उत्तर:
दृष्टिकोण:
- प्रस्तावना: कृषि विविधता और ग्रामीण आजीविका पर इसके प्रभाव पर जोर देते हुए, भारत में देशी मवेशियों की घटती नस्लों के मुद्दे का संक्षेप में परिचय दीजिए।
- मुख्य विषयवस्तु:
- विदेशी नस्लों के साथ संकरण, आर्थिक व्यवहार्यता के मुद्दे, उपेक्षा और मशीनीकरण, और अपर्याप्त पोषण और प्रबंधन जैसे प्रमुख कारकों पर प्रकाश डालिए।
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय डेयरी योजना-I और मवेशी नस्ल संरक्षण के लिए विशेष संगठनों की स्थापना जैसी विशिष्ट सरकारी पहलों की रूपरेखा तैयार कीजिए।
- निष्कर्ष: भारत में देशी नस्लों के संरक्षण, कृषि विविधता सुनिश्चित करने और ग्रामीण आजीविका को बनाए रखने में इन उपायों के महत्व पर जोर देकर संक्षेप में बताएं।
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प्रस्तावना:
भारत में मवेशियों की देशी नस्लें, जो अपनी शक्ति और सहनशीलता के साथ-साथ लचीलेपन के लिए जानी जाती हैं, इनकी संख्या में गिरावट हो रही हैं। यह गिरावट न केवल कृषि विविधता को प्रभावित कर सकती है बल्कि ग्रामीण आजीविका की स्थिरता के लिए भी खतरा पैदा कर सकती है। इनके कारणों को समझना और इनके संरक्षण के लिए प्रभावी उपाय लागू करना जरूरी है।
मुख्य विषयवस्तु:
देशी नस्लों के मवेशियों की संख्या में कमी होने के कारण:
- विदेशी नस्लों के साथ क्रॉसब्रीडिंग: अधिक मात्रा में दूध उपज के लिए विदेशी नस्लों के आगमन से देशी आनुवंशिक गुणों का ह्रास हुआ है।
- आर्थिक कारक: देशी नस्लों को अक्सर अधिक उपज देने वाली विदेशी नस्लों की तुलना में कम आर्थिक रूप से व्यवहार्य माना जाता है।
- उपेक्षा और मशीनीकरण: कृषि में बढ़ते मशीनीकरण और देशी मवेशियों की आबादी की उपेक्षा ने उनकी गिरावट में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- अपर्याप्त पोषण और खराब प्रबंधन: अपर्याप्त पोषण, खराब प्रजनन प्रबंधन और प्रचलित पशु रोगों के साथ-साथ पशुपालन विस्तार और पशु चिकित्सा सेवाओं जैसी प्रभावी सहायता सेवाओं की कमी ने इन नस्लों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
देशी नस्लों के संरक्षण के उपाय:
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन: यह पहल, राष्ट्रीय गोजातीय प्रजनन और डेयरी विकास कार्यक्रम का हिस्सा है, जो विशेष रूप से स्वदेशी गोजातीय नस्लों के विकास और संरक्षण पर केंद्रित है।
- राष्ट्रीय डेयरी योजना-I: भारत के 18 प्रमुख डेयरी राज्यों को कवर करने वाली विश्व बैंक-सहायता प्राप्त परियोजना, जिसका उद्देश्य 12 स्वदेशी मवेशियों और भैंस की नस्लों का विकास और संरक्षण करना है।
- विशिष्ट संगठनों की स्थापना: भारत सरकार ने स्वदेशी नस्लों के विकास और संरक्षण के लिए केंद्रीय मवेशी प्रजनन फार्म, केंद्रीय झुंड पंजीकरण योजना और केंद्रीय जमे हुए वीर्य उत्पादन और प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की है।
निष्कर्ष:
भारत में मवेशियों की देशी नस्लों का संरक्षण एक बहुआयामी चुनौती है जिसके लिए विभिन्न हितधारकों के ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। जबकि इस क्षेत्र कमी क्रॉसब्रीडिंग, आर्थिक व्यवहार्यता और अपर्याप्त प्रबंधन जैसे कारकों से प्रेरित है। सरकार द्वारा किए गए उपाय, जैसे कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन और राष्ट्रीय डेयरी योजना- I, एक ठोस प्रतिक्रिया देते हैं। इन प्रयासों को जारी रखने और स्वदेशी नस्लों के लिए समर्थन बढ़ाने से न केवल इन मूल्यवान आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण होगा बल्कि भारत में ग्रामीण आजीविका और कृषि विविधता की स्थिरता भी सुनिश्चित होगी।
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