Q. भारत की विदेश नीति के संदर्भ में प्रधानमंत्री की हालिया यूक्रेन यात्रा के महत्त्व पर चर्चा कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • प्रधानमंत्री की हालिया यूक्रेन यात्रा पर प्रकाश डालिए।
  • भारत की विदेश नीति के संदर्भ में प्रधानमंत्री की हालिया यूक्रेन यात्रा के महत्त्व पर चर्चा कीजिए।

 

उत्तर:

भारतीय प्रधानमंत्री की हालिया यूक्रेन यात्रा भारत की विदेश नीति में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, क्योंकि वर्ष 1992 में राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से वो इस देश की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए हैं। यूक्रेन-रूस संघर्ष के बीच हो रही यह यात्रा भारत की उभरती कूटनीतिक रणनीति को दर्शाती है और वैश्विक भू-राजनीतिक मामलों में अधिक सक्रिय रूप से शामिल होने के उसके उद्देश्य को उजागर करती है।

प्रधानमंत्री की यूक्रेन यात्रा का महत्त्व

  • पूर्वी यूरोप के साथ राजनयिक संबंधों को मजबूत करना: यह यात्रा पूर्वी यूरोप में राजनयिक संबंधों को बढ़ाने, यूक्रेन के साथ संबंधों को मजबूत करने और रूस के साथ अपने पारंपरिक संबंधों को संतुलित करने के भारत के उद्देश्य को उजागर करती है। उदाहरण के लिए: यात्रा के दौरान, भारत और यूक्रेन ने कृषि, संस्कृति और चिकित्सा उत्पादों पर समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जो द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करने का संकेत देते हैं।
  • रूस और पश्चिम के साथ संबंधों में संतुलन: यूक्रेन के साथ जुड़कर भारत रूस के साथ मजबूत संबंध बनाए रखते हुए एक तटस्थ अभिकर्ता बने रहने की अपनी इच्छा का प्रदर्शन करता है, जिससे उसकी रणनीतिक स्वायत्तता बनी रहती है। उदाहरण के लिए: पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद भारत द्वारा रूसी तेल का आयात जारी रखना, साथ ही प्रधानमंत्री की यूक्रेन यात्रा, इस संतुलनकारी कार्य को दर्शाती है।
  • वैश्विक मध्यस्थ के रूप में भारत की भूमिका को प्रदर्शित करना: साउथ ग्लोबल के एक नेता के रूप में, मॉस्को और कीव दोनों के साथ भारत की भागीदारी अंतरराष्ट्रीय मंच पर शांति मध्यस्थ के रूप में इसकी छवि को बढ़ाती है। उदाहरण के लिए: दोहा और बर्गनस्टॉक में शांति वार्ता में भारत की भागीदारी संघर्षरत पक्षों के बीच सीधी वार्ता को प्रोत्साहित करने में इसकी भूमिका को दर्शाती है।
  • आर्थिक अवसरों में वृद्धि: यह यात्रा यूक्रेन में आर्थिक अवसरों में भारत की रुचि को रेखांकित करती है, विशेष रूप से युद्ध के बाद के पुनर्निर्माण चरण में। यह जुड़ाव अवसंरचना, कृषि और रक्षा में भारतीय व्यवसायों के लिए रास्ते खोल सकता है जिससे द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
  • भारत की सामरिक स्वायत्तता की पुष्टि: रूस और यूक्रेन दोनों के साथ जुड़कर, भारत अपनी सामरिक स्वायत्तता की पुष्टि करता है और किसी भी गुट के साथ गठबंधन से बचता है और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए जटिल भू-राजनीतिक गतिशीलता को नियंत्रित करता है। उदाहरण के लिए: रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों से भारत का दूर रहना और उसके बाद यूक्रेन की यात्रा करना उसकी स्वतंत्र विदेश नीति के रुख को दर्शाता है।

आगे की राह

  • आर्थिक सहयोग का विस्तार: भारत को यूक्रेन के साथ आर्थिक सहयोग के लिए रास्ते तलाशने चाहिए विशेषकर कृषि, रक्षा और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में , जो भारत की विशेषज्ञता और निवेश से लाभान्वित हो सकते हैं। उदाहरण के लिए: यूक्रेन के युद्ध-पश्चात पुनर्निर्माण में भाग लेने के लिए भारतीय कंपनियों को बढ़ावा देने से द्विपक्षीय आर्थिक संबंध बढ़ सकते हैं।
  • पूर्वी यूरोप में कूटनीतिक जुड़ाव बढ़ाना: भारत अपनी कूटनीतिक रणनीतियों में विविधता लाने और क्षेत्र में अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के साथ अपने जुड़ाव को गहरा कर सकता है। उदाहरण के लिए: पोलैंड और रोमानिया जैसे देशों के साथ वार्ता शुरू करने से  क्षेत्रीय साझेदारी को बढ़ावा मिल सकता है।
  • लोगों के बीच आपसी संबंधों को बढ़ावा देना: भारत को सांस्कृतिक आदान-प्रदान, शैक्षणिक सहयोग और चिकित्सा सहायता के माध्यम से यूक्रेन के साथ लोगों के बीच आपसी संबंधों को मजबूत करने, सद्भावना और दीर्घकालिक द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उदाहरण के लिए: भारत में अध्ययन करने के लिए यूक्रेनी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने से सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान बढ़ सकता है।
  • क्षेत्रीय स्थिरता के लिए रणनीतिक साझेदारी का लाभ उठाना: भारत, संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान की सिफारिश कर सकता है और अंतरराष्ट्रीय विवादों में मध्यस्थता करने के लिए अपनी स्थिति का लाभ उठा सकता है। उदाहरण के लिए: रूस और यूक्रेन के बीच संवाद की पहल का समर्थन करके भारत को एक विश्वसनीय मध्यस्थ के रूप में स्थापित किया जा सकता है। 
  • रक्षा सहयोग को मजबूत करना: भारत यूक्रेन के साथ रक्षा सहयोग के अवसरों का लाभ उठा सकता है, जिसमें सुरक्षा संबंधों को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, संयुक्त अभ्यास और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए: साइबर सुरक्षा और मिसाइल प्रौद्योगिकी में सहयोगी रक्षा परियोजनाएँ पारस्परिक रूप से लाभकारी हो सकती हैं।

प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन यात्रा, भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में सक्रिय भूमिका निभाने की अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने के लिए एक रणनीतिक कदम है, क्योंकि भारत अक्सर जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्यों को सुलझाने का प्रयास करता है इसलिए प्रधानमंत्री की यह यात्रा भारत को वैश्विक मध्यस्थ के रूप में कार्य करने और तेजी से बदलती दुनिया में अपने आर्थिक और रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकती है।

 

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