प्रश्न की मुख्य माँग
- उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर डिजिटल घोटालों में वृद्धि के लिए उत्तरदायी कारण लिखिए।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था में साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बहु-हितधारक दृष्टिकोण लिखिए।
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उत्तर
भारत में साइबर धोखाधड़ी में खतरनाक वृद्धि देखी जा रही है, जहाँ वर्ष 2024 में वित्तीय नुकसान ₹22,845 करोड़ तक पहुँच गया, जो पिछले वर्ष (2023) की तुलना में 206% की वृद्धि दर्शाता है। साथ ही, वर्ष 2021 से वर्ष 2024 के बीच साइबर अपराध मामलों में 500% की वृद्धि हुई है, जो AI आधारित घोटालों और डीपफेक से उत्पन्न चुनौतियों को उजागर करती है।
उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर डिजिटल घोटालों में वृद्धि के कारण
- AI-सक्षम डीपफेक: दुरूपयोगकर्ता AI उपकरणों का उपयोग कर विश्वसनीय सार्वजनिक व्यक्तियों के वास्तविक जैसे वीडियो एवं ध्वनियाँ बनाते हैं, जिससे लोग धोखाधड़ी योजनाओं में फँस जाते हैं।
- उदाहरण: चेन्नई में एक सेवानिवृत्त डॉक्टर ने ₹7-20 लाख रूपये धोखाधड़ी में गवा दिए, जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का डीपफेक एक फर्जी निवेश योजना का प्रचार करता दिखाया गया।
- सामान्य जनसंख्या में कम तकनीकी साक्षरता: कई उपयोगकर्ता, ऑनलाइन परिवर्तनों को पहचान नहीं पाते हैं, जिससे वे उच्च रिटर्न का दावा करने वाले घोटालों का शिकार हो जाते हैं।
- नियामक खामियाँ: क्रिप्टोकरेंसी जैसे उभरते क्षेत्रों में स्पष्ट वर्गीकरण और विनियमन का अभाव है, जो दुरूपयोगकर्ताओं के लिए कानूनी ग्रे जोन बनाता है।
- उदाहरण: दुरूपयोगकर्ता यह भ्रम फैलाते हैं कि क्रिप्टो पर नियंत्रण RBI (मुद्रा) या SEBI (सिक्योरिटी) का है।
- प्लेटफॉर्म की निष्क्रियता: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अक्सर प्रतिक्रियात्मक रूप से कार्य करते हैं, केवल धोखाधड़ी की शिकायत के बाद कार्रवाई करते हैं, न कि पहले से रोकथाम करते हैं।
- सीमा पार संचालन: अनेक धोखाधड़ी नेटवर्क म्याँमार, थाईलैंड और कोलंबिया जैसे विदेशी ठिकानों से संचालित होते हैं, जिससे घरेलू प्रवर्तन चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
डिजिटल अर्थव्यवस्था में साइबर सुरक्षा को सुदृढ़ करने हेतु बहु-हितधारक दृष्टिकोण
- क्रिप्टो विनियमन में स्पष्टता: सरकार को क्रिप्टोकरेंसी की कानूनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और दुरुपयोग रोकने के लिए सुरक्षा तंत्र विकसित करना चाहिए।
- सीमा-पार सहयोग: प्रभावी कानून प्रवर्तन हेतु अंतरराष्ट्रीय संधियाँ और उन देशों के साथ सहयोग आवश्यक है, जहाँ धोखाधड़ी सिंडिकेट सक्रिय हैं।
- डिजिटल साक्षरता अभियान: स्कूलों और सार्वजनिक अभियानों में साइबर स्वच्छता और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
- उदाहरण: ‘जागो डिजिटल ग्राहक जागो’ जैसे स्लोगन उपभोक्ता जागरूकता अभियानों की सफलता को दोहरा सकते हैं।
- सक्रिय AI डिटेक्शन: प्लेटफॉर्म को डीपफेक सामग्री के उपयोग से पहले ही उसकी स्क्रीनिंग और ब्लॉक करने के लिए AI डिटेक्शन टूल्स का उपयोग करना चाहिए।
- उदाहरण: जैसे यूट्यूब AI से कॉपीराइट उल्लंघन पहचानता है, वैसे ही नकली वित्तीय वीडियो के लिए यह लागू किया जा सकता है।
- जवाबदेही सुनिश्चित करना: प्लेटफॉर्म को केवल मध्यस्थ न मानकर पब्लिशर्स के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए, ताकि वे अपने होस्ट किए गए कंटेंट के लिए जवाबदेह हों।
निष्कर्ष
AI-संचालित घोटालों का प्रसार वित्तीय सुरक्षा को खतरे में डालता है और डिजिटल प्रणालियों में विश्वास को कमजोर करता है। वित्त मंत्री की इमेज का उपयोग कर हुए डीपफेक धोखाधड़ी जैसे मामले इस जोखिम को रेखांकित करते हैं। सरकार, प्लेटफॉर्म और नागरिकों के संयुक्त प्रयास से ही मजबूत सुरक्षा तंत्र बनाया जा सकता है और भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को ऐसे खतरों से सुरक्षित रखा जा सकता है।
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