुपयोग ने कई व्यवसायों को करों से बचने एवं काले धन के उत्पादन में योगदान करने की अनुमति दी है।
  • ऑफशोर टैक्स हेवन्स: संपत्ति छिपाने के लिए धनी व्यक्तियों एवं निगमों द्वारा ऑफशोर टैक्स हेवन्स का उपयोग विदेशों में काले धन का पता लगाने तथा उसे पुनर्प्राप्त करने में भारतीय अधिकारियों के लिए चुनौतियाँ  उत्पन्न करता है।     
    • उदाहरण के लिए: HSBC स्विस लीक्स (2015) ने स्विस बैंकों में महत्वपूर्ण संपत्ति वाले भारतीय खाताधारकों के नामों का खुलासा किया, लेकिन इन फंडों की पुनर्प्राप्ति एक जटिल मुद्दा बनी हुई है।
  • कमजोर प्रवर्तन तंत्र: कानून प्रवर्तन एजेंसियों एवं वित्तीय संस्थानों के बीच अपर्याप्त समन्वय काले धन गतिविधियों की जांच की प्रभावशीलता को सीमित करता है।     
    • उदाहरण के लिए: बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में प्रगति में बाधा डालने के लिए आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय एवं CBI के बीच समन्वय की कमी की आलोचना की गई है।
  • न्यायिक देरी: आर्थिक अपराधों से निपटने में भारतीय न्यायिक प्रणाली की धीमी गति के कारण मामले लंबे समय तक खिंचते हैं, जिससे अपराधियों को सजा से बचने एवं अवैध धन को लूटने का मौका मिलता है।     
    • उदाहरण के लिए: कथित बोफोर्स घोटाला मामला (1987), जिसमें अवैध रिश्वत शामिल थी, को सीमित सजा एवं काले धन की वसूली के साथ समाप्त होने में दशकों लग गए। 
  • राजनीतिक संरक्षण: राजनीतिक फंडिंग एवं काले धन सृजन के बीच घनिष्ठ संबंध सख्त सुधारों को पारित करना मुश्किल बना देता है, क्योंकि कई राजनेता अभियान वित्त के लिए बेहिसाब नकदी पर भरोसा करते हैं।     
    • उदाहरण के लिए: वोहरा समिति की रिपोर्ट (1993) ने राजनेताओं, नौकरशाहों एवं आपराधिक उद्यमों के बीच गहरे संबंधों का खुलासा किया, जो काले धन के खिलाफ सार्थक कार्रवाई में बाधा उत्पन्न कर रहे थे।
  • वैश्वीकरण एवं पूंजी आंदोलन: वैश्विक अर्थव्यवस्था में सीमाओं के पार पूंजी की मुक्त आवाजाही, विशेष रूप से शेल कंपनियों के माध्यम से अवैध धन प्रवाह को ट्रैक करने एवं रोकने के प्रयासों को जटिल बनाती है।     
    • उदाहरण के लिए: पनामा पेपर्स लीक (2016) से पता चला कि कैसे भारतीय व्यक्तियों ने टैक्स से बचने एवं काले धन को सफेद करने के लिए टैक्स हेवेन में शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया।
  • अपर्याप्त निवारक: कमजोर दंड एवं कम सजा दरें अपराधियों को काला धन पैदा करने तथा छिपाने से रोकने में विफल रहती हैं, जिससे जवाबदेही की संस्कृति बनाना मुश्किल हो जाता है।     
    • उदाहरण के लिए: विजय माल्या (2016) एवं नीरव मोदी केस (2018) जैसे हाई-प्रोफाइल मामले, जिन्होंने बैंकों से अरबों की धोखाधड़ी की, अनसुलझे हैं, सीमित धन की वसूली हुई है तथा दूसरों को रोकने के लिए कोई महत्वपूर्ण सजा नहीं हुई है।

काले धन से निपटने में चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के उपाय

  • वित्तीय पारदर्शिता कानूनों को मजबूत करना: बेहतर ऑडिटिंग मानकों एवं सटीक आय रिपोर्टिंग पर ध्यान केंद्रित करते हुए वित्तीय नियमों को सख्ती से लागू करना तथा मौजूदा खामियों को बंद करना आवश्यक है।    
    • उदाहरण के लिए: सुरक्षित एवं अपरिवर्तनीय वित्तीय रिकॉर्ड सुनिश्चित करने, हेरफेर या कर चोरी को कम करने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक को लागू करना।  
  • टैक्स हेवन पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: बेहतर जानकारी साझा करने एवं काले धन की वापसी के लिए विदेशी देशों के साथ संधियों को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। संयुक्त प्रयासों से काले धन का पता लगाना आसान हो सकता है।    
  • प्रवर्तन एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय: आयकर विभाग, ED एवं CBI जैसी एजेंसियों को काले धन की गतिविधियों की जांच को सुव्यवस्थित करने के लिए अधिक प्रभावी ढंग से सहयोग करना चाहिए।     
    • उदाहरण के लिए: वोहरा समिति की रिपोर्ट (1993) ने अपराध, राजनीति एवं काले धन के गठजोड़ से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय पर जोर दिया।
  • आर्थिक अपराधों के लिए न्यायिक सुधार: काले धन से संबंधित मामलों को संभालने एवं समय पर निर्णय सुनिश्चित करने के लिए आर्थिक अपराधों के लिए विशेष फास्ट-ट्रैक कोर्ट स्थापित किये जाने चाहिए। न्यायिक देरी से प्रवर्तन में बाधा आती है।  
    • उदाहरण के लिए: द्वितीय ARC ने वित्तीय अपराधों को तेजी से संभालने के लिए फास्ट-ट्रैक कोर्ट स्थापित करने की सिफारिश की।
  • कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर परिवर्तन से अप्राप्य नकदी लेनदेन पर निर्भरता कम हो जाएगी। कर छूट या पुरस्कार डिजिटल भुगतान अपनाने को प्रोत्साहित कर सकते हैं।   
    • उदाहरण के लिए: एक पुरस्कार-आधारित प्रणाली की शुरुआत करना जो उपभोक्ताओं को प्रत्येक डिजिटल लेनदेन के लिए कैशबैक या लॉयल्टी पॉइंट प्रदान करती है, जिससे पारदर्शिता की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है।  
  • चुनावी फंडिंग पारदर्शिता: अनियमित राजनीतिक फंडिंग काले धन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। राजनीतिक चंदे का पूरा खुलासा सुनिश्चित करने एवं नकद चंदे को सीमित करने से पारदर्शिता बढ़ेगी।    
    • उदाहरण के लिए: इंद्रजीत गुप्ता समिति (1998) ने राजनीतिक अभियानों में काले धन पर अंकुश लगाने के लिए चुनावों के लिए राज्य द्वारा वित्त पोषण की सिफारिश की।
  • रियल एस्टेट क्षेत्र में सुधार: अंडर-द-टेबल नकद सौदों के कारण रियल एस्टेट काला धन उत्पन्न करने वाला एक प्रमुख क्षेत्र है। अनिवार्य डिजिटल भुगतान एवं सख्त नियमों की आवश्यकता है।    
    • उदाहरण के लिए: बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम, 2016 रियल एस्टेट सौदों में झूठे नामों के उपयोग को संबोधित करता है लेकिन इसे सख्त कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
  • कॉर्पोरेट प्रशासन को मजबूत करना: बेहतर कॉर्पोरेट प्रशासन प्रथाओं से कॉर्पोरेट हेरफेर एवं खामियों के माध्यम से काले धन के सृजन पर अंकुश लगाया जा सकता है। विदेशी संपत्तियों तथा कर से बचने की रणनीतियों का पूर्ण खुलासा अनिवार्य करना आवश्यक है।     
    • उदाहरण के लिए: कॉरपोरेट गवर्नेंस पर नारायण मूर्ति समिति ने कॉरपोरेट काले धन से निपटने के लिए नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं, पारदर्शिता एवं जवाबदेही पर जोर दिया है।

जैसा कि महात्मा गांधी ने एक बार कहा था, “भ्रष्टाचार एवं पाखंड लोकतंत्र के अपरिहार्य उत्पाद नहीं होने चाहिए।” काले धन के संकट को समाप्त करने तथा स्वच्छ एवं पारदर्शी अर्थव्यवस्था के लिए ‘विजन 2047’ रणनीति के अनुरूप भारत की आर्थिक अखंडता सुनिश्चित करने के लिए पारदर्शिता, मजबूत कानून तथा वैश्विक सहयोग से युक्त एक समग्र दृष्टिकोण आवश्यक है।

 

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