उत्तर:
प्रश्न को हल करने का दृष्टिकोण
- प्रस्तावना: भारत में जीएसटी के कार्यान्वयन, इसके उद्देश्य और अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को सरल बनाने में इसकी प्रासंगिकता बताते हुए उत्तर प्रारम्भ करें।
- मुख्य विषयवस्तु:
- जीएसटी कार्यान्वयन की उपलब्धियों और सकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डालें।
- जीएसटी कार्यान्वयन प्रक्रिया के दौरान उभरे मुद्दों और चुनौतियों का उल्लेख करें।
- चुनौतियों का समाधान करने और जीएसटी प्रणाली की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के उपायों पर चर्चा करे।
- निष्कर्ष: पिछले छह वर्षों में जीएसटी की प्रगति का सारांश देते हुए, इसके लाभों, चुनौतियों और आगे के सुधारों की आवश्यकता बताते हुए निष्कर्ष लिखें।
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प्रस्तावना:
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), जो पूरे भारत में वस्तुओं और सेवाओं के निर्माण, बिक्री और उपभोग पर एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है, ने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा लगाए गए कई करों की जगह ले ली है। 1 जुलाई, 2017 को लाये गए जीएसटी का उद्देश्य एकल, एकीकृत भारतीय बाजार बनाना, व्यापार करने में आसानी बढ़ाना और अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को सरल बनाना था।
मुख्य विषयवस्तु:
जीएसटी की प्रगति एवं लाभ
- राजस्व उत्पादन:
- वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी संग्रह मई 2023 में लगातार आठवें महीने 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया, जो आर्थिक सुधार और बेहतर कर अनुपालन को दर्शाता है।
- दोहरे कर का उन्मूलन:
- उदाहरण के लिए, पिछली प्रणाली के तहत, शर्ट जैसे उत्पाद पर, कच्चे माल से लेकर अंतिम बिक्री तक उत्पादन के हर चरण पर कर लगाया जाता था।
- लेकिन जीएसटी के तहत, प्रत्येक चरण में केवल मूल्यवर्धन पर कर लगाया जाता है, जिससे अनेक करो का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
- मूल्य में कमी:
- नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) के एक अध्ययन के अनुसार, अनेक करो के प्रभाव के उन्मूलन के कारण, कई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में कमी देखी गई है।
- व्यापार करने में आसानी में वृद्धि हुई:
- कई करों को एक में समाहित करके और अंतर-राज्य वाणिज्य से जुड़ी नौकरशाही बाधाओं को कम करके, इसने व्यवसायों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार दिया है।
- उदाहरण के लिए, विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि जीएसटी कार्यान्वयन ने भारत की ‘ईज टू डू बिजनेस‘ रैंकिंग को 2016 के 130वें स्थान से सुधारकर 2022 में 63वें स्थान पर ला दिया है।
चुनौतियाँ एवं लंबित सुधार
- कर स्तर(tax slab) विवाद:
- वर्तमान जीएसटी संरचना में 0%, 5%, 12%, 18% और 28% के कई कर स्लैब हैं जो अक्सर विवादों का कारण बनती है।
- उदाहरण के लिए, शराब बिक्री करने वाले रेस्तरां, शराब नहीं बिक्री करने वाले रेस्तरां की तुलना में एक अलग टैक्स स्लैब के अंतर्गत आते हैं, जिससे अस्पष्टता होती है।
- जीएसटीएन खामियाँ:
- वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) में तकनीकी गड़बड़ियों के कारण अक्सर रिटर्न की सुचारू फाइलिंग में बाधा आती है।
- उदाहरण के लिए, 2019 में, अपने रिटर्न दाखिल करने की कोशिश करने वाले करदाताओं की संख्या में अचानक वृद्धि के कारण, जीएसटीएन पोर्टल क्रैश हो गया, जिससे बहुत अधिक असुविधा हुई।
- राज्य वित्त पर प्रभाव:
- पंजाब और महाराष्ट्र जैसे राज्य, जहां पहले एक समृद्ध विनिर्माण क्षेत्र था, को जीएसटी में उपभोग-आधारित कर मॉडल में बदलाव के कारण राजस्व हानि का सामना करना पड़ा है।
सुधार हेतु सुझाव
- टैक्स स्लैब को सरल बनाना:
- सरकार वर्गीकरण विवादों को कम करने के लिए टैक्स स्लैब की संख्या कम करने पर विचार कर सकती है।
- उदाहरण के लिए, 12% और 18% स्लैब को एक मानक दर में विलय करना एक ऐसा कदम हो सकता है।
- जीएसटीएन इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार:
- जीएसटीएन को अधिक मजबूत और गड़बड़ी मुक्त बनाने के लिए आईटी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में निवेश करने से करदाता अनुभव में वृद्धि होगी।
- करदाताओं को बेहतर प्रशिक्षण और सहायता:
- विशेष रूप से छोटे व्यवसायों के लिए राष्ट्रव्यापी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने से अनुपालन में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
- राज्य की चिंताओं का समाधान करना:
- राज्यों को किसी भी राजस्व हानि, विशेष रूप से कोविड-19 के बाद के आर्थिक परिदृश्य के लिए मुआवजा देना, राजकोषीय संघवाद की भावना को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
निष्कर्ष:
अपनी छह साल की यात्रा में जीएसटी, भारतीय कराधान प्रणाली के लिए एक गेम-चेंजर रहा है। इससे निस्संदेह कई लाभ हुए हैं और इसमें भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता है। हालाँकि, अपनी पूरी क्षमता तक पहुँचने के लिए, मौजूदा चुनौतियों का समाधान करना और समय पर एवम कुशल तरीके से आवश्यक सुधार करना जरूरी है। इससे एक अधिक सुव्यवस्थित, प्रभावी और कुशल जीएसटी प्रणाली सुनिश्चित होगी जिससे सभी हितधारकों को लाभ होगा।
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